अरपिंदर ने देश को दिलवाया गोल्ड, पंजाब सरकार से सम्मान न मिलने से हरियाणा में किया अभ्यास

हरियाणा, 30 अगस्त : 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतने के बावजूद पंजाब सरकार से अपेक्षित सम्मान नहीं मिलने से निराश एथलीट अरपिंदर ने अपने बेहतर भविष्य के लिए पंजाब को छोड़ा तथा सोनीपत में अभ्यास शुरू किया। यहां साई के सीनियर कोच वजीर सिंह की देखरेख में अपनी उन कमियों को दूर करने का प्रयास किया, जिस कारण अपने पदक के रंग को नहीं बदल पा रहा था। हरियाणा की ओर से पहले नेशनल में गोल्ड जीता। नेशनल में बेस्ट एथलीट का अवार्ड भी जीता और अब 18वें एशियाई खेलों में नया इतिहास रचते हुए देश को तिहरी कूद में स्वर्णिम कामयाबी दिला दी।
सोनीपत में सिदार्थ कॉलोनी में रह रहे उनके भाई बबल ने कहा कि उनके भाई की तपस्या आज पूरी हुई है। उन्होंने कहा कि वो कभी चोट से परेशान थे, तो कभी मेहनत के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने से निराश जरूर होते थे। बड़ी बात यह थी कि खुद पर से भरोसा नहीं छोड़ा और जिद थी कि गोल्ड जीतना है बस। आज एशियाई खेलों में मेडल जीतकर उसने साबित कर दिया कि मेहनत से बड़ी कोई चीज नहीं है।
खुद भी पोल वाल्ट के एथलीट रह चुके बबल ने बताया कि 2010 राष्ट्रमंडल खेलों से लेकर आगे तक पंजाब सरकार की ओर से कोई विशेष सम्मान नहीं मिला, जिस कारण पंजाब को छोड़ दिया और करीब चार साल पहले सोनीपत आ गए और उत्तर भारत के श्रेष्ठ सेंटरों में शुमार सोनीपत साई सेंटर में अभ्यास शुरू कर दिया। रवानगी से पहले नेशनल में बेस्ट एथलीट के साथ एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई करने पर साई सेंटर सोनीपत में सेंटर निदेशक संजय शाश्वत एवं उपनिदेशक रितु पारिख ने उन्हें सम्मानित भी किया था।
जकार्ता में मौजूद हरियाणा एथलेटिक्स एसोसिएशन के महासचिव राजकुमार मिटान ने भास्कर को बताया कि अरपिंदर हरियाणा की ओर से नेशनल में खेलता रहा है तथा प्रदेश को मेडल भी दिलाए है। यह कामयाबी उनके कड़े मेहनत का नतीजा है।
साई कोच वजीर सिंह ने बताया के कंपीटिशन से पहले उनकी अरपिंदर से बात हुई थी, जिसमें उन्होंने यही कहा था कि तुमने पहले शानदार प्रदर्शन किया है, नेशनल रिकार्ड भी तुम्हारे नाम है। इसलिए जब पहले किया है तो अब भी कर सकते हो। हां, बस इतना ध्यान रखना है कि मेडल के बारे में सोचने के बजाए अपना बेस्ट देने की सोचना है। उन्होंने कहा कि अरपिंदर ने खुद को साबित करके दिखाया।