राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू ने ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर की पूजा

29 November, 2022, 3:26 pm

कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर अपने धार्मिक महत्व के चलते पूरे विश्व में प्रचलित है | कुरुक्षेत्र में लाखों श्रद्धालु प्रत्येक साल पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं | धार्मिक महत्व रखने वाला ब्रह्मसरोवर तीर्थस्थल एक नये इतिहास का गवाह बन गया है । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ब्रह्मसरोवर तट पर पूजा करने वाली चौथी राष्ट्रपति बन गई है | राष्ट्रपति ब्रह्मसरोवर तट पर 17 मिनट रुकी |

राष्टपति द्रौपदी मुर्मू ने  ब्रह्मसरोवर तट पर की पूजा अर्चना |

गीता यज्ञ में पूर्णाहुति डालने के साथ-साथ उन्होंने गीता पूजन में भी हिस्सा लिया। राष्ट्रपति के अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए कात्यायनी मंदिर के पंडित बलराम गौतम ने स्वस्तिवाचन किया | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हरियाणा पवेलियन का भी शुभारंभ किया। 

कब कब आ चुके पहले राष्ट्रपति कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर तीर्थ पर

सबसे पहले राष्ट्रपति आर वेंकटरमन वर्ष 1992 में पूजा अर्चना कर चुके हैं। इसके बाद वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने ब्रह्मसरोवर पर  2006 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था। जैसा कि आप जानते हैं यह विश्व का सबसे बड़ा तिरंगा है। इसकी लंबाई 1800 और चौड़ाई 1600 फीट। अधिकतम गहराई 14 मीटर यानी 45 फुट है। तीसरी बार वर्ष 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ब्रह्मसरोवर पहुंचे थे। उन्होंने यहां गीता यज्ञ में आहुति डालने के साथ ही पूजन भी किया था। 

गीता जयंती में वडाली बंधु भी करेंगे अपना गायन 

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मुख्य पंडाल के मंच पर देश के जाने-माने कलाकार अपनी कला से गीता जयंती महोत्सव में रंग भरेंगे। प्रसिद्ध गायक वडाली बंधु अपनी सुरीली आवाज से 1 दिसंबर को ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर सूफियाना भक्ति का गायन करेंगे। इसके साथ कुमार विशु, गजेंद्र फोगाट, साध्वी पूर्णिमा, महावीर गुड्डू जैसे प्रसिद्ध कलाकार अपने अपने कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे। गीता जयंती महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 29 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेंगे।

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