COVID-19 आर्थिक संकट से उभरने के लिए पंजाब ने केंद्र से 51,102 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद मांगी
चंडीगढ़, 27 मई:कोविड महामारी और लंबे लॉकडाउन के कारण पैदा हुए वित्तीय संकट और बढ़ रही आर्थिक मुश्किलों में से राज्य को बाहर निकालने में सहायता के लिए पंजाब सरकार द्वारा केंद्र सरकार से 51,102 करोड़ की वित्तीय सहायता लेने का फैसला किया गया है।
इस संबंधी तैयार माँग पत्र को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में हुई पंजाब मंत्रीमंडल की मीटिंग में आज मंजूरी दी गई है। मंत्रीमंडल द्वारा केंद्र सरकार को सौंपे जाने से पहले इस माँग पत्र में संशोधन के अधिकार मुख्यमंत्री को दिए गए हैं।
इसके अलावा 21,500 करोड़ की सीधी वित्तीय सहायता के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा लंबे समय के सी.सी.एल कर्जे को खत्म करने की माँग रखी गई है जोकि राज्य सरकार को वित्तीय पक्ष से फिर मजबूत करने के लिए जरूरी है। इसके अलावा माँग पत्र के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 दौरान सभी केंद्रीय स्कीमों के अंतर्गत सौ प्रतिशत फंड केंद्र सरकार द्वारा मुहैया करवाए जाने के लिए कहा गया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के अनुसार कोविड के बाद स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को प्रमुखता की सूची में रखते हुए राज्य द्वारा 6603 करोड़ की प्रस्तावित माँग रखी गई है जिससे लंबे समय के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार लाया जा सके।
इसमें राज्य में 650 करोड़ की लागत के साथ वायरोलॉजी का आधुनिक केंद्र स्थापित करने के लिए मंजूरी दिए जाने को भी शामिल किया गया है जिसके लिए पंजाब सरकार द्वारा अपेक्षित जमीन मुफ्त मुहैया करने के लिए पहले ही पेशकश की जा चुकी है।
मैमोरंडम में ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 को फैलाने से रोकने के लिए गाँवों में तरल और ठोस कूड़े के प्रबंधन के लिए 5,068 करोड़ रपुए की सहायता की माँग की गई है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए मनरेगा लक्ष्यों और पूँजीगत लागत को बढ़ाने की भी माँग की गई है।
माँग पत्र के जरिये कृषि और फार्मिंग क्षेत्र के लिए करीब 12,560 करोड़ की माँग की गई है खासतौर पर इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, आय को उत्साहित करने और ब्याज वित्तीय सहायता आदि के लिए। इसी तरह कुल 1,161 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता की माँग पशु पालन और डेयरी क्षेत्र के लिए की गई है।
शहरी विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय शहरी रोजगार गारंटी एक्ट (एन.यू.ई.जी.ए) को प्रस्तावित किया गया है ताकि इन क्षेत्रों में रोजगार मुहैया हो सके। इसके साथ ही कुछ रियायतों समेत अमरुत, स्मार्ट सिटी, पी.एम.ए.वाई. आदि स्कीमों के अंतर्गत 2,302 करोड़ रुपए के अतिरिक्त वित्तीय ढांचे की माँग की गई है। इसके अलावा आय घाटे के एवज में 1,137 करोड़ के अनुदान की माँग की गई है।
कोविड के साथ पैदा हुए हालातों को देखते हुए मानव साधनों के विकास को माँग पत्र में प्रमुखता देते हुए राज्य सरकार द्वारा 3,073 करोड़ की माँग की गई है ताकि स्कूलों में कौशल विकास और अन्य जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ कोविड के बाद के हालातों के लिए तैयार हुआ जा सके।
प्रवक्ता के अनुसार इसके अलावा केंद्र सरकार से औद्योगिक क्षेत्रों खासकर मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्योगों, ब्याज माफी, अधिक ई.एस.आई /ई.पी.एफ योगदान, अधिक ब्याज वित्तीय सहायता, जल्द जी.एस.टी रिफंडों के लिए सहायता की माँग की गई है।
कैबिनेट ने इस पहलू पर विचार किया कि पंजाब सरकार द्वारा राज्य की वित्तीय मजबूती के लिए पिछले तीन सालों के दौरान लगातार किये गंभीर प्रयासों को लॉकडाउन ने गहरी चोट पहुंचाई है। केंद्र सरकार के पास और ज्यादा वित्तीय स्रोत /शक्तियां हैं जबकि राज्य सरकार के पास एसे साधन बहुत सीमित हैं खासकर जी.एस.टी लागू होने के उपरांत।
सामान्य वर्ग की श्रेणी के राज्यों में पंजाब ऐसा राज्य है जिस पर कर्ज का भार सबसे ज्यादा है। पंजाब पर राज्य की सकल घरेलू उत्पाद की 40.7 फीसदी रेशो के हिसाब से कर्ज बकाया है, जोकि महाराष्ट्र (17.9 फीसदी), कर्नाटका (18.2 फीसदी), गुजरात (20.2 फीसदी), तामिलनाडु (ं22.3 फीसदी), आंध्रप्रदेश (28.9 फीसदी), केरल (30.9 फीसदी) और पश्चिमी बंगाल (37.1 फीसदी) राज्यों की अपेक्षा काफी ज्यादा है। राज्य द्वारा पिछले तीन सालों के दौरान कर्ज /सकल घरेलू उत्पाद की रेशो घटाने के लिए निरंतर यत्न किये गए हैं। यह 2016-17 में 42.75 फीसदी था जो 2017-18 में 40.77 फीसदी रह गया और 2018-19 में घटकर 40.61 पर पहुंच गया और 2019-20 में घटकर 39.83 फीसदी रह गया।
उम्मीद है कि राज्य की यह रेशो घटने की प्रवृत्ति जारी रहेगी और कर्ज /जी.एस.डी.पी की मौजूदा रेशो दर घटकर साल 2020-21 में 38.53 फीसदी रह जायेगी। परन्तु कोविड-19 के कारण पैदा हुए हालातों ने इन यत्नों को बड़ी चोट पहुंचाई है।