पंजाब में छह साल तक के बच्चों के सर्वपक्षीय विकास के लिए बनेगी नीति: अरुणा चौधरी

20 January, 2020, 9:22 pm

चंडीगढ़, 20 जनवरी:पंजाब के सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती अरुणा चौधरी ने आज ऐलान किया कि राज्य के 6 साल तक के बच्चों के सर्वपक्षीय विकास को यकीनी बनाने के लिए विशेष नीति बनायी जायेगी। इस मंतव्य की पूर्ति के लिए उन्होंने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को 1 फरवरी, 2020 तक सुझाव और सिफ़ारिशें भेजने की हिदायत की है। उन्होंने कहा कि विभाग की पूरी कोशिश रहेगी कि इस नीति को मंत्री मंडल से मंजूर करवा कर इस साल लागू कर दिया जाये।

आज यहाँ पंजाब भवन में ‘पंजाब स्टेट अर्ली चाईल्डहुड्ड केयर एंड एजुकेशन (ई.सी.सी.ई.) कौंसिल’ की पहली मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि इस नयी नीति ‘पंजाब स्टेट अर्ली चाईल्डहुड्ड केयर एंड एजुकेशन पॉलिसी’ के अंतर्गत राज्य के सभी सरकारी और ग़ैर सरकारी प्ले-वे स्कूल नियमित किये जाएंगे ताकि बच्चों की सुरक्षा और सर्वपक्षीय विकास यकीनी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्ले-वे स्कूलों और आंगनवाडिय़ों का पाठ्यक्रम इस तरह तैयार किया जायेगा कि बच्चों का एक समान सर्वपक्षीय विकास यकीनी बनाया जा सके। इसके अंतर्गत बच्चों को बातचीत का सलीका सिखाने के अलावा मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेज़ी सिखाने पर भी ज़ोर दिया जायेगा। इस नीति में प्ले-वे स्कूलों के लिए पेशेवर अध्यापकों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तय की जायेगी। बच्चों के लिए प्ले मटीरियल, स्कूलों में जगह, फर्नीचर, लर्निंग मटीरियल, लिटरेचर, इमारतें और उसमें दी जाने वाली सुविधाएंं और अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए मापदंड निश्चित जाएंगे।

श्रीमती चौधरी ने कहा कि इस नीति का मंतव्य सभी सरकारी और ग़ैर -सरकारी प्ले-वे स्कूलों को कानूनी तौर पर एक एक्ट अधीन लाना है। इस नीति बारे सम्बन्धित विभागों से दो हफ़्तों में सुझाव और सिफ़ारशें मंागते हुए उन्होंने कहा कि नीति की रूप-रेखा तैयार करने के लिए लोगों से भी विभाग की वैबसाईट 222.ह्यह्य2ष्स्र.श्चह्वठ्ठद्भड्डड्ढ.द्दश1.द्बठ्ठ पर सुझाव माँगे जाएंगे जिससे पंजाब के परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नीति बनाई जा सके। उन्होंने बताया कि यह नीति बनाते समय जहाँ दिव्यांग बच्चों के पक्ष को ध्यान में रखा जायेगा, वहीं इसमें बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिए पौष्टिक ख़ुराक देने पर भी ध्यान दिया जायेगा।

कैबिनेट मंत्री ने विशेष तौर पर बताया कि इस नीति में बच्चों को पारंपरिक शिक्षा की जगह नैतिक शिक्षा देने पर ज़ोर दिया जायेगा जिससे वह सामाजिक विषयों के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने और पानी के संरक्षण जैसे विषयों से परिचित हो सकें। इसी तरह लड़कियों को बुरे और अच्छे स्पर्श संबंधी भी बताया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रांतीय कौंसिल नीति तैयार करते समय ‘नेशनल अर्ली चाईल्डहुड्ड केयर एंड एजुकेशन कौंसिल’ की सिफ़ारशों को भी ध्यान में रखेगी। उन्होंने बताया कि नीति में बच्चों की सोच और कल्पना शक्ति बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ-साथ उनको लिंग समानता संबंधी जागरूक किया जायेगा। इसके साथ-साथ बच्चों को पहले से ही दी जा रही पारंपरिक शिक्षा से पैदा हो रहे तनाव से मुक्त करके उनका उत्साह बढ़ाया जायेगा।

कैबिनेट मंत्री ने बताया कि इस नयी नीति में संस्थागत और अन्य सामथ्र्य बढ़ाने और खोज वाले पहलूओं को पहल दी जायेगी। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस नीति हेतु सक्रिय भूमिका निभाने के लिए कहा। उन्होंने पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी को इस संबंधी की गई अपनी स्टडी सामाजिक सुरक्षा विभाग को सौंपने के लिए कहा जिससे नीति बनाते समय इसको ध्यान में रखा जा सके।

इस मौके पर प्रमुख सचिव सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास श्रीमती राजी पी श्रीवास्तव, डायरैक्टर श्रीमती गुरप्रीत कौर सपरा, डायरैक्टर ग्रामीण विकास एवं पंचायत श्री डी.पी.एस. खरबन्दा, अतिरिक्त सचिव वित्त श्रीमती सुरिन्दर कौर वड़ैच, डायरैक्टर स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. अवनीत कौर, डी.पी.आई. (सेकेंडरी) श्री सुखजीत पाल सिंह, डीन कॉलेज ऑफ कम्युनिटी साईंस पी.ए.यू. लुधियाना डॉ. सन्दीप बैंस, प्रोफ़ैसर और प्रमुख मानव विकास विभाग डॉ. दीपिका और एस.सी.ई.आर.टी. पंजाब से इवैल्यूएशन अफ़सर डॉ. सुनील बहल उपस्थित थे।

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