अरुण जेटली ने कहा राफेल डील में कीमतों को लेकर कांग्रेस ने जो भी कहा है, झूठ है

नई दिल्ली, 29 अगस्त: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमला कर रहे हैं। राहुल ने अब आरोप लगाया कि इस सौदे की बागडोर अपने हाथों में रखने के लिए प्रधानमंत्री ने चार साल में चार रक्षा मंत्री बदले। राहुल ने ट्वीट में कहा- "2014 से भारत में चार रक्षा मंत्री बनाए गए। अब हमें इसकी वजह पता चली है। इससे प्रधानमंत्री को फ्रांस के साथ राफेल सौदे की बातचीत खुद करने का मौका मिला।"
कांग्रेस ने लोकसभा में मंगलवार को मोदी और निर्मला सीतारमण के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। संसद के दोनों सदनों में बुधवार को भी इस मसले पर हंगामा होने के आसार हैं। राहुल गांधी ने कहा, "पिछले चार साल में भारत के चार 'राफेल मंत्री' रहे हैं, लेकिन एक को भी यह नहीं पता कि फ्रांस में क्या हुआ? केवल प्रधानमंत्री को ही पता है, लेकिन वह चुप्पी साधे हैं।"
2014 में मोदी सरकार के शुरुआती छह महीने के दौरान अरुण जेटली रक्षा मंत्री थे। उनके बाद तब गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर को केंद्र में लाया गया और रक्षा मंत्री बनाया गया। वे करीब सवा दो साल इस पद पर रहे। पर्रिकर के गोवा की राजनीति में लौट जाने के बाद जेटली छह महीने के लिए दोबारा रक्षा मंत्री बनाए गए। उनके बाद निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया गया। वे सितंबर 2017 से इस पद पर हैं।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पीकर सुमित्रा महाजन को लिखी चिट्ठी में कहा है कि फ्रांस के साथ राफेल विमान सौदे में गोपनीयता संबंधी शर्त को लेकर मोदी सरकार ने संसद में झूठ बोलकर देश को गुमराह किया। खड़गे ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने 20 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव चर्चा के दौरान जवाब में कहा था कि राफेल की कीमतों का खुलासा नहीं किया जा सकता है क्योंकि ऐसा करना देशहित में नहीं है। प्रधानमंत्री ने सौदे में पारदर्शिता का भी दावा किया। रक्षा मंत्री ने भी उसी दिन 2008 के गोपनीयता के समझौते का हवाला देते हुए विमानों की कीमत बताने से इनकार कर दिया था।
मोदी सरकार ने राफेल डील की कीमतों के बारे में गलत जानकारी देने वाले कांग्रेस के आरोपों को नकार दिया। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को बताया कि 2011 में कांग्रेस के शासन में हुई डील में एक राफेल जेट की कीमत 813 करोड़ रुपए रखी गई थी। 2016 में हमारी सरकार के दौरान हुए समझौते में इसकी कीमत 739 करोड़ रुपए तय हुई। जो यूपीए सरकार की कुल कीमत से 9% कम है। हर विमान पर 67 करोड़ रुपए की बचत होगी।