ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने टिकट बंटवारे में 33 फीसदी सीेटें महिलाओं को देकर रच दिया इतिहास

18 March, 2019, 12:50 pm

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने टिकट बंटवारे में महिलाओं को 33 फीसदी सीटें देने का ऐलान करके इतिहास रच दिया है । ओडीसा की 21 लोकसभा सीटों में 7 सीटों पर बीजेडी की महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरेगी । ओडिशा ने इससे पहले वर्ष 2011 में स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण को बढाकर 50 फीसदी कर दिया था । 

हालांकि राज्य की 147 सदस्यों की विधानसभा में अभी सिर्फ 12 महिला विधायक है ।

हरियाणा में लोकसभा में महिलाओं की भागेदारी निराशाजनक, 50 साल में पांच महिलाएं ही संसद की दहलीज तक पहुंची

देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी में हरियाणा  की भागेदारी निराशाजनक है ।  50 सालों में केवल पांच महिलाएं लोकसभा में पहुंची है । लोकसभा में पहुंचने वाली महिलाएं अपने पारिवारिक सियासी रसूख और राष्टीय दलों के टिकट पर पहुंची है । इनमें शामिल हैं कांग्रेस की चंद्रावती , बीजपी की सुधा यादव और इंडियन नेशनल लोकदल की कैलाशो सैनी ।

कांग्रेस की राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा तीन बार लोकसभा के लिए चुनी गई है । वह दो बार अंबाला और एक बार सिरसा सीट से निर्वाचित हुई है । इंडियन नेशनल लोकदल की टिकट पर कैलाशों सैनी कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से दो बार चुनाव जीत चुकी है । कैलाशों सैनी इस समय पर कांग्रेस पार्टी में है । पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पौत्री श्रुती चौधरी भिवानी- महेन्द्रगढ़ से सांसद बनी है । जबकि बीजेपी की सुधा यादव कारगिल लहर के दौरान गुरूग्राम लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुकी है । 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि महिलाओं में जीतने की संभावनाएं कम होती है । राजनीतिक दल ऐसे में महिला उम्मीदवारों पर दांव लगाने से कतराते है । लेकिन हरियाणा ने बेटी-बचाओं ,बेटी पढ़ाओं में शानदार काम किया है । लेकिन सियासी गलियारों में महिलाओं की भागेदारी दूर की कौड़ी लग रही है । 

हरियाणा विधानसभा में पहली बार 13 महिला विधायक चुनी गई है । विधानसभा की 90 सीटों के लिए मैदान में उतरी 116 महिलाओं में से 93 महिलाएं चुनाव हार गई थी । बीजेपी की आठ विधायक कांग्रेस की तीन और इनेलों और हंजका की एक सीट पर चुनी गई थी । हंजका और कांग्रेस का विलय हो गया है । जबकि इंडियन नेशनल लोकदल दो फाड़ हो गया है । 

ग्राम पंचायतों में 42 फीसदी महिलाओं के चुने जाने से एक उम्मीद जागी है कि आधी आबादी को उसका सियासी हक मिल पाएगा ।