अयोध्या में रामलला 27 साल 3 महीने और 20 दिन के बाद टेंट से मंदिर पहुंचे रामलला

25 March, 2020, 6:38 pm

 अयोध्या ,रामायण की एक  चौपाई है । 

 प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कोसलपुर राजा।

इसका अर्थ ये हैं कि अयोध्या के राजा का मनन करते हुए या उन्हें हृदय में रखकर कोई भी काम किया जाए तो सब कार्य  संपन्न होते है।  इसलिए  देशवासियों की आस्था और विश्वास से   भगवान रामलला को 27 साल तीन महीने और 20 दिन के बाद बुधवार को अस्थायी मंदिर में प्रतिस्थापित कर दिया हे । इस अवसर पर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे । मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि  प्रभु राम  की कृपा से कोरोनावायरस   से राहत मिल जायगी ।

 

रामलला जिस मंदिर में प्रस्थापित किये गए है  ये 24 फीट लंबा, 17 फीट चौड़ा और 19 फीट ऊंचा है,27 इंच का शिखर है। इस भवन की बाहरी दीवार जर्मन फाइन और अंदर रशियन के स्तुनिया शहर की फाइल लगी है। लकड़ी जैसी दिखने वाले इस मंदिर में तीन तरफ से शीशे लगे हैं। भवन की खासियत है कि इसमें तापमान का असर नहीं पड़ता है। अस्थायी मंदिर के बाहर 27 फीट ऊंचा लोहे का जाल है। 5 फीट की गैलरी श्रद्धालुओं के लिए बनाई गई है। सामने से दर्शन के लिए रंग मंडप बना है। मंदिर के अंदर चारों तरफ रामायण के प्रसंगों के चित्र बने हुए हैं। दर्शन की गैलरी में टाइल्स लगाई गई है। रामलला के अस्थाई मंदिर में विराजमान होने के साथ ही अब श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए ज्यादा दूरी नहीं तय करनी पड़ेगी। साथ ही काफी करीब से रामलला के दर्शन शुरू हो गए हैं।

 

सीएम योगी ने दिया 11 लाख रुपये का चेक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान रामलला को अस्थायी मंदिर में शिफ्ट कराया। यह अस्थायी मंदिर राम जन्मभूमि परिसर में मानस भवन के नजदीक बनाया गया है। भगवान रामलला यहां मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने तक रहेंगे। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर निर्माण के लिए 11 लाख रुपये का चेक भी सौंपा।

भगवान रामलला को प्रतिस्थापित होने के साथ ही उनकी विशेष आरती भी की गई। बुधवार को सुबह ब्रह्म मूहूर्त में करीब 4 बजे श्रीरामजन्मभूमि परिसर में स्थित गर्भगृह में रामलला को स्नान और पूजा-अर्चना के बाद अस्थायी मंदिर में शिफ्ट कर दिया गया। फाइबर के नए मंदिर में रामलला को विराजमान करने के लिए अयोध्या के राजघराने की तरफ से चांदी का सिंहासन भेंट किया गया है। साढ़े नौ किलो का यह सिंहासन जयपुर से बनवाया गया हे।