गांधी जी ने जो भी किया, पूरे मन से किया , जापान में गांधी को कुछ इस तरह से याद किया गया ।


डॉक्टर रमा शर्मा की जापान से गांधी जंयती पर विशेष रिपोर्ट
जापान के शहर Nipponzan Myohoji Kundan Dojo में महात्मा गांधी की 72वीं पुण्यतिथि मनाई गई । इस अवसर पर एक सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया । जापान भारत सर्वोदय मित्रा संघ के बैनर तले इस आयोजन में शहर के कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया । जापान में भारत के राजदूत श्री संजय कुमार वर्मा और विवेकानंद कल्चरल सेंटर के प्रोफेसर सिदार्थ सिंह विशेष रूप से आमत्रित थे ।
ष्री संजय कुमार वर्मा ने कहा कि गांधी का जन्म एक भारतीय के रूप में हुआ और वे भारतीय संस्कृति में पूरी तरह से रच-बस गए थे । इसके बावजूद गांधी ने धर्म, भाषा और जाति को धोड़कर मानवता की पूजा की । उन्होंने कहा कि समय की आवश्यकता हैं कि गांधी की शांति, सच्चाई और अंहिसा के सिद्वांत को जन-जन तक पहुंचाया जाना चाहिए ।
महात्मा गांधी के लिए सत्य की खोज ही उनके जीवन की अटूट संगति थी । गांधी ने जो भी किया , पूरे मन से किया । '' हरिजन '" के 15 फरवरी, 1942 के अंक में गांधी की भविष्यवाणी थी- वयक्तिगत रूप से मेरा विचार हैं कि विश्वयुद्व का अंत महाभारत के युद्व जैसा ही होगा । युद्व में लगे हुए देश जिस उन्माद और क्रूरता के साथ स्वयं को नष्ट कर रहे हैं उससे लगता हैं कि अंत में उन सभी की शक्ति चुक जाएगी तब विजयी देशों की वही हालत होगी जो पांडवो की हुई थी ।
महात्मा गांधी ने अपना शांतिवाद तो पहले ही जोरदार शब्दों में वर्ष 1929 में जाहिर कर दिया था । यंग इंडिया के 7 फरवरी 1929 के अंक में उन्होंने लिखा मुझे इस बात में पक्का विश्वास हैं कि युद्व एक विशुद्व बुराई हैं । मैं युद्व के प्रति अपना घृणा भाव नहीं छोडूंगा ।