यूपी भाजपा को झटके पर झटका, आखिर माजरा क्या है?

13 January, 2022, 6:13 pm

नई दिल्ली/लखनऊ (ब्रॉडकास्ट मंत्रा ब्यूरो) : उत्तर प्रदेश में अभी सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को झटके पर झटका लग रहा है। आखिर यह माजरा क्या है? सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हैं। पहले कई राज्यों में भी ऐसा हो चुका है जब चुनाव से ठीक पहले अनेक दलों के नेता भाजपा में शामिल हुए। पश्चिम बंगाल भी उनमें से एक है जहां कई दिग्गज नेताओं ने चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थामा था। उधर, यूपी में भी खेल वैसा ही है, लेकिन इस बार भाजपा से नेता जा रहे हैं। वह भी मंत्री। क्या यह भाजपा की ही रणनीति उस पर भारी पड़ती दिख रही है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश सरकार में आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन मंत्री धर्मसिंह सैनी का है। सैनी ने बृहस्पतिवार को मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया। गौरतलब है कि पिछले तीन दिनों में योगी आदित्यनाथ मंत्रिपरिषद से तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है। तीनों के समाजवादी पार्टी में शामिल होने की अटकलें हैं। मंगलवार को स्वामी प्रसाद मौर्य, बुधवार को दारा सिंह चौहान जबकि बृहस्पतिवार को धर्मसिंह सैनी ने इस्तीफा दिया है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को भेजे गए इस्तीफे में सैनी ने लिखा है, ‘माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिपरिषद में आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री के रूप में रहकर पूर्ण मनोयोग के साथ उत्तरदायित्वों का निर्वहन किया है, किन्तु जिन अपेक्षाओं के साथ दलितों, पिछड़ों, किसानों, शिक्षित बेरोजगारों, छोटे एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों ने मिलकर प्रचंड बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने का काम किया, उनकी व उनके जनप्रतिनिधियों के प्रति लगातार जारी उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देता हूं।' सैनी के इस्तीफे के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी में उनका स्वागत करते हुए ट्वीट किया, ‘सामाजिक न्याय के एक और योद्धा डॉ. धर्मसिंह सैनी के आने से, सबका मेल-मिलाप-मिलन कराने वाली हमारी ‘सकारात्मक और प्रगतिशील राजनीति' को और भी उत्साह व बल मिला है। सपा में उनका ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! बाइस में समावेशी-सौहार्द की जीत निश्चित है! #मेला_होबे।' अखिलेश ने ट्विटर पर सैनी के साथ अपनी एक तस्वीर भी साझा की है। हालांकि सैनी ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस पार्टी का दामन थामेंगे। गौरतलब है कि पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले सैनी सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट से विधायक हैं। सैनी को स्वामी प्रसाद मौर्य का करीबी माना जाता है और मंगलवार को मौर्य के इस्तीफे के बाद से सैनी के इस्तीफा देने की खबरें भी चर्चा में थीं, लेकिन देर शाम उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी करके भाजपा नहीं छोड़ने की बात कही थी। पश्चिम बंगाल में खेला होबे की तरह यूपी में मेला होबे जैसे जुमले भी चल निकले हैं। अब देखना होगा कि अन्य दलों में भी यह दल-बदल चलता है या फिर सत्ताधारी पार्टी को ही झटके मिलते हैं। वैसे चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा उसे देखना बाकी है। 
शिवसेना भी उतारेगी प्रत्याशी
इस बीच, शिवसेना ने भी प्रत्याशियों को उतारने की घोषणा की है। शिवसेना के इस कदम को भी उस रणनीति के तहत देखा जा रहा है जिसमें वह भाजपा को हराने की जुगत करेगी। शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में टिकैत से मुलाकात की। राउत ने ट्वीट किया, ‘मैंने उत्तर प्रदेश के किसानों की गंभीर समस्याओं और उनके समक्ष उत्पन्न मुद्दों तथा देश की राजनीतिक स्थिति पर विचार विमर्श किया। पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों के ज्वलंत मुद्दों पर भी प्रमुखता से चर्चा हुई। शिवसेना किसानों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।' इससे पहले, उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शिवसेना ने अयोध्या और मथुरा सहित उत्तर प्रदेश में 50 से 100 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने की योजना बनाई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि उनकी पार्टी किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी।