सुप्रीम कोर्ट ने कहा पार्टियां तीन बार मीडिया के जरिए प्रचार करें कि उनका उम्मीदवार दागी है

25 September, 2018, 12:09 pm

नई दिल्ली,25 सितंबर: आपराधिक मामलों में आरोपी नेताओं के दोषी ठहराए जाने से पहले उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। हालांकि, इसके लिए एक गाइडलाइन जारी की। साथ ही कहा कि अब इस पर कानून बनाने का वक्त आ गया है ताकि आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को सदन में जाने से रोका जा सके।

  1. कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता जताते हुए कहा- राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर डालें। नामांकन के बाद प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए संबंधित उम्मीदवार के कम से कम तीन बार प्रचार किया जाए।

     

  2. आरोपी नेताओं के वकालत करने पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सांसद और विधायक फुल टाइम सैलरी पाने वाले कर्मचारी नहीं हैं। इसी वजह से बार काउंसिल ने भी उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।

     

  3. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने को कहा जा सकता है कि आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे नेताओं को अपने चिह्न पर चुनाव न लड़ने दें। वहीं, नेताओं की वकालत के मुद्दे पर चीफ जस्टिस की बेंच ने 9 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था।

     

  4. एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मुताबिक, 2014 में चुने गए सांसदों में से 186 सांसदों पर आपराधिक केस दर्ज था। इसके लिए एडीआर ने 543 में से 541 सांसदों के एफिडेविट का एनालिसिस किया था।

     

  5. एडीआर की रिपोर्ट में बताया गया कि 2004 से ऐसे सांसदों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। 2004 में 24% और 2009 में 30% सांसद ऐसे थे जिन पर आपराधिक मामले दर्ज थे।

     

  6. अयोध्या विवाद से जुड़े पहलू पर 28 को आ सकता है फैसला

    अयोध्या विवाद से जुड़ा एक पहलू संविधान पीठ को रेफर किया जाए या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट 28 सितंबर को फैसला दे सकता है। इसके बाद अयोध्या की विवादित जमीन के मालिकाना हक के विवाद पर सुनवाई शुरू होगी।

     

  7. सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के एक फैसले में कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। मुस्लिम पक्ष इस फैसले का संविधान पीठ में परीक्षण करवाने की मांग कर रहा है।

     

  8. उधर, मॉब लिंचिंग और गोरक्षकों की हिंसा रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइंस पर अभी छह राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों ने अमल नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नाराजगी जताते हुए इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एक सप्ताह के अंदर अनुपालना रिपोर्ट मांगी है। मामले की सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी।