रोपड़ पुलिस और लोगों ने मिलकर कोरोना के ख़तरे से निपटने के लिए 424 VILLAGES TO SELF-ISOLATE 424 गांवों ने एकांतवास अपनाया

रोपड़ / चंडीगढ़, 30 मार्च:कोविड-19 के बड़े खतरे का मुकाबला करने के लिए रोपड़ पुलिस सार्वजनिक समर्थन के द्वारा पूरी तरह तैयार नजऱ आ रही है क्योंकि पहले ही कोरोना के ख़तरनाक विषाणु को फैलने से रोकने के लिए लगभग 70 फीसदी गाँवों को स्वै-एकांतवास में रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है जो अपने आप में एक मिसाल से कम नहीं है। इसमें जि़ला प्रशासन द्वारा लोगों को ज़रूरी चीजें मुहैया करवाने और नौजवानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
रोपड़ के एसएसपी स्वप्निल शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि तीन अति संवेदनशील स्थानों से घिरे जिले को अब तक सुरक्षित रखने के लिए प्री-इम्पेटिव सट्रेट्जी समेत 1200 वलंटियरों ने निश्चित रूप में कारगर काम किया है। इस इलाके में विदेश से वापस आए 440 व्यक्ति क्वारंटाइन अधीन हैं; 14 संदिग्ध व्यक्तियों के नमूनों में से 11 पहले ही नेगेटिव पाए गए हैं। तीन अन्य के टैस्ट नतीजों का इन्तज़ार है।
अन्य जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए पंचायतों, युवा क्लबों और वलंटियरों की सहायता ली जा रही है क्योंकि जि़ले के 424 गाँवों जिनकी आबादी करीब 74 फीसदी है, को जागरूक करने में नेतृत्व कर रहे हैं। एसएसपी स्वप्निल शर्मा ने आगे कहा कि इन वलंटियरों को सोशल मीडिया समूहों के द्वारा नवीनतम दिशा-निर्देशों और प्रक्रियाओं संबंधी जानकारी दी जा रही है, जो कि जि़ला हैडक्वाटरों में पुलिस वॉर रूम में चलाए जाते हैं।
कफ्र्यू लागू होने के बाद पिछले आठ दिनों में पहले ही पके हुए खाने के 30,000 से अधिक पैकेट और 17,600 पैकेट सूखे राशन के बाँटे जा चुके हैं।
एसएसपी ने आगे कहा कि हम सभी इकठ्ठा होकर इकाई के रूप में काम कर रहे हैं, जिसमें सभी सरपंच, लम्बरदार, चौकीदार और पूर्व सैनिक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि गाँव के गुरुद्वारा साहिब और मंदिरों ने स्वास्थ्य विभाग और सरकार की सभी हिदायतें और एडवाईजऱीज़ को लोगों तक पहुँचाने के लिए प्रभावशाली ढंग से सहायता की है।
अन्य जानकारी साझी करते हुए एस.पी. हैडक्वाटर रोपड़ जगजीत सिंह ने बताया कि किसी भी समय जि़ला पुलिस कार्यालय में सूखे राशन के 500 फूड पैकेट आसानी से उपलब्ध हैं। एक पैकेट 14 भोजन तैयार करने के लिए काफ़ी है। भोजन सम्बन्धी जब भी 112 पर कोई कॉल आती है तो जि़ला पुलिस की समर्पित टीमें तुरंत ज़रूरतमंदों को खाने के पैकेट मुहैया करवाती हैं।
उन्होंने कहा कि मेरी पंचायत ने लोगों को गाँव से बाहर न जाने के लिए प्रेरित किया है। किसी को भी उनके रिश्तेदारों को मिलने नहीं दिया जा रहा और न ही किसी को गाँव के अंदर आने दिया जाता है। यह एमरजैंसी का समय है और हर किसी द्वारा संयम से काम लेने की ज़रूरत है। पंजाबियों के लिए मुश्किलें जि़ंदगी जीने का एक ढंग है।
गाँव अकबरपुर के समाज सेवक गुरचरन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार और पुलिस हमारी सहायता के लिए आ गई है। हर समस्या का हल किया जा रहा है और नागरिक पुलिस के साथ सहयोग कर रहे हैं। कुछ समस्याएँ पैदा होती हैं परन्तु हम उनको मिलकर हल करते हैं।
गाँव वालमगढ़ के सरपंच जसवंत सिंह ने बताया कि राशन, सब्जियों और दवाओं वाला एक वाहन दिन में दो बार मेरे गाँव की एंट्री वाली जगह पर आता है। एमरजैंसी के मामले में हम 112 डायल करते हैं और पुलिस का प्रतिक्रिया प्रशंसनीय है।