मुख्य सचिव करेंगे राज्य में कोरोना महामारी की स्थिति की रोज़ाना निगरानी करेंगे

10 October, 2020, 10:30 pm

चंडीगढ़, 10 अक्तूबर:पंजाब के मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन ने आगामी त्योहारों के सीजन के मद्देनजऱ कोविड-19 की रोकथाम के लिए राज्य के प्रबंधों और तैयारियों का जायज़ा लिया। इसके साथ ही उन्होंने धान के खऱीद कार्यों और राज्य में पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का जायज़ा भी लिया।

एक उच्च स्तरीय वर्चुअल (वी.सी.) मीटिंग के दौरान राज्य के अस्पतालों में कोविड के मरीज़ों के लिए किए गए प्रबंधों पर तसल्ली प्रकट करते हुए मुख्य सचिव ने सम्बन्धित विभागों को जि़लों में मामलों की मौत दर (सी.एफ.आर.) संबंधी विवरण भेजने के अलावा सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में से ठीक होकर डिस्चार्ज हुए मरीज़ों को पोस्ट कोविड केयर किटों की सुपुर्दगी को यकीनी बनाने के लिए भी कहा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री हुसन लाल ने मुख्य सचिव को बताया कि 35,000 कोविड केयर किटें पहले ही स्वास्थ्य केन्द्रों को भेजी जा चुकीं हैं और अभी भी 1000 किटें मुख्य दफ़्तर में उपलब्ध हैं।

एक दिन में 20,000 कोविड टैस्टों के आंकड़े को पार करने के लिए मैडीकल शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की सराहना करते हुए श्रीमती विनी महाजन ने सम्बन्धित विभागों को सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों में आक्सीजन और अन्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए कहा, क्योंकि कोरोना महामारी का दूसरा पड़ाव त्योहारों के सीजन के बाद आ सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड केस अब घट रहे हैं परन्तु राज्य को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।

धान की चल रही खरीद के कार्यों की समीक्षा करते हुए श्रीमती विनी महाजन ने खाद्य एवं सिविल सप्लाई विभाग को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के निर्देशों के अनुसार 72 घंटों की निर्धारित समय-सीमा के अंदर फ़सल की तुरंत लिफ्टिंग और किसानों को अदायगी यकीनी बनाने के लिए कहा।

धान की खऱीद प्रक्रिया पर तसल्ली ज़ाहिर करते हुए मुख्य सचिव ने बताया कि मंडियों में 23.11 लाख मीट्रिक टन धान की फ़सल आई है, जिसमें से अलग-अलग एजेंसियों ने अब तक 21.93 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है। धान की काश्त के अधीन 27.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल (20.76 लाख हेक्टेयर परमल और 6.60 लाख हेक्टेयर बासमती) के साथ, पंजाब द्वारा इस सीजन के दौरान 171 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य है।

मंडियों में भीड़ घटाने और सुचारू खऱीद कार्यों के लिए मुख्य सचिव ने किसानों से अपील की कि वह सिफऱ् तैयार फ़सल ही मंडियों में लेकर आएं, जिससे किसानों का मंडी में लगने वाला समय भी घटेगा और साथ ही इस खऱीद कार्यों में लगे व्यक्तियों के स्वास्थ्य का जोखि़म भी घटेगा।

अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास श्री अनिरुद्ध तिवाड़ी ने मुख्य सचिव को बताया कि कोविड-19 के दौरान निर्विघ्न और सुरक्षित खरीद को यकीनी बनाने के लिए विस्तृत प्रबंध किए गए हैं। पंजाब मंडी बोर्ड धान की निर्विघ्न और सुरक्षित खरीद के लिए पहले ही 4200 से अधिक खरीद प्वाइंटों को नोटीफाईड कर चुका है। राज्य भर की मंडियों में 1.50 लाख मास्क और 30,000 बोतलें सैनेटाईजऱ प्रदान करने के साथ-साथ सामाजिक दूरी को बनाए रखने और स्वास्थ्य प्रोटोकोल का सख़्ती से पालन करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं।

भीड़ को रोकने और महामारी के मद्देनजऱ धान की खरीद को यकीनी बनाने के लिए श्री तिवाड़ी ने कहा कि पंजाब मंडी बोर्ड ने अब तक किसानों को 7.71 लाख पास जारी किए हैं।

