अब गृृह मंत्रालय से भाजपा का एजेंडा आगे बढायेंगे अमित शाह ! मोदी की अगुवाई में 58 सदस्यों की केबिनेट सत्तारूढ

31 May, 2019, 7:03 pm

नई दिल्ली। पूरा देश जिसे मोदी-2 पुकार रहा है वह वास्तव में भाजपा-2 है। क्या भाजपा के बगैर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोई वजूद है? लेकिन लोग सिर्फ चेहरे को देखते है। वे यह नहीं देखते कि उस चेहरे को खडा किसने किया है? देश में 30 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में 58 सदस्यों की केबिनेट सत्तारूढ हो चुकी है। इस केबिनेट में लगातार भाजपा की दूसरी जीत के सूत्रधार अमित शाह को गृृहमंत्री बनाया गया है। अमित शाह अब तक पार्टी के राष्ट््ीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए भाजपा का एजेंडा बढा रहे थे। अब वे गृृहमंत्रालय से भाजपा का एजेंडा आगे बढायेंगे। वर्ष 2014 में केन्द्र में भाजपा की पहली सरकार तो भाजपा के राष्ट््ीय अध्यक्ष पद पर राजनाथ सिंह के रहते बनाई गई थी। लेकिन नरेन्द्र मोदी के नेतृृत्व में बनाई गई पहली केबिनेट में राजनाथ सिंह को गृृहमंत्री बनाए जाने के बाद भाजपा का राष्ट््ीय अध्यक्ष अमित शाह को बनाया गया। अमित शाह ने पार्टी का राष्ट््ीय अध्यक्ष बनाए जाते ही भाजपा-2 की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया और पार्टी के सदस्यों की संख्या मात्र 3 करोड से 11 करोड तक पहुंचा दी। सोशल मीडिया के जरिए पार्टी को ताकतवर बनाया। बहरहाल अमित शाह को इस तरह चाणक्य कहा जाने लगा। जब भाजपा की सफलता को ऐतिहासिक संदर्भ में जोडा गया तो दूसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी को चन्द्रगुप्त कहा जाने लगा। नरेन्द्र मोदी ने भी अपने बारे में गढे गए इस मिथ को स्वीकार कर लिया है।  उन्होंने जहां वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने कों देश का चैकीदार बताया था और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा चैकीदार चोर का नारा गढे जाने पर देशभर में मैं भी चैकीदार का नारा प्रचलित किया था। लेकिन अब मोदी ने अपने नाम के आगे लगा चैकीदार शब्द हटा लिया है। मोदी को अब अहसास हुआ है कि देश उन्हें शासक के रूप में स्वीकार कर चुका है और दीन भाव दिखाने की जरूरत नहीं रह गई है।

    बहरहाल केन्द्र में भाजपा-2 में नरेन्द्र मोदी अब पूरे शासक के रूप में 58 सदस्यों की केबिनेट के साथ प्रकट हुए है। लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव परिणाम ने अपनी संरचना देश के सामने प्रस्तुत कर दी है। इस भाजपा-2 सरकार में मोदी के प्रधानमंत्री पद पर रहते अमित शाह यदि गृृहमंत्री बनाए गए है तो इसका मतलब है कि चन्द्रगुप्त ने अपने चाणक्य को नहीं छोडा है। इस तरह अमित शाह भाजपा को मजबूती से खडा करने के बाद केन्द्रीय गृृह मंत्रालय से भाजपा का एजेंडा आगे बढायेंगे। गृृहमंत्री के रूप में अमित शाह को ठीक उसी तरह काम करने की जरूरत होगी जैसे कि उन्होंने पार्टी के राष्ट््ीय अध्यक्ष पद पर रहते किया था। कश्मीर में अगर आतंकवाद है तो उसके सफाये की जिम्मेदारी भी गृृहमंत्री के पास है। धारा 370 और 35ए हटाने की जिम्मेदारी भी केन्द्रीय गृृहमंत्री की है। केन्द्रीय गृृहमंत्री की जिम्मेदारी यह भी है कि वह रामजन्म भूमि विवाद का भी हल निकाले। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सलवाद भी बडी चुनौती है। इस चुनौती को समाप्त करना भी केन्द्रीय गृृहमंत्री का जिम्मा है। 

