किसानों को पानी बचाने के लिए वैकल्पिक फसले उगाने की सलाह पर ,जानिए किन-किन पंचायतों ने अमल किया

4 May, 2020, 9:12 pm

चंडीगढ़, 4 मई- ऊँ अपोवा इदं सर्वम् विश्व भूतानी आप:

प्रणव आप: पाशवा आप: अन्नम आप:अमर्त्यम आप:

सम्राट आप: विराट आप: स्वराट आप: चंदामसी आप:ज्योतिस्मि आपः यजुमशी आप:सत्यम आप:सर्वे देवता आप:भुर, भुवः, सुवः आपः सर्वा !

(नदी सूक्त:ऋग्वेद-10.75)

भारतीय दर्शन कहता हैं कि पानी अमर है वह सृष्टि के विनाश के बाद भी रहेगा ,लेकिन भारतीय दर्शन इस बात पर भी बल देता हैं कि पानी का होना पर्याप्त नही हैं,लेकिन पानी की पवित्रता को कायम रखना उतना ही महत्वपूर्ण हैं । लेकिन  डार्क जोन, दिन-प्रतिदिन गिरता भू-जल तथा भू-जल का अत्यधिक दोहन हमारे लिए चुनौती बन गए हैं । दुनिया भर में ऐसा माना जा रहा है कि यदि तीसरा विश्व युद्ध होगा तो वह पानी के लिए होगा। ये चेतावनी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दी हैं । वे आज जल संरक्षण को लेकर हरियाणा की जनता से बात कर रहे थे ।

उन्होंने कहा कि रबी फसल की कटाई के बाद अब खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी करने का समय आ गया है और धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे मक्का, अरहर, ग्वार, तिल, ग्रीष्म मूंग (बैशाखी मूंग) व अन्य फसलों की बुआई करें। उन्होंने यह भी बताया कि इस दिशा में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी जल संरक्षण की नई योजनाएं तैयार कर रहा है और इसमें किसान नेताओं व प्रगतिशील किसानों से सुझाव आमंत्रित किये गए हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों से भी आह्वïान किया है कि वे भी अपने सुझाव विभाग को भिजवाएं।

         पिछले वर्ष  उनकी पहल पर धान बाहुल्य जिलों में 50,000 हैक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल के स्थान पर मक्का, अरहर व अन्य फसलों उगाने के लिए ‘फसल विविधीकरण पायलट योजना’ की शुरूआत को उन्होंने सफल बनाकर देश के समक्ष एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा कि अब इस क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर इस वर्ष के लिए 1,00,000 हैक्टेयर क्षेत्र किया गया है। इसके लिए किसानों को अपना मन बनाना होगा कि आगामी खरीफ फसल बुआई की तैयारी करने से पहले ही यह तय कर ले कि हमें धान नहीं बल्कि अन्य वैकल्पिक फसलें अपनानी होगी ताकि हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए पानी की बचत सुनिश्चित कर सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चरखी दादरी जिले की ग्राम पंचायत पैंतावास कलां ने अपने गांव में धान की फसल न बोने का संकल्प लेकर एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जोकि किसी भी पंचायत के लिए एक बड़ी सोच है और यह प्रदेश की अन्य पंचायतों के लिए भी एक प्रेरणा का काम करेगी।

मुख्यमंत्री ने किसान यह भी अपील की है कि जो किसान पंचायती जमीन ठेके पर लेकर खेती करते हैं वे धान के स्थान पर मक्का, अरहर व अन्य फसलों की ही बुआई करें और सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘जल ही जीवन है’ अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दें।

        उन्होंने कहा कि हमें यह बात समझनी चाहिए कि एक किलोग्राम चावल उगाने पर 3000 से 5000 लीटर पानी की खपत होती है। उन्होंने कहा कि इस बार कोरोना महामारी के चलते धान की रोपाई के लिए प्रवासी मजदूरों की उपलब्धता भी एक बड़ी समस्या बन गई है।

मुख्यमंत्री ने किसानों से यह भी अपील की है कि वे गेहूं की फसल की कटाई के बाद धान की बजाय ढैंचा लगाएं, जो पशु चारे के साथ-साथ हरी खाद का काम भी करता है। आमतौर पर  किसान कुछ समय बाद ढैंचे की फसल की खेत में जुताई कर देता है और इससे भूमि की उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा हरियाणा बीज विकास निगम के माध्यम से प्रदेश में ढैंचा का लगभग 29000 क्विंटल बीज उपलब्ध करवाया गया है। इसलिए जो किसान ढैंचा लगाने के इच्छुक हैं तो वे मंडियों से जब गेहूं की फसल बेचकर जाएं तो हरियाणा बीज विकास निगम के केन्द्रों से बीज लेकर जाएं।