कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय कृषि कर्ज माफी प्राथमिकता के आधार पर करने की अपील पंजाब के किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना’ में संशोधन करने की मंजूरी

6 June, 2019, 4:22 pm

चंडीगढ़, 6 जून:

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने ‘प्रधान मंत्री फ़सल बीमा योजना’ में संशोधन करने की माँग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संकट से जूझ रहे किसानों की मदद के लिए प्राथमिकता के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर कृषि कर्ज माफी पर विचार करने की अपील की है।

दो अलग-अलग पत्रों में पंजाब के किसानों के हितों की सुरक्षा की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के लिए एक मुश्त कृषि कर्ज माफी ज़रूरी है। उन्होंने ‘प्रधान मंत्री फ़सल बीमा योजना’ में संशोधन करके इसको और प्रभावी तरीके से किसान समर्थकी बनाने की माँग की जिससे ग्रामीण आर्थिकता को बढ़ावा मिल सके।

राष्ट्रीय स्तर पर कजऱ् माफी के लिए लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा अपने सीमित साधनों के साथ दी गई राहत पर्याप्त नहीं और भारत सरकार द्वारा इसमें इजाफा किये जाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि इस किसान समर्थकी कदम से न सिफऱ् किसानों की मुश्किलें घटाने में मदद मिलेगी बल्कि कृषि सैक्टर को प्रगति और विकास की राह पर डालने के साथ-साथ मुल्क के किसानों के जीवन स्तर को और संवारने की भी आशा बंधेगी। 

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को यह कदम उठा लेना चाहिए क्योंकि मुल्क के इन अन्नदाताओं में से बहुत से कजऱ्े के बोझ तले दबे हुए हैं जिसके परिणामस्वरूप कुछ किसान खुदकुशी जैसा घातक कदम उठाकर मौत को गले लगा चुके हैं। उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए धीरे -धीरे और छोटे -छोटे कदमों के साथ सुधार करने की बजाय ठोस कदम उठाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जिससे दुख-दर्द झेल रहे किसानों की मुश्किलें घटाने के साथ-साथ उनके जीवन में सुधार लाया जा सके। 

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मोदी को अवगत करवाया कि राज्य सरकार ने अपने स्तर पर उन सभी सीमांत किसानों को दो -दो लाख रुपए की कजऱ् राहत मुहैया करवाई है जिन किसानों ने संस्थागत कजऱ् उठाया था। इसी तरह छोटे किसानों का भी कजऱ् माफ किया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक 5.52 लाख किसानों को 4468 करोड़ रुपए की कजऱ् राहत दी जा चुकी है और बाकी रहते योग्य किसानों को निकटभविष्य में यह राहत प्रदान की जायेगी। 

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि किसानों को प्रधानमंत्री किसान और पैंशन स्कीमों के द्वारा वित्तीय सहायता देने के लिए केंद्र सरकार के प्रयास चाहे प्रशंसनीय हैं परन्तु कजऱ्े में डूबे पंजाब के किसानों के संदर्भ में मौजूदा आर्थिक संकट में से निकलने के लिए यह स्कीमें शायद सार्थक सिद्ध न हों। उन्होंने दुख ज़ाहिर करते हुए कहा कि किसानों के लिए एक मुश्त राष्ट्रीय कजऱ् माफी के लिए केंद्र को बार -बार की गई अपीलों के प्रति उसका उत्तर उत्सहाजनक नहीं रहा। 

एक और पत्र में मुख्यमंत्री ने मोदी से अपील की कि वह ‘प्रधान मंत्री फ़सल बीमा योजना’ में उचित संशोधन करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय को निर्देश दें। 

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपने पत्र में कहा कि चाहे इस स्कीम को प्रगतिशील कदम के तौर पर माना गया जो बीती स्कीमों की अपेक्षा बेहतर है परन्तु इसमें कुछ कमियां हैं जिसके परिणामस्वरूप न तो इसको पंजाब के किसानों द्वारा अपनाया गया और न ही इसको राज्य में लागू किया गया। 

मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि इस बीमा योजना को क्षेत्र पर आधारित करने की बजाय खेत /प्लाट पर आधारित करना चाहिए। उन्होंने आगे यह भी सुझाव दिया कि क्षतिपूर्ति स्तर 90 प्रतिशत से अधिक (95 प्रतिशत तक) तक की इजाज़त दी जाये और यह सम्बन्धित किसान के पिछले साल के झाड़ पर अधारित होना चाहिए।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि कटाई के बाद मंडियों में आने वाली फ़सल को कुदरती आपदाओं के कारण होने वाले नुक्सान को भी इस योजना का हिस्सा बनाया जाये। उन्होंने कहा कि स्थान्ीय स्तर की आपदाओं के लिए उपबंध रबी के सीजन के दौरान बेमौसम बारिश से होने वाले नुक्सान के लिए भी कवर किये जाएँ और खरी$फ की फ़सल की फसलों की कम बारिश होने से होने वाली पैदावार की कीमत बढ़ाकर इसकी भरपाई की जाये। 

मुख्यमंत्री ने माँग की कि किसानों से कोई प्रीमियम नहीं वसूला जाना चाहिए और इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को 60:40 के अनुपात मुताबिक हिस्सेदारी डालनी चाहिए क्योंकि बहुत से किसान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। 

पंजाब में 98 प्रतिशत उपजाऊ क्षेत्र निश्चित रूप से सिंचाई अधीन होने का जि़क्र करते हुए श्री मोदी को अवगत करवाया कि बार -बार कुदरती आपदाओं का सामना करने के बावजूद राज्य अपनी फसलों को बचाने और सँभालने में कामयाब रहा, चाहे उसे बड़ी कीमत उठानी पड़ी जिसमें से इसका कुछ बोझ किसानों को भी सहना पड़ा। उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में पंजाब ने कभी भी कुदरती आपदा वाला वर्ष नोटीफाई नहीं किया गया। 

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि मौजूदा कृषि संकट और किसानों के वित्तीय बोझ हर तरफ़ चर्चा का विषय बना हुआ है। यह महसूस किया गया है कि ऐसी स्थिति में किसान बीमों की किश्त नहीं भर सकते जिस कारण इसका बोझ राज्य और केंद्र सरकारों को सहन करना चाहिए। बहुत से मामलों में केंद्र सरकार कुदरती आपदाओं के संदर्भ में बोझ सहन करती है और बीमों की किश्त का बोझ न सहन करने की कोई वजह नहीं दिखाई देती क्योंकि इससे कुदरती संकट और आपदाओं के समय देनदारियों से बचा जा सकता है। 

मुख्यमंत्री ने यह भी जि़क्र किया कि ‘प्रधान मंत्री फ़सल बीमा योजना’ उन फसलों को कटाई के उपरांत होने वाले नुक्सान के लिए योजना अधीन लाती है जो खेत में काटकर रखी होती हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में फसलों की कटाई के लिए ठोस मशीनीकरन मौजूद है। पंजाब के किसान अपनी फसलों को तुरंत मंडियों में ले जाते हैं परन्तु यदि मंडी में फ़सल को नुक्सान होता है तो यह स्कीम के घेरे में नहीं आता। इसलिए ऐसे नुक्सान को भी स्कीम के घेरे में लया जाना चाहिए।