अवैध कॉलोनियों का विकास शुल्क घटाएगी सरकार, आज फैसले के आसार

पानीपथ, 30 अगस्त: हरियाणा में अवैध कॉलोनियों को अधिकृत करने में आड़े आ रहे सख्त नियम और अधिक विकास शुल्क को लेकर सीएम मनोहर लाल खट्टर ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को डिटेल रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। बुधवार सुबह करीब 11 बजे सीएम सहित कई मंत्रियों ने बैठक में भाग लिया।
बैठक में यह बात सामने आई कि प्रदेश में अवैध कॉलोनियों में रह रहे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार इन कॉलोनियों के लोगों को राहत दे सकती है। इसके बाद सीएम ने तुरंत अधिकारियों को रिपोर्ट बनाने के आदेश जारी किए। इस मामले को लेकर मंत्री समूह की गुरुवार देर रात तक बैठक भी चली। बैठक से यह जानकारी मिली है कि सरकार शुल्क घटाने पर सहमत हो गई है। ये शुल्क आधा घटाया जा सकता है, इसका खुलासा गुरुवार को किया जाएगा।
बैठक में शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर, हिसार के विधायक डॉ. कमल गुप्ता, पंचकूला के विधायक ज्ञानचंद गुप्ता के अलावा सीएमओ व संबंधित विभाग के आला अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में सीएम के समक्ष अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने विकास शुल्क की दरों को कम करने की डिमांड की। सीएम के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने बताया कि प्रदेश की अवैध कॉलोनियों को लेकर सीएम ने सचिवालय में बैठक की है। इसमें मंत्रियों की सहमति से संबंधित विभाग के अधिकारियों से डिटेल रिपोर्ट मांगी गई है। जल्द ही इस मामले में सरकार कोई फैसला लेगी, ताकि अधिक से अधिक लोगों को सुविधाओं का लाभ दिया जा सके।
हरियाणा सरकार की ओर से कॉलोनियों को अधिकृत करने के लिए जो रेट तय किए गए हैं, वे जनता की नजर में अधिक हैं। लोग पहले ही कह चुके हैं कि यह रेट अधिक होने की वजह से वे अपनी कॉलोनी को अधिकृत नहीं करा पा रहे हैं। सरकार की ओर से इसमें कैटेगरी निर्धारित की गई हैं।
सरकार की ओर से अब तक 507 कॉलोनियों को नियमित करने योग्य मिली हैं। सरकार के पास कुल 997 आवेदन आए थे। 414 कॉलोनियां अयोग्य मिली थी। अभी तक गुड़गांव की 15, फरीदाबाद की 9, पानीपत की 29 और करनाल की 23 कॉलोनियों सहित 76 कॉलोनियां अधिसूचित की गई हैं।
सरकार की ओर से पहले ही यह योजना बनाई जा चुकी है कि अधिकृत होने पर कॉलोनियों के लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी। इनमें प्रमुख रूप से बिजली-पानी, सीवरेज, सड़कें, स्ट्रीट लाइट व पार्क सहित अन्य सुविधाएं शामिल हैं। सरकार ने अलग-अलग शहरों के हिसाब से विकास शुल्क तय किया हुआ है।