नागरिकता कानून पर हो रहे है धरने-प्रर्दशन

नई दिल्ली,25 दिसंबर। नए नागरिकता संशोधन कानून के बनने के बाद से ही विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी हैं । जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों का आंदोलन 13वें दिन भी जारी रहा । विरोध कर रहे छात्रों ने क्रिसमस का त्यौहार भी घटनास्थल पर ही मनाया । दूसरी तरफ नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानि एनपीआर को अपडेट करने और जनगणना 2021 की शुरूआत करने पर विवाद शुरू हो गया हैं ।
कुछ लोगों का मानना हैं कि ये देशभर में एनआरसी लाने का पहला कदम हैं । 24 दिसंबर यानी मंगलवार को केन्द्रीय कैबिनेट ने देशभर में निवासियों का डेटाबेस( NPR) अपडेट करने को मंजूरी दे दी हैं । NPR भारत में रहने वाले निवासियों का रजिस्टर हैं । कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने एक न्यूजं एंजेसी को दिए इंटरव्यू में साफ-साफ कहा हैं , एनपीआर का नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीज़न एनआरआई सी कोई संबध नही हैं । दोनों के नियम अलग -अलग हैं ।एनपीआर के डेटा का इस्तेमाल एनआरसी के लिए हो ही नही सकता ,बल्कि ये जनगणना 2021 से जुड़ा है ।
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर सबसे पहले अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में 2003 में अस्तिव में आया था । तत्कालीन सरकार ने नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करके इसमें " अवैध प्रवासी " की नई श्रेणी जोड़ी थी । वर्ष 2010 में पहली बार एनपीआर बनाया गया और इसे 2015 में अपडेट किया गया । गौरतलब हैं कि 26 नवंबर 2014 को तत्कालीन गृह राज्यमंत्री किरेन रिरजू ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर ( एनपीआर) एक ऐसा रजिस्टर है जिसमें भारत में रहने वाले सभी लोगों का ब्यौरा होगा । चाहे वो भारत के नागरिक हैं या नही । एनपीआर नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजन एनआईआरसी की तरफ हमारा पहल कदम हैं । जिसमें हर व्यक्ति की नागरिकता को वैरिफाई किया जाएगा ।