चुनाव प्रबंधन की कमान संभालने वाले ही ढ़ूढ रहे हैं हार के कारण

गुरूग्राम, 25 नवंबर। में बीजेपी और जेजीपी की सरकार बनने के बाद भी पचहत्तर पार का नारा बीजेपी का पीछा नही छोड़ रहा हैं । 75 से 40 सीटों पर सिमट जाना बीजेपी में तूफान मचाए हुए हैं । पूर्व कैबिनेट मंत्री रामविलास शर्मा का कहना हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की चुनावों से पहले की गई जनआर्शिवाद यात्रा बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन का कारण बनी हैं , इस यात्रा ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में टिकट के दावेदारों की फौज खड़ी कर दी । इतना ही नही जनआर्शिवाद यात्रा में सवार हुए नेता फील्ड़ में उतरे भी नही , रामविलास शर्मा ऐसे अकेले नेता नही हैं जो हार की कारण के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल को इशारों -इशारों में निशाना बना रहे हैं । केन्द्रीय मंत्री राव इंन्द्रजीत ने पार्टी आलाकमान को इस बात की शिकायत की थी । पार्टी में एक धड़ा खुलेआम पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ काम कर रहा था । गुरूग्राम में दो दिनों तक चली प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में बीजेपी ने कमजोर प्रर्दशन पर चर्चा की और 50 हारे हुए विधायकों की राय जानी गई । बीजेपी ने इस बैठक के बाद अपने तीन दिग्गजों पार्टी के उपाध्यक्ष अरविंद यादव , धर्मपाल शर्मा और प्रदेश सचिव जवाहर सैनी को उनके पदो से हटा दिया हैं । प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला कहते हैं कि इन नेताओं पर पार्टी के खिलाफ काम करने और गुटबाजी का आरोप लगा था । इसलिए इनको पदमुक्त किया जा रहा हैं ।
आपको याद होगा कि रेवाड़ी में बीजेपी नेता अरविंद यादव ने केन्द्रीय मंत्री राव इंन्द्रजीत के खिलाफ खुली बगावत कर दी थी । माना जा रहा हैं कि केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत के दबाव में ऐसा किया गया हैं । बीजेपी अपने हार के कारणों पर मंथन कर रही हैं ।। बीजेपी ने प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक से लेकर विधानसभा क्षेत्रों तक आत्ममंधन की प्रकिया पूरी कर ली हैं । बीजेपी ने जीते हुए 40 विधायकों को हारे हुए 50 विधायकों की राय जानी । उनसे पुछा गया था कि उनके चुनाव लड़ने के अनुभव कैसे रहे ?
बीजेपी की हार के कारणों को लेकर बुलाई गई ये बैठक राजनैतिक हलकों में हास्य का विषय बन रही हैं । सवाल ये पुछा जा रहा हैं कि आखिर वही अधिकारी टिकट वितरण, चुनाव प्रबंधन कर रहे तो आज हार के कारणों का फीडबैक ले रहे हैं । टिकट वितरण में मुख्यमंत्री ,प्रदेश अध्यक्ष , संगठन मंत्री और प्रभारी मंत्री शामिल थे । कई नेताओं का तो यहां तक कहना हैं कि जिस सरकार के सभी मंत्री चुनाव हार गए हैं । इसका मतलब साफ हैं कि सरकार ने काम नही किया । मंत्रियों ने कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखी ।
बीजेपी के सामने सबसे बड़ी दुविधा ये हैं कि हरियाणा के सभी बड़े नेता चुनाव हार गए हैं । उनको कहां पर दोबारा से एडजस्ट किया जाए । जो काबीना मंत्री हारे हैं उनकों आज सरकार की सहयोगी पार्टी जेजीपी के प्रत्याशियों ने हराया हैं । यही वजह हैं कि कैप्टन अभिमन्यु को हराने वाले नारनौद से जेजीपी प्रत्याशी रामकुमार गौतम मंत्री नही बन पाए हैं । बताया जा रहा हैं कि कैप्टन अभिमन्यू ने पार्टी नेतृत्व को ये साफ -साफ बता दिया था कि अगर राम कुमार गौतम मंत्री बनते है तो उनकी राजनीति हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी । इसी तरह टोहाना से प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को हराने वाले देवेन्द्र सिंह बबली भी मंत्री पद के दावेदार हैं । ऐसे में पार्टी के भीतर संतुलन साधना और जेजीपी के दिग्गज नेताओं को मंत्री बनाना बड़ी चुनौती बनी हुई हैं । उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास भारी भरकम 11 महकमें हैं उनके कोटे से राज्यमंत्री अनुप धानक बने हैं जो उपमुख्यमंत्री के साथ जुड़े हैं । ऐसे में बीजपी के लिए हरियाणा में चुनौती कम नही हुई .। हांलाकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला कहते है कि गठबंधन की राजनीति बीजेपी से ज्यादा कोई नही जानता, बीजेपी ने गठबंधन सरकार बनाने की शुरूआत की थी ।