संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में भूल प्रश्नपत्र हिन्दी में और राज्यों की परीक्षाओं के पत्र क्षेत्रीय भाषा में हो - अतुल कोठारी

नई दिल्ली, 27 अगस्त । देश में प्रतियोगी परीक्षाओं में व्याप्त विसंगतियों , भाषायी पूर्वाग्रह को हटाने की आवश्यकता हैं । प्रतियोगी परीक्षा के राष्टीय संयोजक देवेन्द्र सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में ये बात कही । शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की शाखा "प्रकल्प:प्रतियोगी परीक्षा" प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रणाली को तर्कसंगत, सेवा आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के काम में लगी हैं । देवेन्द्र सिंह कहते है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में एक विजन की कमी हैं । इस प्रकार चयन प्रणाली अनेक स्थानों पर सेवा और देश की आवश्यकताओं को पूरा नही करती हैं ।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने मांग की हैं कि प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रणाली को तर्क संगत, सेवा आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने की आवश्कता हैं । अतुल कोठारी , राष्टीय सचिव , शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने जी.एन.एस को बताया कि सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा से सी-सैट प्रणाली को हटाया जाए। मुख्य परीक्षा में भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी माध्यम की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में माध्यमों के बीच समानता यानी इंटर मीडियम पैरिटी बनाने के लिए मॉडरेशन किया जाए ।
उन्होंने कहा कि कर्मचारी चयन आयोग की संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा के टियर-1 में अग्रेजी के प्रश्न हटाया जाना चाहिए । इतना ही नही संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में मूल प्रश्न पत्र हिन्दी में होना चाहिए । राज्यों में मूल प्रश्न क्षेत्रीय भाषाओं में होना चाहिए । ताकि अनुवाद की गलतियों से बचा जा सके । श्री कोठारी ने कहा कि सीबीएसई के अलावा भी एक बोर्ड बनना चाहिए । देश में गुरूकुल शिक्षा दी जाती हैं उसको भी बोर्ड के तहत लाने की आवश्यकता हैं ।
केन्द्र सरकार को मदरसों के लिए मदरसा बोर्ड बनाने की आवश्यकता हैं । नई शिक्षा नीति पर उन्होंने कहा कि नई पॉलिसी देश की आवश्यकता को देखकर बन रही हैं । कोठारी ने कहा कि सैक्स एजुकेशन का नाम बदला जाना चाहिए । छात्र-छात्राओं को शारिरिक बनावट के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए ।