सभी राज्यों के विधानसभा व विधानमण्डलों के विधायी कार्यों के संचालन एक जैसे हों- ओम बिरला

22 January, 2020, 9:23 pm

चंडीगढ़, 22 जनवरी- लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने कहा कि हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहां कर्म योग है, ज्ञान योग है और यह अपनी अलग संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। विकास की दृष्टि से इसे देश में बहुआयामी विकास का प्रतीक माना गया है। यहां की विधानसभा का भी एक इतिहास रहा है, जनता जिन विधायकों को पांच वर्ष के लिए चुनती है, वे उनकी आशाओं व अपेक्षाओं के रक्षक होते हैं। इसलिए यह जनप्रतिनिधि की जिम्मेवारी होती है कि वह विधायी कार्यों के संदर्भ में कानून बनाए, नीति निर्धारण कर कार्यपालिका के माध्यम से धन का सही उपयोग हो और खर्च पर नियंत्रण कर अपनी भूमिका निभाए। जनता व सरकार के बीच एक सेतु का कार्य करें। 

        वे हरियाणा विधानसभा सदन में पहली बार चुनकर आए 44 विधायिकों को विधायिका कार्य प्रणाली समझाने के लिए लोकसभा सचिवालय नई दिल्ली के लोकतंत्र के लिए संसदीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान तथा हरियाणा विधानसभा द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम (Orientation Programme) के समापन अवसर पर उपस्थित हरियाणा विधानसभा के सदस्यों व सांसदों को सम्बोधित कर रहे थे।

        श्री बिड़ला ने कहा कि राज्यों के विधानसभा व विधानमण्डल तथा देश की लोकसभा हमारे लोकतंत्र के मंदिर हैं। एक जनप्रतिनिधि जिन आशाओं व अपेक्षाओं के साथ जनता चुनकर भेजती है उन पर खरा उतरने के लिए विधायी कार्यों को पक्ष और विपक्ष तर्क व वितर्क तथा उपयोगी व सार्थक संवाद के माध्यम से पूरा करता है। जनप्रतिनिधियों को लोकतंत्र के इन मंदिरों का संचालय निर्बाध रूप से चले और इसमें किसी भी प्रकार का व्यावधान न हो। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के असीमित अधिकार भी सीमित हों। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के विधानसभा व विधानमण्डलों के विधायी कार्यों के संचालन एक जैसे हों। इसके लिए नई दिल्ली, देहरादून व लखनऊ में राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों व पीठासीन अधिकारियों की तीन-तीन दिवसीय कार्यशालों का आयोजन लोकसभा सचिवालय द्वारा किया जा चुका है।

        राज्यों की विधानसभाओं व विधानमण्डलों के निरंतर घट रही सत्रों की संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री ओम बिड़ला ने कहा कि जनप्रतिनिधि भी इन सत्रों के दौरान चर्चा व सार्थक संवाद को हंगामे की भेंट चढ़ा देते हैं, जो सही नहीं है। यह देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि वे कई देशों का भ्रमण कर चुके हैं, जहां पर सत्र कहीं तो एक वर्ष में 240 दिन, तो कहीं 150 तो कहीं 140 दिन चलते हैं।  उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत में परिवर्तन करने की आवश्यकता है और हम जनप्रतिनिधि सामूहिक रूप से इस दिशा में प्रयास कर सत्रों की संख्या बढ़ा सकते हैं और पिछले कुछ वर्षों में लोकसभा में ऐसा हुआ भी है।

        श्री ओम बिड़ला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, जो विधानसभा में सदन के नेता भी हैं, विधानसभा के सत्रों की संख्या बढ़ाने के लिए पिछले पांच वर्षों में किये गए प्रयासों की सराहना भी की। जैसा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने अपने सम्बोधन में लोकसभा अध्यक्ष को अवगत करवाया था कि हरियाणा की 10वीं, 11वीं व 12वीं विधानसभा में सत्रों की संख्या कम रही थी, जबकि 12वीं विधानसभा के दौरान सत्रों की संख्या 56 थी जिसे 13वीं विधानसभा में बढ़ाकर 86 तक किया गया और अब उनका लक्ष्य 14वीं विधानसभा के पांच वर्ष के कार्यकाल में सत्रों की संख्या बढ़ाकर 100 तक करने का है।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने सदन को इस बात से भी अवगत करवाया था कि हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में केवल बजट सत्र की अवधि ही 25 से 28 दिनों तक होती है, जो देश की अन्य विधानसभाओं के लिए एक मिसाल है।

        श्री बिड़ला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सदन में निबार्ध एवं निष्पक्ष चर्चा करनी चाहिए और सदन में जनहित से जुड़े मुद्दों को ही उठाना चाहिए और सत्र की अवधि संचालन में कभी बाधा नहीं डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र के प्रति लोग जागरूक हैं तथा इस बात का अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछली वर्षों में जितने आम चुनाव हुए हैं, उनमें मतदान प्रतिशतता में निरंतर वृद्धि हुई है और जनता के इस विश्वास को हम लोकतंत्र के मंदिरों में कानून बनाकर कार्यपालिका के माध्यम से हम पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के विधानमण्डल व विधानसभा पूरे राज्य का एक मंच पर चित्रण प्रस्तुत करने का एक माध्यम होते हैं। इसलिए जनप्रतिनिधियों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

        लोकसभा अध्यक्ष ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के उस प्रयास की भी सराहना की है, जिसमें उन्होंने कहा कि वे अपने आगामी विधानसभा बजट सत्र में बजट पेश करने से पूर्व भी विधायकों से सदन में सुझाव आमंत्रित करेंगे कि वे अपने क्षेत्र में किन विषयों व मुद्दों को बजट में शामिल करवाया चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा विधानसभा देश की ऐसी पहली विधानसभा बन जाएगी, जहां बजट प्रस्तुत करने से पूर्व ही विधायकों से सुझाव आमंत्रित किये हैं। इस नई शुरूआत के लिए श्री बिड़ला ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार हरियाणा विधानसभा देश की अन्य विधानसभाओं के लिए एक मॉडल होगी।

        उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को विधानसभा की संसदीय स्थायी समितियों में गंभीरता से भाग लेना चाहिए और इन समितियों के माध्यम से सरकार को भेजी गई सिफारिशों को सम्बंधित विभाग के साथ गंभीरता से उठाकर उसे पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में वे निश्चित रूप से नवनिर्वाचित 44 विधायकों को नया अनुभव प्राप्त हुआ होगा और वे अनुभवी विधायकों के साथ मिलकर इसे और अधिक लाभकारी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज सदन को बिन बाधित चलाने का संकल्प लेना चाहिए। श्री बिड़ला ने हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञान चंद गुप्ता का भी आभार व्यक्त किया कि जिन्होंने लोकसभा सचिवालय से इस दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम को आयोजित करने का अनुरोध किया था।