मंजीत सिंह चहल लाया देश के लिए खुशियां

29 August, 2018, 11:36 am

नरवाना/ जींद, 29 अगस्त: एशियाड में 800 मीटर दौड़ में नरवाना के मंजीत सिंह चहल ने गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया। मंगलवार को पूरे दिन लोग मंजीत का खेल देखने के लिए टीवी नजरे टिकाए हुए थे। खेल शाम को 6 बजे शुरू हुआ और सवा 6 बजे गोल्ड मेडल आ गया। 

पिता रणधीर सिंह चहल ने कहा कि मनजीत चहल ने गुवाहाटी में हुए खेलों में हरियाणा के लिए 800 मीटर दौड़ में सिल्वर जीता था। इसके बलबूते पर उसे एशियन गेम्स में मौका मिला। विश्वास था कि बेटा जकार्ता से देश के लिए खुशियां जरूर लाएगा। स्वर्णिम सफलता की सूचना मिलते ही मंजीत के घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया।

परिवार के सदस्यों की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं रहा। नरवाना के नवदीप स्टेडियम में भी खेल प्रेमियों द्वारा ढोल नगाड़ों के साथ खुशी मनाई गई। मंजीत के छोटे अमरजीत चहल ने भी अपने भाई द्वारा देश का मान बढ़ाने पर खुशी जाहिर की। रामपाल उझाना, मास्टर दरिया सिंह, चरणजीत मिर्धा, हिम्मत सिंह हल, शेर सिंह, मंदीप, रोहताश पीटीआई, जोगिन्द्र लोहान सहित शहर के गणमान्य लोगों ने बधाई दी। 
 

उझाना हाल नरवाना निवासी मंजीत चहल ने 2010 में दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स में नौवां स्थान हासिल किया था, जिससे वह कुछ हताश तो जरूर हुआ था, लेकिन लक्ष्य नहीं छोड़ा और कड़ी मेहनत के बाद एशियन गेम्स में 36 साल बाद भारत को गोल्ड दिला दिया। मंजीत चहल ने नरवाना से 12वीं करने के बाद बीए की पढ़ाई जालंधर से की। साल 2009 में आयोजित हुई ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में मनजीत ने पहला स्थान हासिल किया था। इसके बाद 2010 में पटियाला में हुई सीनियर इंटर स्टेट में तीसरा स्थान हासिल किया, वहीं से उनका चयन दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ के लिए हुआ था। इसके बाद मंजीत ने 2010 के दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेते हुए आठ सौ मीटर दौड़ में नौवां स्थान हासिल किया था। 

 

2010 में हुए कामनवेल्थ में खेलने के लिए सरकार की ओर से उसे 11 लाख रुपए की राशि दी गई थी। इस राशि में से कुछ भाग मंजीत ने युवाओं को अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए गांव में बने स्टेडियम की चारदीवारी का निर्माण कराया था। 


मंजीत की जन्म 21 सितंबर 1989 को हुआ था। अगले माह वह अपना 30वां जन्मदिन मनाएंगे। सितंबर माह मनजीत के लिए दोहरी खुशी लेकर आता है। जन्मदिन के साथ-साथ सितंबर की 27 तारीख को मनजीत अपनी शादी की तीसरी सालगिरह भी सेलिब्रेट करेंगे। 27 सितंबर 2015 को मनजीत की शादी किरण के साथ हुई थी। 



मंजीत की इस सफलता के पीछे उनके पिता रणधीर सिंह की भूमिका अहम है। रणधीर सिंह जवानी में कबड्डी और हैमर थ्रो के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने मंजीत को खेल का अभ्यास कराते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। 


मां ने कहा-घी में गच कर खिलाऊंगी चूरमामंजीत की मां बिमला ने बताया कि उनके बेटे ने हरियाणा के दूध-चूरमे की ताकत का दम दिखाया है। घर आने पर बेटे को जमकर दूध पिलाऊंगी तथा घी में गच कर चूरमा खिलाऊंगी। उझाना हाल नरवाना निवासी मंजीत के पिता भैसों का व्यापार करते हैं और उनके घर दूध घी की भरमार रहती है। पिता रणधीर सिंह चहल ने कहा कि मनजीत चहल ने गुवाहाटी में हुए खेलों में हरियाणा के लिए 800 मीटर दौड़ में सिल्वर जीता था। इसके बलबूते पर उसे एशियन गेम्स में मौका मिला। मुझे भी विश्वास था कि बेटा जकार्ता से देश के लिए खुशियां जरूर लाएगा।