"गैरों से लगाव , अपनों से दुराव" बीजेपी की इस नीति से कितनी कामयाबी मिलेगी, इस पर सवालिया निशान?

11 June, 2021, 10:59 pm

नई दिल्ली, 11 जून ।  केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता जतिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हो गए है । यूपी में 12 फीसदी ब्राह्वाण वोटर इन दिनों बीजेपी से नाराज है । योगी सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपनी शक्तियों का बेजा इस्तेमाल करने से योगी सरकार पर सवाल खड़े हो रहे है .कहा तो ये भी जा रहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ को फैसलें लेने में स्वतंत्रता नही दी जा रही है ।   सवाल उठता है कि क्या बीजेपी के पास प्रदेश में ब्राह्राण नेताओं की कमी हैं? ‘गैरों से लगाव और अपनों से दुराव ‘ की नीति बीजेपी को कितना फायदा पहुंचा पायेगी ?
बीजेपी में ब्राह्राण नेताओं की लंबी फेहरिस्त हैं । उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा , ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा , पर्यटन
मंत्री नीलकंठ तिवारी , उत्तरप्रदेश के बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष लश्मी कांत वाजपेयी , प्रयागराज की मेजा
विधानसभा सीट से एम.एल.ए नीलम उदयभान करवरिया , कानून मंत्री बृजेश पाठक , पूर्व बीजेपी अध्यक्ष
रमापति राम त्रिपाठी आदि . लेकिन बीजेपी पार्टी आलाकमान ने पार्टी के निष्ठावान ब्राह्राण नेताओं की बजाय
कांग्रेस के नेता पर दांव लगाया है । मोदी –शाह की जोड़ी इस गुजरात मॉडल को उत्तरप्रदेश में भी लागू करना
चाहती है ।

बीजेपी जितिन प्रसाद को जितना कद्दावर बता रही है, क्या वाकई आज की तारीख में वो उत्तरप्रदेश की राजनीतिक जमीन पर उतना असर रखते है । जितिन प्रसाद जब कांग्रेस में थे तो वह ब्राह्राण चेतना मंच के नाम से एक संगठन चलाते थे . उनका प्रभाव सिर्फ ललितपुर , शाहजहांपुर के आसपास के इलाकों तक सीमित है । जितिन प्रसाद आज तक किसी ब्राह्वाण
नेता को यूपी की विधानसभा में नही पहुंचा पाए है । जितिन प्रसाद ऐसा नेता जो खानदानी कांग्रेसी रहा और
2014 के बाद लगातार चुनाव हार रहा है । साल 2014 में उन्होंने धौरहरा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा,
लेकिन हार गए . इसके बाद 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव भी हार गए .2019 में लोकसभा धौरहरा से
कांग्रेस के टिकट पर लड़े और बुरी तरह से हार गए ।
बीजेपी आलाकमान के इस फैसले से प्रदेश के ब्राह्राण मतदाताओं में मायूसी है . बीजेपी पार्टी की निस्वार्थ सेवा
कर रहे ब्राह्राण नेताओं से उनके समर्थक सवाल पूछ रहे हैं ? आखिर कांग्रेस से ब्राह्वाण नेताओं को लाने से पार्टी
में उत्साह का संचार कैसे होगा ? यूपी बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष रहे रमापति राम त्रिपाठी, लक्ष्मीकांत वाजपेयी पूरे
प्रदेश के ब्राह्राणों की नब्ज पहचानते है । इसी तरह से प्रयागराज का करवरिया परिवार चित्रकुट , बांदा तक के
इलाकों में अपना प्रभाव रखता है । इस परिवार की बहु नीलम उदयभान करवरिया मेजा विधानसभा सीट से
बीजेपी की एमएलए है । प्रयागराज के कई जिलों में वो राजनीतिक रूप से सक्रिय है ।
योगी सरकार में कानून मंत्री बृजेश पाठक हरदोई के रहने वाले है । बृजेश पाठक ने लखनऊ विश्वविद्यालय में
छात्र राजनीति से सियासी जीवन की शुरूआत की और छात्रसंघ अध्यक्ष भी चुने गए । पहले कांग्रेस में फिर
बसपा में शामिल हो गए , एक बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुके बृजेश पाठक प्रदेश के बड़े ब्राह्वाण नेताओं में शुमार है ।

डॉ दिनेश शर्मा उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री है और प्रदेश में एक बड़े ब्राह्राण नेता के रूप में इनकी पहचान है ।
वर्ष 2006 में लखनऊ के प्रथम बार मेयर चुने गए वर्ष 2012 में दूसरी बार लखनऊ के मेयर भारी मतों से
चुने गए और इनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस में दर्ज है ।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा के भतीजे ब्रह्रादेव मिश्र का प्रभाव भी जौनपुर के
इलाकों में है।लक्ष्मी कांत वाजपेयी बीजेपी के दिग्गज नेता है और मेरठ शहर से एमएलए भी रह चुके है इसके अलावा यूपी में दुग्ध विकास राज्य मंत्री भी रह चुके है । वे यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके है. काफी लंबे समयसे राजनीतिक बनवास काट रहे है ।
मेजर सुनील दत्त द्विवेदी 17 वीं उत्तरप्रदेश विधानसभा में फरूखाबाद सीट से विधायक बन कर पहुंचे । उनके
पिता स्वर्गीय ब्रह्रा दत्त द्विवेदी प्रदेश के बड़े ब्राह्राण नेता थे । जिन्होंने रेस्ट हाउस कांड में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की 
जान बचाकर सुर्खियां बटोरी थी । रमापति राम त्रिपाठी की गिनती उत्तरप्रदेश बीजेपी के दिग्गज ब्राह्राण नेताओं
में होती है । रमापति  राम त्रिपाठी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और एमएलसी रह चुके है । सांसद योगी सरकार में
पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी मूल रूप से देवरिया के रहने है । नीलकंठ तिवारी पेशे से अधिवक्ता हैं और वर्ष
2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में वाराणासी शहर दक्षिणी सीट से पहली बार एम.एल.ए चुने गए है ।
इसी तरह उत्तरप्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा मथुरा-वृदावंन से विधायक है । उनकी पहचान ब्रज क्षेत्र
के एक बड़े ब्राह्राण नेता के रूप में है । समाजवादी पार्टी और बसपा ब्राह्राण वोटरों को लुभाने के लिए जातीय
सम्मेलन कर रही हैं । राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी को अपने स्थापित नेताओं पर भरोसा
करना चाहिए , क्योंकी चुनाव जीतने के लिए गुजरात मॉडल पुराना पड़ चुका है ।