हम किसी से कम नही हैं, 5 मुस्लिम लड़कियों की ललकार

20 January, 2020, 10:33 pm

अलीपुर ( सोहना) 20 जनवरी । 

मैं गीता हूं., मैं कुरान हूं,

मुझे पढ़ मैं इंसान हूं । 

हज़ारों चेहरों में खोई हुई पहचान हूं ।

जी हां, हरियाणा के मेवात में  शिक्षा , स्वास्थ्य को लेकर महिलाओं की स्थिति  चितांजनक बनी हुई हैं । खासकर मुस्लिम महिलाओं के लिए चुनौतियां कम नही हैं । सेल्फी विद डॉटर अभियान के तहत पांच मुस्लिम लड़कियों ने अपनी पहचान वापिस लाने का बीड़ा उठाया हैं । मेवात में हर महिला के चेहरे पर मुस्कान उनकी शिक्षा और स्वास्थय को लेकर काम करेगी । ये मुस्लिम लड़कियां ब्रॉड एम्बेसड़कर के रूप में काम करेगी । ये लड़कियां हैं अरस्तुन, रिजवाना, शहनाज बानो,अंजुम इस्लाम और वसीमा । 

सेल्फी विद डॉटर के डॉयरेक्टर सुनील जागलान ने मुस्लिम समुदाय की 5 लड़कियों का चयन किया हैं । जिसका कार्यक्षेत्र होगा मेवात जो हमेशा से गरीबी, पिछड़े और अपराध के मामलें में सुर्खिया बनता हैं । सुनील जागलान कहते हैं कि इन लड़कियों का मुख्य मकसद हैं महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान फैल जाए, वो तब तक संभव नही होगा जब तक हम पुरूषों को ये अहसास नही करा देते कि महिलाओं के अधिकार किसी भी तरह से पुरूषों से कम नही हैं । नीति आयोग अपनी रिपोर्ट में मेवात में महिलाओं की स्थिति को लेकर नकारात्मक कमेंट कर चुका हैं । इसलिए मेवात को चुना हैं अगर ये मुस्लिम लड़कियां इस पिछड़े इलाके में बदलाव लाती हैं तो ये देश के लिए एक नज़ीर बनेगा । वे उम्मीद जगाते हैं कि फिर हमे महिला दिवस मनाने की आवश्कयता नही पड़ेगी ।

वसीमा भगत सिंह फूले युनिर्वसिटी सोनीपत से लॉ कर रही हैं । वे कहती हैं कि मेवात में महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति बेहद खराब हैं । एक तो महिलाओं में जानकारी का अभाव हैं । दूसरा सुविधाएं नही हैं । महावारी के समय महिलाओं को बेहद तकलीफ का समय गुजारना पड़ता हैं । सैनेटरी पेड के लिए उनकों घर की दूसरी महिलाओं पर निर्भर रहना पड़ता हैं । मेरे पड़ोस में रहने वाली एक महिला की बच्चे को जन्म देते हुए मौत हो गई । वो पांच बच्चों की मां थी । छटे बच्चे को जन्म देते ही वो मर गई और उसका बच्चा भी नही बचा । चूंकि पांचवा बच्चा भी उसे ऑपरेशन से हुआ था । मैं पहले से ही राष्टीय सेवा योजना से जुड़ी हूं। 

अंजुम इस्लाम कहती हैं कि मुझे ब्रॉड एम्बेसडर बनने से बेहद खुशी हैं । मेरे आदर्श मेरे दादा हैं जो हमेशा से लड़कियों की शिक्षा पर जोर देते रहे हैं । दूसरी लड़कियों की खुशी के लिए मैं कुछ कर सकी तो मेरे लिए ये बड़ी बात होगी । 

अरस्तुन कहती हैं कि मैं लड़कियों को समझाना चाहती हूं कि वो लड़को से कम नही हैं । बस उनमें जागरूकता की कमी हैं । बस इस जानकारी को देने के लिए मैं पूरा प्रयास करूंगी ।रिजवाना के चेहरे पर चमक साफ दिखाई देती हैं वो कहती हैं कि मैं जब मेवात से गुरूग्राम जाती हूं तो अपने आप में पिछड़ापन लगता हैं । हमारा मेवात भी गुरूग्राम की तरह चमके ये उम्मीद लेकर लोगों के बीच जाउंगी । शहनाज बानों भी ब्राॉड एम्बेसडर बनने से खुश हैं । ये पांचों लड़किया पांच-पांच गांव गोद लेगी । प्रत्येक गांव से 50 लड़कियों को शामिल करके अपनी लाडो टीम बनाएगी ।