जब शहर हमारा सोता है... और मंत्रमुग्ध हो गये दर्शक


चंडीगढ़ (ब्रॉडकास्ट मंत्रा ब्यूरो) : वह शाम सचमुच अनूठी थी, उन लोगों के लिए जो टैगोर थियेटर में बैठे ने नाटक 'जब शहर हमारा सोता है' देखने के लिए। रविवार 16 जनवरी की शाम
जीरो परफॉर्मिंग आर्ट्स और अवलोकन थिएटर मंच ने पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित नाटक प्रस्तुत किया। इसमें तराना की भूमिका अदा की यास्मीन ने। करीब पौने दो घंटे चले इस मंचन के दौरान एक भी दर्शक ऐसा नहीं था जो अपनी जगह से हिला हो। मंचन था ही इतना लाजवाब। नाटक का निर्देशन थिएटर बिरादरी के एक प्रमुख व्यक्तित्व साहिल मंजू खन्ना ने किया था।
चक्रेश कुमार, डॉ मनीष जांगड़ा की उपस्थिति में प्रस्तुत इस नाटक को देखने अनेक लोग पहुंचे थे। कोविड मानकों को मानते हुए इस मंचन को देखने के बाद लोगों ने बताया कि कोविड महामारी जैसी उदासीनता के बीच इस मंचन ने एक अलग ताजगी और अनूभूति दी। यास्मीन के अलावा इसमें आभास (विकास ठाकुर), विलास (साहिल मंजू खन्ना), असलम (यदुनंदन), तब्बसुम (हिना बत्रा), निशि (तरन्नुम खान), त्यागी (दिव्यांश कुमार) जैसे किरदारों ने बेहतरीन अदाकारी की। इनके अलावा खोपकर (अक्षय रावत), चाचा और मधमस्त (अंकज कुमार), चीना (कुणाल बत्रा), अंता (नमन धीमान), बबुआ (चिराग शर्मा), आवेन (खुशी पंडोत्रा), अकील (यक्ष पांडे), रफीक (साहिल पांडे), अख्तर (चेतन शर्मा), मोइन अली (रोहन ठाकुर), मुनीरा (साधिया)। ने भी इसमें भूमिका निभाई। यास्मीन के अभिनय का अलग ही लेवल था। उन्होंने अभिनय के बारे में काफी चर्चा की। अभिनय के क्षेत्र में कैसे आना हुआ और आपका ड्रीम रोल क्या है, पूछने पर यास्मीन ने कहा, 'स्कूली पढ़ाई के दौरान वार्षिक समारोह में परफॉर्म का मौका मिला जो मंच पर अभिनय का मेरा पहला अनुभव था। यूनवर्सिटी में कुछ सीनियर्स से गीत पेश करने के लिए कहा, तब मैंने पहली बार कैमरा फेस किया। फिर मुझे अभिनय में आनंद आने लगा। मुझे अहसास हुआ कि मैं अपनी कला को निखार सकती हूं और अभिनय में आगे बढ़ सकती हूं। साथ ही अभिनय से मुझे काफी खुशी और सुकून मिलता है। जहां तक बात है मेरे ड्रीम करैक्टर अभिनय की तो मैं दिल से चाहती हूं कि कोई प्रेरक अभिनय करूं।'