6 सितम्बर, 2018 के बाद गुरू ग्रंथ साहिब के बेअदबी मामलों में जांच का सी.बी.आई. के पास कोई हक नही है - अतुल नंदा

चंडीगढ़, 31 अगस्त:
पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नन्दा ने कहा हैं कि कि दिल्ली स्पैशल पुलिस अस्टैबलिशमैंट की धारा 6 के अंतर्गत 2 नवंबर, 2015 को नोटीफिकेशन नं. 7/521 /13 -एच /6190555 /1 और तारीख़ 24 अगस्त, 2018 को नोटीफिकेशन नं. 7/213 /2013 -एच /4132 जारी करके बेअदबी मामलों में दर्ज एफ.आई. आरज़ की जांच सी.बी.आई. को सौंपी गई थी ।
एडवोकेट जनरल ने बताया कि बेअदबी के इन मामलों की जांच लंबे समय तक लटकने के बावजूद कोई प्रगति न होने के मद्देनजऱ, पंजाब विधान सभा में 28 अगस्त, 2018 को प्रस्ताव पास करके सी.बी.आई. को बेअदबी मामलों की जांच सम्बन्धी दी गई। उक्त मंज़ूरी वापस लेने का फ़ैसला लिया गया जिस सम्बन्ध में सी.बी.आई. को 2.11.2015 और 24.08.2018 को सौंपी गई जांच की मंज़ूरी वापस लेने के लिए 6 सितम्बर, 2018 को नोटीफिकेशन नं.7 /521 /2013-एच /4901 और नोटीफिकेशन नं. 7/521 /2013 -एच /4901 और जारी किया गया ।
अतुल नंदा ने कहा कि पंजाब सरकार ने तारीख़ 6 सितम्बर, 2018 को ज्ञापन नं. 7/251 /13 -एच /4913 के द्वारा डी.जी.पी. को इन मामलों में जांच के लिए विशेष जांच टीम के गठन सम्बन्धी प्रस्ताव सरकार को सौंपने के लिए कहा जिसके बाद 10 सितम्बर, 2018 को एस.आई.टी. का गठन किया गया। इस तरह 06.09.2018 को जारी किये नोटीफिकेशन के साथ इन मामलों में आगे पड़ताल के लिए सी.बी.आई. को दिए अधिकार /मंज़ूरी ख़त्म हो जाती है ।
एडवोकेट जनरल ने ज़ोर देते हुये कहा कि इन मामलों में सी.बी.आई. को दी मंज़ूरी वापस लेने सम्बन्धी 6 सितम्बर को जारी किये गए उपरोक्त नोटीफिकेशनों सम्बन्धी भारत सरकार को पत्र नं 7/251 /13 -एच /4941 तारीख़ 7 सितम्बर, 2018 (तारीख़ 2 नवंबर, 2015 को जारी मंज़ूरी नोटीफिकेशन सम्बन्धित) और पत्र नं. 7/251 /13 -एच /4943 तारीख़ 7 सितम्बर, 2018 (तारीख़ 24 अगस्त 2018 को जारी मंज़ूरी नोटीफिकेशन सम्बन्धित) सूचित किया गया।
उन्होंने ज़ोर देते हुये कहा कि इन पत्रों के साथ भारत सरकार से अपील की गई कि सी.बी.आई इस केस सम्बन्धी एकत्रित किये सबूतों, रिपोर्टों, फायलें समेत यह केस फिर राज्य पुलिस को सौंपे ।
श्री नन्दा ने आगे कहा कि जस्टिस रणजीत सिंह जांच आयोग के फ़ैसले और सी.बी.आई. से जांच वापस लेने सम्बन्धित राज्य सरकार की कार्यवाही को कई पटीशनों के रूप में माननीय हाईकोर्ट के सामने चुनौती दी गई जबकि अतिरक्त सुपरीटैंडैंट ऑफ पुलिस, सैंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवैस्टीगेशन, श्री पी. चक्रवर्ती के ज़रिये सी.बी.आई. द्वारा तारीख़ 13.11.2018 को दायर किये हलफऩामे के पैरा 4 में जांच वापस लेने के नोटीफिकेशनों के तथ्य को स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया गया है ।
ऐसेे जांच वापस लेने के नोटीफिकेशनें को सिफऱ् सी.बी.आई. ने ही नहीं स्वीकार्य, माननीय हाईकोर्ट की तरफ से भी 25 जनवरी, 2019 के एक विस्तृत फ़ैसले और आदेश द्वारा यह दर्ज किया गया था, जिसमें सी.बी.आई. से ऐसी पड़ताल वापस लेने सम्बन्धी पंजाब के कानूनी हक और कार्यवाही को कायम रखा गया था और फ़ैसले के पैरा 34 /35 में कहा गया है कि सी.बी.आई. के वकील की तरफ से इस मामले सम्बन्धी जांच में 3 साल की देरी के लिए कोई तसल्लीबख्श जवाब नहीं दिया गया और सी.बी.आई. के वकील इस सम्बन्धी कोई फ़ैसला पेश नहीं कर सके जिसमें यह दिखाया गया हो कि पंजाब राज्य सी.बी.आई. को दी जांच वापस लेने सम्बन्धी पंजाब कोई अधिकार नहीं रखता ।
भारत सरकार को तारीख़ 06.09.2018 को भेजे नोटीफिकेशन और तारीख़ 07.09.2018 को लिखे पत्र की निरंतरता में पंजाब राज्य ने तारीख़ 12 मार्च, 2019 को पत्र नंबर 7/521 / 13 -2114 /1524 के द्वारा मंत्रालय /विभाग को इस केस सम्बन्धी सभी केस फाइलें, सामग्री आदि वापस करने को यकीनी बनाने सम्बन्धी कहा और जिसकी पुष्टी भारत सरकार की तरफ से पत्र 28.06.2019 द्वारा की गई ।
इसके बावजूद, सीबीआई ने तारीख़ 04.07.2019 को जल्दबाज़ी में विशेष न्यायिक मैजिस्ट्रेट, सी.बी.आई. केस, मोहाली के आगे कलोजऱ रिपोर्ट तारीख़ 29.06.2019 दायर की। इसकी कापी कभी भी राज्य सरकार को नहीं सौंपी गई और स्पैशल ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट, सी.बी.आई. केस, मोहाली की अदालत में पंजाब राज्य द्वारा कलोजऱ रिपोर्ट की एक कापी प्राप्त करने सम्बन्धी अजऱ्ी ख़ारिज कर दी गई। पंजाब राज्य ने स्पैशल ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट, सी.बी.आई. केस, मोहाली के फ़ैसले के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दायर की हुई है। हालाँकि कलोजर रिपोर्ट की एक कापी वेबसाइट पर उपलब्ध है।
एडवोकेट जनरल, पंजाब श्री अतुल नन्दा ने ज़ोर देते हुये कहा कि सी.बी.आई या भारत सरकार की तरफ से किसी भी अपील की अनुपस्थिति में सीबीआई की तरफ से गई ऐसी कार्यवाही सी.डबल्यू.पी. नं. 23285 ऑफ 2018 में माननीय हाई कोर्ट की तरफ से 25.01.2019 को जारी किये हुक्मों का उल्लंघन हैं ।