पराली से तैयार होगा बायो-एथेनौल- सुंदर शाम अरोड़ा
9 July, 2018, 6:05 pm

पराळी की समस्या के निपटारे और उद्योगीकरण के लिए रचनात्मक माहौल सृजन करने के लिए पंजाब सरकार ने बड़ी पहलकदमी करते हुए पराली से बायो -एथेनौल प्राजैकट लगाने का फ़ैसला किया है। इस प्रोजैकट के लिए आज मैसर्ज एस.ए.बी. इंडस्ट्रीज लिम. के साथ समझौते पर सही हस्ताक्षर किए गए।
पंजाब के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री सुन्दर शाम अरोड़ा यह जानकारी देते हुए बताया कि 719 करोड़ रुपए के अनुमानित निवेश वाला यह प्रोजैकट पराली से 25000 टी.पी.ए. जी बायो -एथेनौल पैदा करेगा। उन्होंने बताया कि संगरूर में लगने वाला यह प्रोजैकट न सिफऱ् निवेश और रोजग़ार के मौके पैदा करेगा बल्कि फसलों के अवशेष को जलाने की समस्या के साथ निपटने में भी मददगार होगा।
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री ने बताया कि कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार वार्षिक 120 -160 मिलियन मीट्रिक टन फसलों के अवशेष निकलते है। उन्होंने बताया कि यदि इसको एथेनौल में बदला जाये तो वार्षिक 3 हज़ार करोड़ लीटर एथेनौल पैदा होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि अतिरिक्त अवशेष, जिसमें सैलूलौजिक़ और लिगनोसैलूलौजिक़ तत्व होता है, को आधुनिक पीढ़ी की प्रौद्यौगिकी इस्तेमाल करके एथेनौल में बदला जा सकता है।
श्री अरोड़ा ने बताया कि देश में जैविक ईंधन को उत्साहित करने के लिए पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार ने जैविक ईंधन संबंधी राष्ट्रीय नीति -2018 बनाई है, इस नीति का उद्देश्य ट्रांसपोटेशन क्षेत्र और ऊर्जा क्षेत्र में जैविक ईंधनो के प्रयोग को बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि भारत में जैविक ईंधन इस पक्ष से भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सरकार किसानों की आमदन दोगुनी करने, आयात घटाने, रोजग़ार पैदा करने और कूड़े को संपदा में बदलने की दिशा में काम कर रही है और ‘मैक इन इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ ,‘कौशल विकास’ और अन्य कई अहम पहलकदमियां की हैं।
जि़क्रयोग्य है कि मौजूदा समय फ़सल की कटाई के बाद शेष अवशेष को किसान खेतों में ही जला देते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और स्वास्थ्य के लिए खतरे पैदा होते हैं। इस समस्या के ख़ात्मे के लिए अवशेष के वैज्ञानिक ढंग से निपटारे की बेहद ज़रूरत है। पंजाब सरकार केंद्र सरकार की नीति की तजऱ् पर पराली से बायो -एथेनौल और बायो गैस पैदा करने वाले औद्योगिक प्रोजेक्टों को उत्साहित करने के लिए यतनशील है।