शिक्षक दिवस पर गुरु की महिमा

5 September, 2018, 6:09 pm

गुरु को ज्ञान का भंडार और देश की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। जो बच्चों के बुनयादी ढांचे का निर्माण करते है। ये अपना ज्ञान देकर अज्ञानता को दूर करता है और बच्चों को प्रकाशमय रास्ता दिखाता हैं। इसी ख़ुशी में 5 सितम्बर के दिन को "टीचर्स डे" मनाया जाता है। यह हमारे देश के माननीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन वाले मनाया जाता है ।

5 सितम्बर, 1962 को शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा शुरू हुई थी। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक जाने मामने विद्वान, शिक्षक, दार्शनिक और नेता थे। उनका जन्म 5 सितंबर को हुआ था और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। राजनीति में आने से पहले उन्होंने अपने जीवन के 40 साल अध्यापन को दिये थे । सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षकों को सम्मान देने के लिए अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की बात कही थी । शिक्षक दिवस को स्टूडेंट्स स्कूलों और कॉलेजों में बड़े ही उत्साह के साथ सेलिब्रेट करते हैं।  प्राचीन समय से ही गुरुओं का हमारे जीवन में विशेष स्थान रहा है। 

महाभारत का युद्ध हुआ था, तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को गुरु की तरह उपदेश दिया था।  श्री कृष्ण के उपदेश की बदौलत ही अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में विजय हासिल की थी। महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। युद्ध भूमि पर अर्जुन के सामने उनके गुरु और भाई थे।

अर्जुन ने कृष्ण से कहा कि वे युद्ध नहीं कर सकते। जिसके बाद कृष्ण ने गुरु की तरह उन्हें कई उपदेश दिए थे। श्री कृष्ण द्वारा के उपदेशों को सुनने के बाद अर्जुन ने युद्ध करने का फैसला किया और कौरवों के खिलाफ युद्ध में विजय हासिल की।  

श्री कृष्ण ने महाभारत की रणभूमि में अर्जुन को कई उपदेश दिए थे, इन्हें गीता के उपदेश कहा जाता है। गीता के उपदेश पर चलकर कोई भी अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य को पूरा कर सकता है। 

-गीता के उपदेश

- ''जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, उसी का नजरिया सही है।''

- 'जीवन में कोई भी काम करने से पहले खुद का आकलन करना बहुत जरूरी होता है । साथ ही अगर किसी काम को करते समय अनुशासित नहीं रहते हो तो कोई काम ठीक से नहीं होता है । ''

- ''जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है। ''

 

- ''कोई भी काम करने से पहले खुद पर विश्वास करो । व्यक्ति अपने विश्वास से निर्मित होता है । जो जैसा विश्वास करता है वैसा ही बन जाता है । ''

- ''व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।''

 

अनेक फिल्मो में भी टीचर्स पर डायलॉग बोले गए:-

-'जिस स्कूल में तूने ये सब सीखा है ना, उसका हेडमास्टर आज भी मुझसे ट्यूशन लेता है ।'

-'पढ़ोगे लिखोगे तो होगा खराब... खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब ।'

-'टीचर्स सिर्फ रूल्स सिखाता है... लेकिन विनर्स, विनर्स रूल्स बनाते है ।'

-'गुरु को बड़ा उसका शिष्य बनाता है ।'

-'खीचे हुए कान से मिला हुआ ज्ञान... हमेशा याद रहता है ।'

-'एग्जाम के सवाल का जवाब तो हर कोई देता है... लेकिन असली हीरो वो है जो जिंदगी का जवाब दे ।'

-'इंटेलिजेंस और परफॉर्मेंस... बैकग्राउंड का मोहताज नहीं होता ।'

-'गुरु सिर्फ ज्ञान ही नहीं देता... बल्कि अज्ञान भी दूर करता है ।'

-'लिखने पढ़ना तो स्कूल में सिखाया जाता है... लेकिन इंसानियत स्कूल में नहीं संस्कारों से आती है ।'