    भाजपा-1 में लोकसभा में भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल था लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण भाजपा अपना राष्ट््वादी एजेंडा आगे नहीं बढा सकी। तब राजनाथ सिंह भी कमाल नहीं दिखा सकते थे। लेकिन अब आने वाले समय में राज्यों में विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल कर भाजपा के उच्च सदन में भी बहुमत पा लेने की उम्मीद है। ऐसे में मोदी के चाणक्य अमित शाह करिश्मा दिखा सकते है। लेकिन राजनाथ सिंह को देश की सामरिक शक्ति को आगे बढाने का बहुत ही अहम्् काम मिला है। रफाल विमान ही नहीं देश के इर्द-गिर्द के दुश्मनों की ताकत के अनुपात में देश की सेना को ताकतवर बढाने का काम उन्हें करना होगा। आधुनिकतम साजो-सामान सेना को दिलाना उनकी जिम्मेदारी है। यह तो साफ है कि राष्ट््वाद सिर्फ नारों से नहीं चलेगा। यह देखना होगा कि पुलवामा हमले के बाद बालाकोट हमला किया गया और इसके जवाब में जब पाकिस्तान की वायुसेना नें भारतीय क्षेत्र में घुसने का प्रयास किया तो भारत की सेना को गुजरे जमाने के मिग विमानों से हमला करना पडा। पाकिस्तान की वायुसेना तो एफ-16 विमान लेकर आई थी। देश का नेतृृत्व तो यह कह रहा था कि इस वक्त अगर रफाल विमान होता तो स्थिति कुछ और ही होती। तो भारतीय सेना इतना पीछे क्यों है? भारत के रक्षा सौदे हमेशा रिश्वत के आरोंपो में क्यों फंसे रहते है? इन रक्षा सौदों को आरोप मुक्त कर आसान बनाने का जिम्मा राजनाथ सिंह को मिला है। 

    भाजपा-2 को देश की कमजोर होती अर्थव्यवस्था को भी संभालना होगा। डाॅलर के मुकाबले रूपए की घटी कीमत,औद्योगिक उत्पादन में गिरावट,सकल घरेलू उत्पाद की गिरती दर,बैंकों का बढाता एनपीए और देश पर बढता कर्ज आदि आर्थिक संकेतक बदहाल अर्थव्यवस्था की ओर इशारा कर रहे है। बेरोजगारी चरम पर है। कृृषि संकट बरकरार है। ऐसे मे रक्षा मंत्रालय वापस लेकर वित्त मंत्री बनाई गई निर्मला सीतारमण का जिम्मा भी अहम्् है। अगर वित्त मंत्रालय ने भाजपा-1 की नोटबंदी और जीएसटी के जटिल प्रारूप के कारण पटरी से उतरती अर्थव्यवस्था को नहीं संभाला तो चाणक्य और चन्द्रगुप्त कें मिथ टूटते समय नहीं लगेगा। 

