किसानों की सुरक्षा के लिए कोई भी बलिदान करने के लिए तैयार हूँ -कैप्टन अमरिन्दर सिंह

1 July, 2020, 11:20 pm

चंडीगढ़, 1 जुलाई: पंजाब के  किसान संगठनों ने केन्द्र सरकार से  किसान और संघीय ढ़ांचे के खिलाफ आर्डिनेस और  बिजली संशोधन एक्ट में प्रस्तावित संशोधन को वापस लेने की जोरदार मांग की हैं । मुख्यमंत्री की तरफ से वीडियो काँफ्रेंसिंग के द्वारा बुलायी मीटिंग में हिस्सा लेते हुये यूनियन नेताओं ने कहा कि हाल ही में जारी किये आर्डीनैंस और बिजली एक्ट -2003 में प्रस्तावित संशोधन पूरी तरह किसान विरोधी प्रतीत होते हैं। मीटिंग के अंत में सर्वसम्मति से पास किये प्रस्ताव में किसान नेताओं ने कहा, ‘यह आर्डीनैंस और प्रस्तावित संशोधन देश  के संघीय ढांचे पर सीधा हमला हैं जिस कारण इनको वापिस लिया जाना चाहिए।’


 कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘हम सभी को अपने राजनैतिक विभिन्नताओं के बावजूद एकजुट होना चाहिए।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य और यहाँ के किसानों के हितों की रक्षा के लिए वह कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार हैं और सतुलज यमुना लिंक नहर के पानी के वितरण के मसले के मौके पर भी उन्होंने इस तरह ही किया था।
केंद्र सरकार की तरफ से किसानों और सैनिकों के योगदान के महत्व  को घटाने की कड़ी  आलोचना करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में केंद्र ने ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे में से किसान को भुला दिया है और यह नारे पंजाब के किसानों की तरफ से भारत को आत्म -निर्भर बनाने के मौके मुल्क भर में गूँजते होते थे। उन्होंने कहा कि अब और राज्य भी अनाज का उत्पादन करने लगे हैं और ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने जहाँ पंजाब के किसानों को दरकिनार कर दिया है,

केंद्र सरकार पर राज्यों की सभी शक्तियों को हथियाने  की  कोशिशों  का आरोप लगाते हुए  मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमें  एकजुट होकर  आवाज़ बुलंद करके दिल्ली को सख्त संदेश देना चाहिए कि हम ऐसा होने की हरगिज़ इजाज़त नहीं देंगे। हर व्यक्ति चाहे कोई बच्चा हो, केंद्र सरकार के इन मंसूबों को देख सकता है कि कैसे वह पंजाब को तबाह करना चाहता है और यहाँ तक कि किसानों से मुफ़्त बिजली भी वापिस लेने की ताक में है। तेल की बढ़ती कीमतों का हवाला देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने पहले ही वृद्धि वापिस लेने का प्रस्ताव पास किया है क्योंकि इस वृद्धि से किसानों और आम लोग पर बोझ पड़ा है।


उन्होंने कहा कि इन आर्डीनैंसों के साथ पंजाब मंडी बोर्ड और ग्रामीण विकास बोर्ड को सालाना 3900 करोड़ रुपए के नुकसान के अलावा भारत के अनाज भंडार में आत्म -निर्भरता को तबाह कर देंगे जो राज्य के किसानों ने देश को अपने अकेले कुदरती स्रोत पानी का बड़ा मूल्य लौटा कर दी है।
अकालियों पर दोहरे मापदंड अपनाने का दोष लगाते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि वह अकालियों के साथ के बिना ही कृषि क्षेत्र को तबाह कर देने वाले केंद्र के संघीय ढांचे के विरोधी इस कदम का किसान यूनियनों को साथ लेकर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खि़लाफ़ साझी लड़ाई लडऩे के लिए अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी साथ लेने की कोशिश करेंगे।


मीटिंग के दौरान किसान यूनियनों ने अकालियों की अपनी राजनैतिक खाहिशों को आगे बढ़ाने के लिए राज्य के हितों की रक्षा में असफल रहने का हवाला देते हुये शिरोमणि अकाली दल के नेता हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफे की माँग की। उन्होंने महसूस किया कि शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा के राजनैतिक आकाओं, जिनके साथ वह इस मसले पर मिले हुए हैं, के लिए किसानों के हितों की मुकम्मल रूप में बलिदान दे दिया है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य के हितों का ह्रास होने से बचाना है और नतीजे हासिल करने हैं तो सभी राजनैतिक पार्टियों को घटिया राजनीति से ऊपर उठ कर सांझे रूप में लडऩा चाहिए।