मुख्य सचिव ने सम्बन्धित विभागों को कहा कि वह राज्य में पराली जलाने के रुझान को पूरी तरह से रोक लगाने के लिए सख़्त निगरानी को यकीनी बनाने की हिदायत करते हुए मुख्य सचिव ने ज़ोर देकर कहा कि सुपर एसएमएस के बगैर किसी भी कम्बाईन को कटाई की आज्ञा न दी जाए और किसी भी तरह का उल्लंघन किए जाने पर तुरंत कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाये, क्योंकि पराली जलाने के कारण राज्य में कोविड-19 की स्थिति और गंभीर हो सकती है।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा राज्य में पराली न जलाने को यकीनी बनाने की अपील संबंधी बोलते हुए कहा कि राज्य की कई पंचायतों ने पराली जलाने विरुद्ध संकल्प लेकर पहले ही राज्य सरकार की तरफ से इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों के साथ सहमति प्रकट की है। परंतु इस मुहिम में पूरी सफलता तभी मिलेगी जब राज्य की सभी पंचायतें एकजुट होकर इस ख़तरनाक अमल को छोडऩे का प्रण करेंगी। मुख्य सचिव ने डिप्टी कमिश्नरों को कहा कि वह बाकी पंचायतों को इस समस्या को ख़त्म करने के लिए आगे आने के लिए प्रेरित करें।

उन्होंने आगे कहा कि जि़ला प्रशासन को पहले ही हिदायत की गई है कि धान की पराली के भंडारण के लिए गाँव स्तर पर आम ज़मीन, साझे पशु वाड़े, गौशालाएं और चल रहे खरीफ की फ़सल की कटाई के सीजन के दौरान बासमती की पराली के भंडारण के लिए अपेक्षित जगह मुहैया करवाई जाये, जिसको पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा जि़लों में आई.ई.सी. (सूचना शिक्षा और संचार) की गतिविधियों के प्रभावशाली प्रसार को यकीनी बनाया जाये, जिससे हरेक किसान को इस प्रोग्राम संबंधी जागरूक किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए पूरी तरह सचेत और वचनबद्ध है और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह निजी तौर पर इसकी निगरानी कर रहे हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि फसलों के अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ने धान की अवशेष के प्रबंधन के लिए किसानों को अलग-अलग मशीनें मुहैया करवाई हैं।

अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास ने बताया कि 51000 मशीनें सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई हैं। राज्य में 8500 कस्टम हायरिंग सैंटर कार्यशील किये गए हैं। कृषि भाईचारे को फसलों की अवशेष को जलाने से रोकने के लिए प्रेरित करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि पंजाब सरकार खरीफ सीजन-2020 के दौरान धान की अवशेष के प्रबंधन के लिए 23,500 एग्रो मशीनें/कृषि उपकरणों की खरीद के लिए किसानों को 50 फ़ीसद से 80 फ़ीसद तक 300 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे रही है। यह मशीनें व्यक्तिगत किसानों, सहकारी सभाओं, पंचायतों और किसान समूहों को दी गई हैं।

डीजीपी, पंजाब श्री दिनकर गुप्ता ने बताया कि पुलिस विभाग ने आगामी त्योहार और चल रहे धान की खरीद सीजन के मद्देनजऱ कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकोल के लागू करने को यकीनी बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने समूह सी.पीज़ और एसएसपीज़ को महामारी के फैलने की रोकथाम के लिए सिविल प्रशासन को मिलकर काम करने के लिए कहा।

मुख्यमंत्री पंजाब के प्रमुख सचिव श्री तेजवीर सिंह, मैडीकल शिक्षा एवं अनुसंधान के प्रमुख सचिव श्री डी.के. तिवाड़ी, मुख्यमंत्री के विशेष प्रमुख सचिव श्री गुरकीरत कृपाल सिंह, सभी डिप्टी कमिश्नरों, सी.पीज़ और एसएसपीज़ और राज्य सरकार के अन्य सीनियर अधिकारी वीडियो कॉन्फ्ऱेंस के द्वारा मीटिंग में शामिल हुए।

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पराली जलाने के मामलों में की गई कार्रवाई

पराली जलाने के मामलों में की गई कार्यवाही संबंधी जानकारी देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री तिवाड़ी ने बताया कि 8 अक्तूबर, 2020 तक 1791 मामले सामने आए हैं और 499 मामलों में वातावरण प्रदूषण सम्बन्धी जुर्माना लगाया गया है। 320 मामलों में राजस्व रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज किए गए हैं। 6मामले हवा प्रदूषण एक्ट 1981 दर्ज किए गए हैं और 3 एफ.आई.आर. भी दर्ज की गई हैं।