सरकार को तीन तलाक विधेयक पर कांग्रेस की बेरुखी खल रही

11 August, 2018, 6:08 pm

नई दिल्ली, 11 अगस्त: सरकार ने शनिवार को मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की प्रमुख सोनिया गांधी पर राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पारित न होने देने का आरोप लगाया और इसे मुस्लिम महिलाओं के साथ धोखा करार दिया। सरकार ने इस विधेयक को लेकर विपक्ष पर नैतिक दबाव बनाने के लिए देश के विभिन्न महिला संगठनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने शुरू करने की अपील की।

संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, सरकार ने तीन तलाक विधेयक में तीन संशोधन किए। प्रश्न यह है कि क्यों राहुल गांधीजी और सोनियाजी इस विधेयक में अड़ंगा लगा रहे हैं। वे क्यों बाधा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं? तीन तलाक विधेयक पर अड़ंगा लगाकर, वे मुस्लिम बहनों के साथ धोखा कर रहे हैं।

कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा कि जब लोकसभा में विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया था, तब वे राज्यसभा से इसे पारित होने में बार-बार व्यवधान क्यों उत्पन्न कर रहे हैं?

कुमार ने कहा, मेरे विचार से, सभी महिला संगठनों और जो संगठन लैंगिक न्याय और करोड़ों मुस्लिम बहनों के लिए कार्यरत हैं, उन्हें शांतिपूर्ण और अहिंसक प्रदर्शन शुरू करना चाहिए। उन्हें राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य विपक्षी पार्टियों पर दबाव बनाना चाहिए, ताकि तीन तलाक विधेयक पास हो सके और पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा मिल सके।

मानसून सत्र के बारे में उन्होंने कहा, सत्र की सबसे विशेष बात यह रही कि अविश्वास प्रस्ताव को हरा दिया गया और विपक्ष को करारा जवाब दिया गया कि भाजपा, राजग और इसके साथी एकजुट हैं। यह राज्यसभा उप सभापति के पद के लिए हुए चुनाव से भी साबित हुआ।

संसदीय मामलों के राज्यमंत्री विजय गोयल ने भी विपक्ष पर तीन तलाक विधेयक को पारित करने में समस्या उत्पन्न करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, हमने इस सत्र में 14 विधेयक पारित किए, जिसमें छह अध्यादेश भी शामिल हैं। तीन तलाक विधेयक भी पास हो जाता, अगर विपक्ष ने जानबूझकर व्यवधान न उत्पन्न किया होता।

उन्होंने कहा कि विपक्षियों ने इस विधेयक को लोकसभा में पारित कर दिया था, लेकिन संशोधन करने के बाद भी, इन्होंने इसे राज्यसभा में पारित होने नहीं दिया।

राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पारित न होने से भाजपा की बौखलाहट को देश समझ रहा है और वर्ष 2002 के गुजरात दंगों को याद कर सोच रहा है कि जिन लोगों ने मुस्लिम बहनों पर कहर ढाया, वे अब इनके इतने बड़े हितैषी कैसे हो गए। इस विधेयक के जरिए मुस्लिमों की आधी आबादी को वोटबैंक बनाने की राह में बाधा से उत्पन्न भाजपा की झल्लाहट को समझा जा सकता है। मुस्लिम भाइयों से नफरत मगर मुस्लिम बहनों पर इनायत, यह कैसी सियासत!