चीन ने उइगर समुदाय के दस लाख लोगों को बंदी बनाया
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संयुक्त राष्ट्र, 11 अगस्त: संयुक्त राष्ट्र की एक मानवधिकार समिति ने कहा है कि कई विश्वसनीय रपटों से पता चला है कि चीन ने 'चरमपंथी-रोधी केंद्रों' में उइगर समुदाय के 10 लाख लोगों को बंदी बना कर रखा है। संयुक्त राष्ट्र नस्लभेद उन्मूलन समिति की एक सदस्य गे मैकडौगल ने चीन पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की दो दिवसीय बैठक में शुक्रवार यह दावा किया।
उन्होंने कहा कि वह इनसे चिंतित हैं कि बीजिंग ने 'उइगर स्वायत क्षेत्र को कुछ इस तरह बदल दिया है कि यह एक विशाल नजरबंदी शिविर में तब्दील हो गया है।' चीन ने अभी तक इन रपटों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बीजिंग इससे पहले इस तरह के शिविरों से इंकार करता रहा है।
उइगर मुख्यत: चीन के शिनजियांग प्रांत में बसे मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यक हैं। उनकी आबादी के 45 प्रतिशत लोग वहां रहते हैं।
एमनेस्टी और मानवाधिकार वाच समेत मानवधिकार संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र समिति में एक रपट दाखिल की है, जिसमें शिविरों में सामूहिक बंदी बनाने का दावा किया गया है, जहां जबरन बंदियों को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वफादारी की कसम दिलवाई जाती है।
विश्व उइगर कांग्रेस ने अपनी रपट में कहा है कि बंदियों को बिना आरोप के बंदी बनाकर रखा जाता है और जबरन कम्युनिस्ट पार्टी के नारे लगाने के लिए कहा जाता है।
रपट के अनुसार, अधिकतर बंदियों पर अपराध का कोई भी आरोप नहीं है और उन्हें कोई भी कानूनी प्रतिनिधि मुहैया नहीं कराया जाता।
बीबीसी की रपट के अनुसार, यह रपट उस दिन सामने आई है, जब चीन में कई जगह धार्मिक तनाव की स्थिति बदतर हो गई है।
निंगसिया क्षेत्र में, सैकड़ों मुस्लिमों ने शुक्रवार को अपनी मस्जिद को ढहाने से बचाने की कोशिश की और इस दौरान उनकी अधिकारियों से झड़प भी हुई।