उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त बाजवा ने नयी शिक्षा नीति के मसौदे को पंजाबी भाषा में मुहैया करवाने की मांग

31 August, 2019, 11:58 am

चंडीगढ़, 31 अगस्त:

पंजाब सरकार ने आज केंद्र सरकार से माँग की है कि नयी शिक्षा नीति के मसौदे पर ऐतराज़ और सुझाव देने सम्बन्धी निर्धारित की गई आखिरी तारीख 31 अगस्त से बढ़ा कर 31 दिसंबर की जाये जिससे राज्य के भाषाई और शिक्षा संस्कृति पर बड़ा गहरा प्रभाव डालने वाली इस नीति पर कोई सर्वसम्मति बनाने के लिए विचार-विमर्श करने के लिए जरूरी समय मिल सके। 

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा ने आज केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक को एक पत्र के द्वारा कहा है कि इस शिक्षा नीति ने पंजाब की अपनी शिक्षा नीति को प्रभावित करने के साथ-साथ पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत पर भी प्रभाव डालना है। इसके अलावा यह नीति राज्य की शिक्षा संस्थाओं के अस्तित्व और भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह लगाती है। इसलिए इस पर कोई सर्वसम्मति बनाने के लिए सभी संबंधित पक्षों के साथ गहरा विचार-विमर्श अपेक्षित है जिसके लिए काफ़ी लंबा समय चाहिए। 

श्री बाजवा ने केंद्रीय मंत्री से माँग की है कि 31 अगस्त तक राज्य सरकार, शिक्षा शास्त्रियों और शैक्षिक संस्थाओं के लिए इस नीति पर अपनी राय भेजनी संभव नहीं है, इसलिए यह तारीख़ बढ़ा कर 31 दिसंबर कर दी जाये। 

उच्च शिक्षा मंत्री ने केंद्र सरकार से यह भी माँग की है कि इस नयी शैक्षिक नीति के मसौदे को बाकी क्षेत्रीय भाषाओं की तरह पंजाबी में भी मुुहैया करवाया जाये जिससे पंजाब का अधिक से अधिक संबंधित पक्ष इसको पढ़ कर अपने सुझाव या ऐतराज़ भेज सकें। 

इस मामले पर गहरी चिंता ज़ाहिर करते हुए पंजाब भर से विभिन्न बुद्धिजीवी और विभिन्न जत्थेबंदियाँ पंजाब के उच्च शिक्षा मंत्री स. तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा को पिछले कई दिनों से लगातार मिल रहे हैं। इसी सम्बन्धी पंजाब के बुद्धिजीवियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञान केवल सिंह और बाबा फऱीद यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंसज़, फऱीदकोट के पूर्व रजिस्ट्रार डा. प्यारे लाल गर्ग के नेतृत्व में उच्च शिक्षा मंत्री को मिलकर यह माँग की थी कि केंद्र सरकार को पंजाब सरकार की राय भेजने के साथ-साथ सुझाव देने के लिए आखिरी तारीख़ बढ़ाए जाने के लिए कहा जाये।