आरएसएस के बारे में खास बातें जो जानना जरूरी है।
11 June, 2018, 1:18 pm


आरएसएस को दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन कहा जाता है। 93 साल बाद संघ की देशभर में 57 हजार से अधिक शाखाएं है। इनसे तकरीबन 50 लाख स्वयंसेवक जुडे़ है।
डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर स्थित अपने घर पर वर्ष 1925 की विजयादशमी के दिन 15 से 20 लोगों की एक बैठक बुलाकर संघ की स्थापना की थी ।
आरएसएस नाम क्यो पड़ा ?
17 अप्रैल 1926 की बैठक में संगठन को राष्टीय स्वयंसेवक संघ का नाम मिला वर्ष 1929 में इस नाम के बैनर तले पहला प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ था । ये शिविर 40 दिनों तक चला था । ये शिविर गर्मियों में आयोजित होते थे । इसलिए इसे ग्रीष्म शिविर भी कहा जाता है ।
संघ में लाठी प्रशिक्षण क्यों जरूरी है?
लाठी का प्रशिक्षण देने की शुरूआत संघ में कुछ समय बाद ही शुरू हो गई थी । संघ के सदस्य अलग-अलग अखाड़ों में जाते थे । और स्वयंसेवकों के बीच प्रतिस्पर्धा होने लगी थी । इस बीच अण्णा सोहोनी ने नागपुर में लाठी प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया ।
स्वयंसेवकों की वेशभूषा
संघ के स्वयंसेवको की वेशभूषा समय-समय पर बदलती रही है । मसलन खाकी कमीज की जगह सफेद कमीज ने ली खाकी टोपी की जगह काली टोपी, बूट की जगह फीते वाले काले रंग के कैनवस के जूते, चमड़े की बेल्ट की जगह प्लास्टिक की बेल्ट और खाकी नीकर के स्थान पर गहरे भूरे रंग की पैंट पहनी जाने लगी ।
संघ की प्रार्थना 1940 में अस्तित्व में आई । पहले संघ की प्रार्थना में दो ही श्लोक शामिल थे । एक मराठी में दूसरा हिंदी में जैसे-जैसे संघ का प्रचार-प्रसार दूसरे राज्य में फैला तो मराठी में लिखी एक प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद करवाया गया ।
महिलाओं के लिए आरएसएस में प्रवेश संभव है । संघ में महिलाएं राष्ट सेविका समिति के तहत स्वतंत्र रूप से काम करती है । इसकी देशभर में 2100 शाखाएं हैं।