कांग्रेस की सरकार बनने पर किसी भी पद के लिए परीक्षा उनके गृह जिले में ही होगी- हुड्डा
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चण्डीगढः 22 सितम्बर 2019 । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग की ओर से लिपिकों की भर्ती के लिए परीक्षार्थियों के दूरदराज जिलों में रखे परीक्षा केन्द्रों को लेकर आयोग के फैसले की कड़ी निंदा की और कहा कि इससे न केवल युवाओं को परेशानी उठानी पड़ी बल्कि परिवहन व्यवस्था चरमराने के कारण आम जन को भी भारी दिक्कत हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पारदर्शिता के नाम पर आयोग का यह फैसला किसी कसौटी पर मान्य नहीं है। परीक्षा के लिए पारदर्शिता और सटीक प्रबंधन का काम परीक्षार्थियों के लिए उनके अपने जिलों में भी सम्भव हो सकता था, मगर सरकार व आयोग ने इसे उचित नहीं समझा। हुड्डा ने कहा कि सबसे बुरी बात यह रही कि सरकार व आयोग ने महिला परीक्षाथियों को होने वाली परेशानियों को भी नहीं समझा।
प्रदेश भर में 15 लाख से ऊपर परीक्षार्थियों में महिला अभ्यार्थियों की बड़ी संख्या का क्या सरकार को ज्ञान नहीं था ? यदि था तो सरकार ने समय रहते इसका समाधान निकालने की कोशिश क्यों नहीं की ? यह कितना दुर्भाग्यपूण रहा कि हरियाणा की किसी बेटी को कंगन तथा नाक की बाली को आरी से कटवाना पड़ा तो कई अन्यों को कानों की बालियों तक उतरवानी पड़ी। हरियाणा की बेटियों को अपने परिवारजनों के साथ एक दिन पहले जाना पड़ा तथा रात को ठहरने की व्यवस्था के लिए भी उन्हें बहुत परेशानी झेलनी पड़ी।
हरियाणा की बेटियों के प्रति भाजपा सरकार का यह रवैया अपमानजनक और घोर निन्दनीय है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाली सरकार की हर जगह और हर समय ऐसी ही संवेदनहीनता झलकती है। आयोग ने यह ध्यान भी नहीं रखा कि केन्द्र तक पहुंचने व बैठने में दिव्यांगों को कितनी दिक्कत सामने आने वाली हैं।
हुड्डा ने कहा कि परीक्षा केन्द्र पर जल्दी पहुंचने की कोशिश में हिसार जिले के दो युवाओं को जान गंवानी पड़ी और उनकी कार में सवार तीन साथियों को गम्भीर चोटें आई। बहुत से युवाओं को शाम को अपने घर लोटने के लिए बसों और ट्रेनों में जगह पाने के लिए मारामारी करनी पड़ी।
पर्याप्त परिवहन व्यवस्था न होने के कारण बहुत से परीक्षार्थी अपने केन्द्रों तक भी नहीं पहंुच पाये। कई जगह सड़कों तक जाम हो गई। जिन महिलाओं के बच्चे छोटे थे उनको बेशक परिवारजनों ने सम्भाला, पर बैठने की समुचित व्यवस्था के अभाव में वो रोते बिलखते रहे। सारा नजारा ऐसा लग रहा था मानो जैसे व्यक्ति युद्ध के मैदान से बच कर निकल रहा हो। क्या सरकार को पूर्व अनुमान नहीं था कि इतनी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों के इधर-उधर जाने से अव्यवस्था फैलेगी ?