नोटों से कोरोना संक्रमण हो सकता हैं इसका दुष्प्रचार एक साजिश के तहत हो रहा हैं : फैम

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर। कुछ व्यापारिक संगठन "व्यापार में नगदी" के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे है कि नोटों से कोरोना संक्रमण संभव है। इनका मुख्य प्रयास यह है कि किसी भी तरह भारत जैसे विशाल बाजार से नगदी के स्थान पर कुछ विदेशी कंपनियों द्वारा संचालित क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड के माध्यम से ही उपभोक्ता खरीददारी करे ,जिससे उन्हें कमीशन की मोटी आमदनी होती रहे। पूर्व में एक विदेशी कार्ड कंपनी ,उक्त व्यापारिक संगठन के कार्यक्रमो को प्रायोजित भी करती रही है। अप्रत्यक्ष रूप से क्रेडिट कार्ड कंपनियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से व्यापारी में नगदी को खलनायक बनाने पर फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल अपना रोष प्रकट करता है और व्यापारियों से एवं उपभोक्ताओं से अपील करता है कि वह तथ्यों की पूरी जानकारी के बिना किसी भी प्रकार के निर्णय पर न पहुंचे।
फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल (फ़ैम) के राष्ट्रीय महामंत्री श्री वी के बंसल द्वारा इस प्रकार दुष्प्रचार पर इन व्यापारिक संगठनों से प्रश्न किया है कि कोरोना क्या सिर्फ करेंसी नोटों से ही हो रहा है। ऐसी प्रत्येक वस्तु जो किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के हाथो से हो कर आप तक आती है , आपको कोरोना संक्रमित कर सकती है। श्री बंसल के अनुसार अच्छा होगा यदि हम सब कोरोना से बचाव हेतु सरकार द्वारा जारी सभी नियमो एवं दिशा निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करे और स्वयं को एवं अपने ग्राहकों को सुरक्षित रखे।
श्री बंसल का कहना है कि करेंसी नोट कोरोना वायरस ग्रस्त है या नहीं , यह रिज़र्व बैंक कैसे बता पाएगा ? करेंसी नोट वाकई अनेको हाथो से निकल कर जाता है , पर यह जानने के लिए कि करेंसी नोटों से कोरोना का संक्रमण फ़ैल रहा है , क्या कभी किसी सरकारी लेबोरेटरी में कोई जाँच कराई गयी है। बिना किसी खास प्रमाण के कोई भी उपवाह राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को नुकसान पंहुचा सकती है। श्री बंसल का मानना है कि छोटे छोटे स्थानों पर व्यापारियों के पास कार्ड से भुगतान प्राप्त करनी की सुविधा नहीं है , नोटों से कोरोना संक्रमण फैलने की अफवाह से दुकानदार के पास ग्राहक आना ही बंद कर देंगे। दूसरी और क्रेडिट क्राड़ / डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान प्राप्त करने में दुकानदार को अच्छा खासा कमिशन भी देना पड़ता है। छोटे दुकानदारों के लिए कार्ड से भुगतान प्राप्त करना व्यावहारिक नहीं है।
श्री वी के बंसल का कहना है कि भारत में व्यापार में नगदी 'नारायण' है और छोटे व्यापारियों का व्यापार तो सिर्फ नगदी पर आधारित है। याद कीजिए , नोट बंदी में व्यापार ठप्प हो गया था , क्रेडिट / डेबिट कार्ड तो उपलब्ध थे पर नगदी बाजार में नहीं थी। आज जब त्यौहार का मौसम शुरू होने के कगार पर है , दूकान अपनी ग्राहक की बाँट जो रहा है , नगदी को खलनायक बनाने का प्रयास , अनलॉक के पश्चात पटरी पर आते व्यापार को गहरा आघात पंहुचा सकता है।
फ़ैम ने व्यापारी भाइयो एवं उपभोक्ताओं से अपील की है कि वह किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार पर ध्यान न दे और सदैव की भांति अपने स्थानीय बाज़ारो से अपनी पसंद के भुगतान माध्यम से खरीददारी करे।