हर साल 21 मार्च को क्यों नहीं मनाई जाती इमरजेंसी की बरसी?

पिछले महीने 21 मार्च को पूरे देश ने रंगों का पावन पर्व होली मनाया। किसी को याद नहीं होगा कि 21 मार्च का दिन एक और वजह से भी यादगार दिन होता है। 21 मार्च, 1977 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इमरजेंसी ख़त्म की थी। इस बार होली में जब देशवासी ख़ुशियों की इंद्रधनुषी उमंगों से तरबतर हो रहे थे, तब देश में आपातकाल का काला अध्याय ख़त्म हुए पूरे 42 साल हो रहे थे। इस नाते 21 मार्च का दिन हर साल इमरजेंसी की 42वीं बरसी के दिन के तौर पर मनाया जाना चाहिए, ताकि देश की नई पीढ़ी को याद रहे कि लोकतंत्र के इतिहास में एक काला कालखंड भी देशवासियों पर थोपा गया था।
21 मार्च, 2019 का दिन तो ख़ास है ही, लोकतंत्र के इतिहास में यह वर्ष यानी 1919 भी ख़ास है। भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को पारित हुआ और 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। तब संविधान की प्रस्तावना में कहा गया था कि “भारत संपूर्ण संप्रभुता संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य” है। लेकिन आपातकाल के दौरान 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 42वां संविधान संशोधन लाकर देश के चरित्र की परिभाषा ही बदल दी। 1977 में लागू हुए 42वें संविधान संशोधन के तहत प्रस्तावना में दो शब्द जोड़े गए और “भारत संपूर्ण संप्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य” हो गया। प्रस्तावना बदल गई, लेकिन व्यापक अर्थ वाले ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की परिभाषा तय नहीं की गई। इस साल बहुचर्चित 42वें संविधान संशोधन बिल को लागू हुए 42 वर्ष हो चुके हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य को संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य में बदलना क्यों ज़रूरी था? आज़ादी के महज़ 26-27 साल बाद तत्कालीन सरकार को देश के चरित्र की परिभाषा क्यों बदलनी पड़ी? वह भी आपातकाल के दौरान। क्या भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में देश के योग्यतम महानुभावों की मौजूदगी वाली 389 सदस्यीय भारी-भरकम संविधान सभा ने सूझबूझ से काम नहीं लिया था? सब जानते हैं कि पाकिस्तान की स्थापना धर्म के आधार पर हुई थी, लेकिन भारत हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया। क्या आज़ादी के सिर्फ़ 27 साल बाद इंदिरा गांधी को यह सियासी बोध हो गया था कि दुनिया के सामने भारत को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करना ज़रूरी है? या फिर इसे तुष्टीकरण की राजनीति के शुरुआती बिंदु की तरह रेखांकित किया जा सकता है? आप सोचिए और अपनी राय साझा कीजिए।