   बहरहाल भाजपा-2 में दूसरी बार प्रधानमंत्री पद संभालने में सफल रहे नरेन्द्र मोदी ने अपनी केबिनेट के गठन में क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखा है। वे पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव से अधिक सीटें मिलने के चलते गठबंधन धर्म के निर्वाह की मजबूरियों से मुक्त भी दिखाई दिए है। इसीलिए उन्होंने प्रत्येक गठबंधन सहयोगी दल कों केबिनेट में एक पद देने का फार्मूला अपनाया है। हालांकि इस फार्मूले नापंसद करते हुए बिहार में गठबंधन के सहयोगी जनता दल-यूनाइटेड ने केबिनेट में शामिल होने से ही इनकार कर दिया है। लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या के अनुपात में 15 फीसदी तक मंत्री बनाने के संविधान के प्रावधान के अनुसार केन्द्रीय केबिनेट में 80 मंत्री शामिल किए जा सकते है लेकिन नरेन्द्र मोदी ने अभी केबिनेट में 58 मंत्री ही रखे है। केबिनेट के विशालकाय बनने से बचने के लिए ही पश्चिम बंगाल से मात्र दो ही मंत्री बनाए गए है। पश्चिम बंगाल में भाजपा ने वर्ष 2014 की दो सीट के मुकाबले इस चुनाव में 18 सीटें हासिल की है। ऐसे में केबिनेट में पश्चिम बंगाल की अधिक हिस्सेदारी बनती है लेकिन मात्र दो राज्यमंत्री ही बनाए गए है। आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो तो भाजपा-1 में भी राज्य मंत्री थे और उन्हें दूसरी बार स्थान मिला है। रायगंज से चुने गए देवश्री राय को राज्यमंत्री बनाया गया है। जबकि बाबुल सुप्रियो के समर्थक उन्हें केबिनेट मंत्री के रूप में देखना चाहते थे। तृृणमूल कांग्रेस के विधायक अर्जुन सिंह भाजपा में आए और बैरकपुर से सांसद चुने जाने के बाद मंत्री बनना चाहते थे। मेदिनीपुर से सांसद चुने गए दिलीप घोष भी मंत्री पद की उम्मीद लगाए थे। विष्णुपुर से जीते सौमित्र खान,हुगली के सांसद सौमित्र चटर्जी,बनगांव से जीते शांतनु ठाकुर भी मंत्री बनने की उम्मीद लगाए थे। 

  भाजपा-2 में सबसे बडे राज्य उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा आठ मंत्री बनाए गए है। महाराष्ट्् से सात,बिहार से छह,मध्यप्रदेश से चार मंत्री बनाए गए है। झारखंड से एक केबिनेट व ओडीसा से एक केबिनेट व एक राज्यमंत्री बनाए गए है। हरियाणा से तीन राज्यमंत्री बनाए गए है। भाजपा-2 में 29 राज्यों में से 22 को प्रतिनिधित्व मिला है। गुजरात से अमित शाह समेत तीन मंत्री बनाए गए है। कर्नाटक से तीन मंत्री बनाए गए है। सभी 25 सीटें देने वाले राज्य राजस्थान से भी तीन मंत्री बनाए गए है। पंजाब से तीन और केरल व असम से एक-एक मंत्री बनाए गए है। उत्तराखंड व दिल्ली से एक-एक मंत्री बनाए गए है। तमिलनाडु से निर्मला सीतारमण को ही स्थान मिलना माना जा रहा है। गठबंधन सहयोगी अन्नाद्रमुक को केबिनेट में स्थान नहीं मिला है। 

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा-2 में विदेश मंत्री के रूप में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को शामिल कर चैंकाया है।मेनका गांधी,जेपी नड््डा,सुरेश प्रभु और राधामोहन सिंह जैसे भाजपा-1 के मंत्रियों को शामिल न कर कई सवाल खडे किए है। भाजपा-1 के करीब 30 मंत्रियों को भाजपा-2 में शामिल नहीं किया गया है। इस बार 19 नए चेहरों को स्थान मिला है। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्रनाथ पांडेय को मंत्री बनाए जाने से वहां प्रदेश अध्यक्ष नया बनाया जाएगा। अमित शाह के गृहमंत्री बनने से भाजपा का राष्ट््ीय अध्यक्ष नया बनाया जाना है। इस पद के लिए केबिनेट से बाहर रखे गए जेपी नड््डा के नाम पर चर्चा चल रही है। गठबंधन सहयोगी अपना दल को केबिनेट में स्थान नहीं मिला है। इस बार केबिनेट में एकमात्र मुस्लिम चेहरा मुख्तार अब्बास नकवी है। मोदी समेत शपथ लेने वाले 58 मंत्रियों में 32 सवर्ण,पिछडी जाति के 13,अनुसूचित जाति के छह और अनुसूचित-जनजाति के चार मंत्री शामिल किए गए है। नितिन गडकरी समेत नौ ब्राह्णण नेता,तीन ठाकुर नेता,