पंजाब सरकार द्वारा पी.सी.एम.एस. डॉक्टरों के लिए पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स में दाखि़ले के लिए योग्यता मापदण्डों में राहत

27 June, 2019, 8:42 pm

चंडीगढ़, 27 जून:

पी.सी.एम.एस डॉक्टरों की लम्बे समय से लम्बित पड़ी माँग के मद्देनजऱ, पंजाब सरकार द्वारा पी.सी.एम.एस. डॉक्टरों के लिए पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स में दाखि़ले के लिए योग्यता मापदण्डों में राहत दी गई है। इसका प्रगटावा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने आज प्रैस बयान के द्वारा किया।

श्री सिद्धू ने कहा कि मुख्यमंत्री, पंजाब कैप्टन अमरिन्दर सिंह की हिदायतों पर पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स में दाखि़ला लेने वाले डॉक्टरों को योग्यता मापदण्डों में राहत दी गई है। उन्होंने कहा कि पहले पी.सी.एम.एस. डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में 4 साल का कठिन सेवाकाल पूरा करना होता था और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में 6 साल का सेवाकाल पूरा करने वालों को 30 प्रतिशत इनसैंटिव मार्क दिए जाते थे और उनको पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स करने के लिए आज्ञा दी जाती थी। अब ग्रामीण सेवाकाल की समय सीमा को 4 साल से घटाकर 2 साल और 6 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में 2/3 वर्ष और 4.5 साल के सेवाकाल वाले डॉक्टरों को क्रमवार 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत इनसैंटिव मार्क दिए जाएंगे। इनसैंटिव श्रेणी के अंतर्गत दाखि़ला लेने वाले डॉक्टरों को पी.जी. कोर्स के दौरान पूरी तनख़्वाह दी जायेगी।

इस सम्बन्धी और जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पहले पी.जी. कोर्स में केवल अपनी मेरिट के आधार पर दाखि़ला लेने वाले उम्मीदवारों को ग्रामीण क्षेत्रों में 3 साल के सेवाकाल के बाद में पी.जी. कोर्स करने की आज्ञा दी जाती थी। अब इस समय को 3 साल से घटाकर 1 साल कर दिया गया है और डॉक्टरों को अपने पी.जी. कोर्स के समय के दौरान बनती छुट्टी दी जायेगी। इससे पहले जो पी.सी.एम.एस. डॉक्टर अपना परखकाल का समय पूरा करने में नाकाम रहते थे, उनको बनती छुट्टी नहीं दी जाती थी और पी.जी. कोर्स समय के दौरान उनके सेवाकाल को ‘डाईस-नॉन’ (समय नहीं गिना जायेगा) समझा जाता था। इसके निष्कर्ष के तौर पर उनकी वरिष्ठता का नुक्सान होता था जिस कारण कई डॉक्टरों का मनोबल गिरता था। अब उनको बनती छुट्टी मिलेगी और उनकी असली वरिष्ठता बरकरार रहेगी।

पी.जी.आई. द्वारा स्पॉन्सर किये जाने वाले उम्मीदवारों के लिए बाँड 15 साल या 75 लाख से घटाकर 10 साल या 50 लाख रुपए कर दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उनकी इच्छा है कि पी.सी.एम.एस. डॉक्टर जितनी जल्दी हो सके, अपनी डिग्री ख़त्म करें जिससे अपना पी.जी. कोर्स ख़त्म करने के बाद वह लम्बे समय तक विभाग में अपनी सेवा निभा सकें।