किसान की खेती पर संकट, किसान संगठन मोदी सरकार के खिलाफ हुए लामबंद

8 June, 2020, 10:51 am

 नई दिल्ली, 8 जून 2020।   किसानों की तकलीफे कम होने का नाम नही ले रही , हरियाणा सरकार ने गेहूं खरीद पर रोक लगा दी हैं । इस कारण किसान अपनी फसल बेचने के लिए परेशान हैं । गेहूं न खरीदने के पीछे हरियाणा सरकार की दलील हैं कि जितने किसानों ने मेरी -फसल -मेरा ब्योरा पोर्टल पर गेहूं बेचने के लिए अपना पंजीकरण कराया था , उन सभी को मैसेज भेजकर मंडियों में बुलाया गया था और उनकी गेहूं की खरीद की हैं । हरियाणा सरकार का दावा हैं कि किसानों की 76 लाख मीट्रिक टन गेंहूं खरीदा गया हैं ।

लेकिन ये तस्वीर का एक पहलू हैं कि किसान आज  अपने को ठगा सा महसूस कर रहा हैं । कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन के चलते किसानों को मजदूर नही मिले जैसे -तैसे फसल खेतों से काटी और तैयार की ऐसे में हरियाणा सरकार ने फरमान जारी कर दिया कि अब फसल की खरीद नही होगी ।

स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष  वेदप्रकाश विद्रोही कहते हैं कि हरियाणा में गेहूं, सरसों, चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही खरीद को अघोषित रूप से बंद करने पर भाजपा- किसान की रबी फसलों का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लिया है? और यदि नहीं खरीदा तो क्या एक-एक दाना खरीदने का दावा मात्र एक जुमला था!

            विद्रोही ने मुख्यमंत्री से जानना चाहा प्रदेश में कितने किसानों ने 2019-20 की रबी फसल के रूप में अपने-अपने खेतों में गेहूं, चना, सरसों फसल बोई थी और इनमें कितने किसानों की फसलें सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी है, हरियाणा सरकार को  इसका  ब्यौरा देना चाहिए , वास्तविकता यह है किसानों के रबी फसलों का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदने की बात तो बहुत दूर की कौड़ी है सरकार ने मुश्किल से 30 प्रतिशत किसानों की फसलें ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदकर लगभग 70 प्रतिशत किसानों को अनाज व्यापारियों के रहमो-करम पर छोड़ दिया1

                   विद्रोही तो यहां तक कहते हैं कि सरसों फसल की न्यूनतम समर्थन खरीद में भारी घोटाला हुआ है , वहीं गेहूं, चने की फसल की खरीद में भी घोटाला हुआ है1 कोविड-19 संकट का फायदा उठाकर  व्यापारियों से मिलीभगत करके सरकार ने किसानों की बजाय बिचौलियों के सरसों, गेहूं, चना खरीदकर किसानों के साथ धोखाधड़ी की है1 विद्रोही ने कहा न्यूनतम समर्थन मूल्य का तो ही अर्थ होता है कि कोई भी फसल उत्पादन सरकार द्वारा घोषित एमएसपी से कम भाव पर किसानों की न बिके1 जहां-जहां किसानों को जिस फसल का न्यूनतम समर्थन नहीं मिल रहा उसकी जवाबदेही किसकी है?    

संजीव कौशल ,अतिरिक्त मुख्य सचिव ,कृषि विभाग कहते हैं कि पंजीकृत किसानों का सौ फीसदी गेहूं खरीदी जा चुकी हैं आढ़तियों 12 हजार 218 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया हैं । इधर  किसान अपनी फसल बेचने में तो लाचार हैं दूसरी तरफ कृषि सुधारों ने किसानों के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं ।

भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा ईकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चडूनी कहते हैं कि    केंद्र सरकार की यह योजना केवल पुजीपतियों के लिए कृषि बाजार में जमीन तैयार करना है क्योकि किसानो के लिए सारे देश मे  कोई भी फसल  कंही भी बेचेने का कानून तो पहले से ही है लेकिन छोटे छोटे किसान जिनके पास 2 एकड़ भूमि या इससे कम है वह अपनी फसल दूसरे स्थानो में ले जाने में असमर्थ होता है इस कानून का सहारा लेकर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी हाथ खिच रही है । 

किसानों के सामने कई चुनौतिया खडी हो गई हैं । कृषि सुधार से जुडे अध्यादेशों से भी किसान संगठनों में उबाल आ गया हैं । पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने  कहा कि मोदी सरकार किसानों की कमर तोड़ने पर लगी हुई हैं । आवश्यक वस्तु अधिनियम अध्यादेश 2020 को लेकर उन्होंने कहा कि ये किसानों को उसकी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित करने का तरीका हैं । 

गुरनाम सिंह चडूनी कहते हैं  मोदी सरकार की पूरी कवायद खेती को पूजीपतियों के हाथों में सौपने की हैं  कि वे जरूरी " खाद्य वस्तु अधिनियम "से पाबंदी हटाने को इसी दिशा में पहला कदम मानते हैं । वे कहते हैं- खाद्य वस्तुओ जैसे अनाज, दालें, आलू, प्याज आदि को इसलिए बाहर किया गया है ताकि सारा कृषि व्यापार बड़े पुजीपतियों के हवाले किया जा सके

ऐसे में बड़े पूंजीपतियों की कंपनिया आपस में पूल करके देश के किसानों का  शोषण करेगी , किसान  मजबूरी में  खेती छोड़गे ।  ये कंपनिया खेती पर कब्जा करती जाएगी ओर  एक दिन पूरा किसान खेती से बाहर हो जाएगा। खाद्य वस्तुओ की स्टाक सीमा को समाप्त करने से चंद पूंजीपति ही सारे देश का खाद्यान स्टाक कर लेगे इससे दो प्रकार के नुकसान होने की पूरी संभवना है

.   मौजूदा मंडी व्यवस्था को खत्म करने से मंडियों का दायरा और सीमित कर दिया जाएगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद बंद होने से किसान एकदम बर्बाद हो जाएगा । 

गौरतलब हैं कि मोदी कैबिनेट ने 3 जून को कृषि सुधारों के तीन अध्यादेशों की राष्टपति ने 5 जून को मंजूरी दे दी थी । जिसमें मूल्य आश्वासन कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षण अध्यादेश 2020 ,कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सुविधा ,अध्यादेश 2020 और आवश्यक वस्तु अधिनियम अध्यादेश 2020 शामिल हैं ।