भारतीय किसान यूनियन (मान ग्रुप) के राष्ट्रीय प्रधान भुपिन्दर सिंह मान ने कहा कि उनकी जत्थेबंदी इन आर्डीनैसों के खि़लाफ़ लड़ाई में पूरी तरह राज्य सरकार के साथ है और कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह किसानों के धरनों में फिर ज़रूर शामिल हों जिस तरह उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर अपने पिछले कार्यकाल के दौरान किया था। इस पर मुख्यमंत्री ने यह कहा, ‘मैं किसी भी समय जाने के लिए तैयार हूँ, परन्तु उन्होंने याद करवाया कि यह लड़ाई केंद्र के खि़लाफ़ है और इसलिए वह सडक़ें बंद करने, रेलें रोकने जैसे सख्त कदम न उठाएं जिससे राज्य के लिए मुश्किलें खड़ी हों।
किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी (पिद्दी ग्रुप) के प्रधान सतनाम सिंह पन्नू ने आर्डीनैंसों को व्यापारियों और कारर्पोरेटों के हक वाले करार दिया और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान कि अंतर -राष्ट्रीय स्तर पर उत्पाद सस्ते उपलब्ध हैं, की तरफ इशारा करते हुये कहा कि यह स्पष्ट इशारा है कि भारत सरकार खरीद प्रक्रिया से पीछे हटने का मन बना चुकी है।
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि आर्डीनैंस एक दिन में नहीं आए और शांता कुमार कमेटी की सिफारशें सुझाव देती हैं कि केंद्र के इरादे शुरू से ही ठीक नहीं थे। उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन बिल भी राज्य के हकों पर काबिज़ होने की तरफ ही साधा हुये हैं।
भाजपा पर स्वामीनाथन कमेटी रिपोर्ट लागू करने के अपने वायदे से पीछे हटने का दोष लगाते हुये भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के जनरल सचिव हरिन्दर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि केंद्र के खरीद प्रक्रिया और न्युनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था जारी रखने के वायदे पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यह कहते हुये कि मंडी व्यवस्था के बिना किसी नुक्स के किसानों के भले के लिए ही काम किया, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब को बर्बाद कर रही है।
भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के प्रदेश जनरल सचिव जगमोहन सिंह ने आर्डीनैंसों को केंद्र सरकार द्वारा तिहरा कत्ल करार दिया और कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने भी अपने राजनैतिक हितों की पूर्ति के लिए अपने संघीय ढांचे के एजंडे का बलिदान दे दिया है।
अकालियों पर बरसते हुये भारतीय किसान यूनियन (एकता -उगाराहां) के प्रधान जोगिन्द्र सिंह उगाराहां ने कहा कि अकालियों ने कोरर्पोरेट घरानों को सब कुछ बेचने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिलाया था।
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के मीत प्रधान मेहर सिंह ने मुख्यमंत्री को आगे रह कर नेतृत्व जारी रखने की अपील की और अपनी संस्था की तरफ से पूरा समर्थन देने का वायदा किया। उन्होंने आर्डीनैंसों के विरोध के लिए एक साझी कमेटी बनाने का सुझाव दिया।
भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के प्रधान सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि इन आर्डीनैंसों का उद्देश्य पंजाब और यहाँ के किसानों को तबाह करना है। उन्होंने बिजली संशोधन बिल के द्वारा राज्य की शक्तियां छीनने और निजी बिजली उत्पादकोंं को लाभ पहुँचाने की कोशिश करने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
लोकतांत्रिक किसान सभा के जनरल सचिव कामरेड कुलवंत सिंह संधू और आल इंडिया किसान सभा (सी.पी.आई) के राष्ट्रीय प्रधान भुपिन्दर सांबर ने भी आर्डीनैंसों की ज़ोरदार आलोचना की और इस मुद्दे पर कैप्टन अमरिन्दर सरकार को पूरा समर्थन दिया।