महाभारत 2019 / 1952 में नाम नहीं बताती थीं, इसलिए वोट नहीं दे पाईं 28 लाख महिलाएं

नई दिल्ली, 25 सितंबर: वर्षों की राजशाही और गुलामी से आजाद होने के बाद दुनिया की निगाहें भारत की ओर थीं। आजाद होने के बाद आंतरिक सरकार तो बन चुकी थी, लेकिन लोगों द्वारा चुनी सरकार का इंतजार था। यह इंतजार 1951-52 में खत्म हुआ, जब देश का पहला आम चुनाव हुआ। जिस देश को आज़ाद हुए बमुश्किल पांच साल हुए हों, जहां शिक्षा का स्तर महज 20% हो, उसकी आबादी को अपना शासन चुनने का अधिकार मिलना पूरे विश्व के लिए उस साल की सबसे बड़ी घटना थी।
जनता का विश्वास जीतने की जंग थी पहला चुनाव
-
इतिहासकार रामचंद्र गुहा की बुक ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ के अनुसार पहला आम चुनाव, जनता का विश्वास जीतने की जंग भी थी। यूरोप व अमेरिका में शुरुआत में महिलाओं को वोट के अधिकार से वंचित रखा गया था।
-
भारत में सभी वयस्कों को मताधिकार दिया गया। मगर उस दौर में अशिक्षित महिलाएं खुद के मुंह से अपना नाम बताना बुराई मानती थीं। जनगणना के वक्त इन्होंने अपना नाम किसी की मां या पत्नी के रूप में बताया। इसलिए आयोग को ऐसी 28 लाख महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने पड़े।
-
25 अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 तक चले चुनाव
भारत में चुनाव की प्रक्रिया आजादी के पहले शुरू हो चुकी थी, पर तब दायरा ब्रिटिश भारत के 11 प्रान्तों तक ही सीमित था। 1951 में देश की आबादी 36 करोड़ थी। इनमें 17.32 करोड़ वोटर थे। तब कुल 2,619 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
-
25, अक्टूबर 1951 को सबसे पहला वोट हिमाचल की छिनी तहसील में पड़ा। फरवरी 1952 में चुनाव खत्म हुए। चुनाव में 14 राष्ट्रीय पार्टी और 39 राज्य स्तरीय दलों ने हिस्सेदारी की। राष्ट्रीय दलों को 418 सीटें मिलीं। राज्य स्तरीय पार्टियों को 34 सीटें मिली थीं।
-
भारतीय जनसंघ के 3 उम्मीदवार विजयी हुए, पार्टी ने 94 उम्मीदवार खड़े किए थे। अनुसूचित जाति महासंघ के 2 उम्मीदवार जीते। कांग्रेस का चुनाव चिह्न ‘दो बैलों के ऊपर हल’ था। भारतीय जनसंघ का चुनाव चिह्न जलता हुआ दीपक था।
-
नेहरू के करीबियों ने पार्टी छोड़ी
वोटर्स को लुभाने के लिए नेहरू ने सांप्रदायिकता पर हमला बोला था। 1950 में नेहरू समर्थित जीबी कृपलानी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पुरुषोत्तम दास टंडन से हारे। आहत कृपलानी ने कांग्रेस छोड़ी। किसान मज़दूर प्रजा पार्टी बनाई, चुनाव लड़े।
-
नेहरू के दो पूर्व कैबिनेट मंत्रियों ने कांग्रेस छोड़ी। अक्टूबर 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ बनाया। वहीं भीमराव अांबेडकर ने अनुसूचित जाति महासंघ बनाया।
-
22 हजार 400 पोलिंग बूथ बनाए गए थे। जहां ज्यादातर लोग पढ़ नहीं पाते थे, वहां पार्टी के नाम की जगह चुनाव चिह्न दिए। 17 अप्रैल 1952 में लोकसभा गठित हुई। 4 अप्रैल 1957 तक का कार्यकाल पूरा किया।