कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार द्वारा सिख महिलाओं को कीर्तन की सेवा निभाने की इजाज़त देने का प्रस्ताव सदन में पेश

7 November, 2019, 8:12 pm

चंडीगढ़, 7 नवंबर:एक बड़े सुधारवादी कदम की तरफ बढ़ते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने आज सदन में प्रस्ताव पेश करके श्री अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सचखंड श्री दरबार साहिब में सिख महिलाओं को कीर्तन की सेवा निभाने की इजाज़त देने की अपील की है। 

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह प्रस्ताव औपचारिक तौर पर श्री अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि कमेटी को भेजा जाएगा। 

इस प्रस्ताव को सभी पक्षों ने राजनैतिक हितों से ऊपर उठकर सर्वसम्मती से पास कर दिया। यह प्रस्ताव ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा ने सदन में पेश किया जिसका उद्देश्य बाणी सिद्धांत विरोधी इस प्रथा को ख़त्म करना है जिसके साथ धार्मिक मामलों में पुरुष-स्त्री के आधार पर भेदभाव पैदा होता है। इस प्रस्ताव को स्पीकर ने वोटों के लिए सदन में रखा। 

प्रस्ताव पेश करते हुए श्री बाजवा ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी ने अपने समूचे जीवन के दौरान जात-पात/पुरुष-स्त्री के आधार पर भेदभाव का डटकर विरोध किया और अधिकारों और हकों के लोकतांत्रिक आधार पर समानता वाले समाज को प्रफुल्लित करने का संदेश दिया। 

अब तक सिख महिलाओं को कीर्तन की सेवा निभाने की आज्ञा न देने पर दुख ज़ाहिर करते हुए श्री बाजवा ने कहा कि सिख इतिहास में महिलाओं के साथ भेदभाव की कहीं भी कोई मिसाल नहीं मिलती।

प्रस्ताव में कहा गया,‘‘जगत बाबा नानक जी ने जात-पात, ऊच-नीच और पुरुष-स्त्री के भेदभाव से मुक्त एक कल्याणकारी समाज सृजन करने का सपना लिया था। इसी कारण ही गुरबानी और गुरू इतिहास में कहीं भी महिलाओं के साथ भेदभाव की कोई मिसाल नहीं मिलती। परन्तु यह बहुत ही दुख की बात है कि सिखी के सबसे बड़े केंद्र सचखंड श्री दरबार साहिब, अमृतसर में महिलाओं को कीर्तन करने की इजाज़त नहीं है। पंजाब विधानसभा का यह सदन श्री अकाल तख्त साहिब जी के जत्थेदार साहिब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को यह विनती करता है कि बाणी सिद्धांत विरोधी इस प्रथा को ख़त्म करके सिख महिलाओं को श्री दरबार साहिब, अमृतसर में कीर्तन करने की इजाज़त दे।’’ 

इससे पहले विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हुए आप के विधायक कुलतार सिंह संधवां ने सरकार द्वारा लाए प्रस्ताव पर सवाल उठाने पर अकाली नेताओं की आलोचना की। सदन में शिरोमणि अकाली दल ने पहले तो प्रस्ताव में इस्तेमाल की गई भाषा पर ऐतराज़ जताया परन्तु बाद में सरकार के प्रस्ताव का समर्थन कर दिया।