COVID-19 तीन महीनों तक पंजाब के सभी मंत्री वेतन नही लेगे, पंजाब में मौजूदा आर्थिक संकट के कारण लिया ये फैसला

चंडीगढ़, 16 अप्रैल:COVID-19 पंजाब के सभी मंत्रियों ने अगले तीन महीने का वेतन न लेने का फ़ैसला किया है। मुख्य सचिव ने सभी सरकारी कर्मचारियों से अपील की है कि वह राज्य को अनिर्धारित संकट से निपटने के लिए मदद करते हुए स्वैच्छा से अपने वेतन में कटौती करें।कोविड -19 संकट के कारण राज्य को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 22000 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे को देखते हुए
यह फ़ैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता अधीन हाल ही में बनाई गई वित्त सब-कमेटी की मीटिंग में लिया गया, जो कोविड -19 महामारी और कफ्र्यू /लॉकडाउन के वित्तीय प्रभावों का जायज़ा लेने और मौजूदा संकट से निपटने के लिए घाटे की भरपाई के लिए तरीके ढूँढने के लिए बुलाई गई थी।
वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने मीटिंग में जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए राज्य को 88000 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र होने का अनुमान था, परन्तु अब सिफऱ् 66000 करोड़ रुपए का ही राजस्व एकत्र होने का अनुमान है क्योंकि कफ्र्यू /लॉकडाउन के चलते सारा कारोबार, टैक्स प्राप्तियाँ आदि घटने के कारण जी.एस.टी. का संग्रह भी कम होना है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मीटिंग के उपरांत राज्य के सभी मंत्रियों ने स्वैच्छा से अगले तीन महीने का अपना सारा वेतन मुख्यमंत्री कोविड राहत कोष के लिए दान करने का फ़ैसला किया।
इसके बाद मुख्यमंत्री जो किसी भी सरकारी कर्मचारी का वेतन लाजि़मी काटने के हक में नहीं थे, के दिशा-निर्देशों पर मुख्य सचिव करन अवतार सिंह ने अपील करते हुए कहा, ‘‘सभी सरकारी कर्मचारी, पी.एस.यूज़, स्थानीय निकाय, बोर्डों और कोर्पोरेशनों के कर्मचारी अपनी स्वैच्छा से अपना वेतन और भत्ते कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए सरकारी मिशन में हिस्सा डालने के लिए योगदान डालें।’’ मुख्य सचिव ने सुझाव दिया कि सरकारी मुलाजि़मों द्वारा भी मुख्यमंत्री राहत कोष में योगदान दिया जाए, जिसके अंतर्गत अप्रैल, मई और जून 2020 की महीनावार वेतन में से दर्जा ‘ए’ और ‘बी’ के मुलाजि़मों को 30 प्रतिशत, दर्जा ‘सी’ के मुलाजि़मों को 20 प्रतिशत और दर्जा ‘डी’ के 10 प्रतिशत का योगदान राहत कोष में डालना चाहिए जिससे ख़तरनाक महामारी से निपटने के साथ-साथ मौजूदा संकट के कारण पडऩे वाले बड़े घाटे की भरपाई के लिए सरकार के यत्नों को मज़बूत किया जा सके।
मीटिंग के दौरान वर्तमान स्थिति में राजस्व बढ़ाने के लिए कई और कदमों पर भी विचार किया गया। मौजूदा संकट के कारण राज्य गंभीर वित्तीय घाटे का सामना कर रहा है जो कम- से -कम कुछ और तिमाही जारी रहने के आसार हैं। मुख्यमंत्री ने कमेटी के सदस्यों को इस संकट से निपटने के लिए ओर नवीनतम कदम ढूँढने के लिए कहा।
मनप्रीत सिंह बादल ने मीटिंग के दौरान बताया कि सभी निर्माण /उत्पादन कार्य मुकम्मल तौर पर ठप्प पड़े हैं और ट्रांसपोर्ट /आबकारी /स्टैंप ड्यूटी आदि के रूप में कोई टैक्स /ड्यूटी भी नहीं आते जिसके कारण राजस्व की प्राप्तियों में 22000 करोड़ रुपए की कमी हो गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि जी.एस.टी. की वसूली पिछले साल की अपेक्षा बहुत कम हो गई है और केंद्र सरकार ने अभी तक जी.एस.टी. के बकाए की बड़ी राशि का भुगतान करना है जिसके कारण आने वाले महीनों में स्थिति और खराब होगी। उन्होंने बताया कि राज्य को अभी तक केंद्र सरकार से कोविड राहत के लिए कोई विशेष वित्तीय पैकेज हासिल नहीं हुआ है।
एक प्रवक्तो ने बताया कि राज्य में राजस्व बढ़ाने और विभागों के खर्चों में कटौती करने संबंधी सब-कमेटी एक-दो दिनों में दोबारा मीटिंग करेगी, जिससे आम सरकारी खर्चों के अलावा कोविड से सम्बन्धित मैडीकल और राहत कामों के खर्चों को पूरा किया जा सके।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में कोविड-19 महामारी के फैलाव को रोकने के लिए सरकारी मुलाजि़मों द्वारा किये जा रहे यत्नों की सराहना की। उन्होंने इस कठिन समय में सहयोग देने के लिए आम लोगों का भी धन्यवाद किया।