आज सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला बस अब आईटी रिटर्न और पैन कार्ड में जरूरी होगा आधार

26 September, 2018, 5:46 pm

By सुमन सिंह 

आज सुप्रीम कोर्ट का बहुत बड़ा और अहम फैसला आया आधार पर जो आम आदमी की पहचान है। आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने केंद्र से डेटा प्रोटेक्शन पर जल्द से जल्द मजबूत कानून लाने के लिए कहा है।  सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने आधार को सुरक्षि‍त और लोगों के लिए जरूरी बताया है।  सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकतीं।  आधार ऐक्ट की धारा 57 को रद्द कर दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बताया है कि आधार का इस्तेमाल कहां कहां जरूरी होगा और कहां इसका इस्तेमाल गैर संवैधानिक होगा।

1. आयकर रिटर्न: इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने में आधार को अनिवार्य रखा गया है। 

2. पैन कार्ड: सुप्रीम कोर्ट ने पैन के लिए आधार की अनिवार्यता को बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि बैंक खातों के लिए अब आधार देना जरूरी नहीं होगा। 

आपको बता दें कि‍ सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड न मिले।  आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना रही है।  सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने अपना फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है। 

सबसे पहले जस्टिस सीकरी इस मामले पर अपना फैसला पढ़ा।  जस्टिस सीकरी, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एम खानविलकर की तरफ से फैसला पढ़ा। फैसला पढ़ता हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए। आधार कार्ड पिछले कुछ साल में चर्चा का विषय बना है।

वहीं इसके बाद जस्टि‍स चंद्रचूड़ अपना फैसला पढ़ रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि इसके जरिए लोगों और वोटरों की प्रोफाइलिंग की जा सकती है। आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली।  आधार से किसी की निजता का उल्लंघन होता है या नहीं, इसकी अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुना रही है। 

 

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। आधार पर फैसला आने तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों की बाकि सभी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक लगाई गई थी। 

इनमें मोबाइल सिम और बैंक खाते भी शामिल थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन खुला रहना चाहिए।  इसके अलावा सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है।