श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के प्रतीक चिह्न ‘लोगो’ का अनावरण हुआ

चडीगढ़, 4 सितम्बर- हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने आज श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के प्रतिक चिह्न ‘लोगो’ का अनावरण किया।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह विश्वविद्यालय दुनिया में अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय होगा, जिनमें अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार आयुर्वेद, योग, युनानी, सिद्धा तथा होम्योपैथी की चिकित्सा एवं शिक्षा की व्यवस्था होगी।
उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र में बनाए जा रहे विश्वविद्यालय का निर्माण करीब 100 एकड़ भूमि पर किया जाएगा। इसमें स्नातकोत्तर, पीएचडी सहित अन्य पाठ्यक्रमों की शिक्षा भी उपलब्ध होगी, इसके साथ ही आयुर्वेद पर नवीनतम अनुसंधान की व्यवस्था भी की जाएगी। इस दिशा में विशेष कदम उठाते हुए चालु शिक्षा सत्र से ही आयुर्वेद के 5 विषयों में स्नातकोत्तर सीटों में भी दाखिला किया जाएगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने प्रतीक चिन्ह के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि लोगों के नीचे का उद्धरण चिकित्सा के महत्व को दर्शाता है, जिसमें संसार के सभी जीवों के सुख हेतु ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया’ को चरितार्थ किया है। इसमें वेद की सुक्ति ‘चिकित्सातात् न पुण्यतमं किंचित:’ के अनुसार चिकित्सा सबसे पुण्य का कार्य बताया गया है।
डॉ. कुमार ने बताया कि प्रतीक चिन्ह में भगवान कृष्ण के चक्र के समान इंगित् वृत्त में विश्वविद्यालय का नाम प्राणीमात्र को रोगों के कुचक्र को तोडऩे में आयुष के महत्व को दर्शाता है। हथेली के दोनों तरफ की पत्तियां आयुष की सनातन समृद्धि की द्योतक है। इसके साथ आयुष की पांचों विधाएं आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा एवं होम्योपैथी को हाथ की अंगुलियां इंगित कर रही है।
कुलपति ने बताया कि हाथ की हथेली के ऊपर स्थित चिह्नï योग कर रहे व्यक्ति को दर्शा रहा है, जिसकी विस्तारित भुजाएं प्रसन्नता को इंगित करती हैं। इतना ही नही वृक्ष की शाखाओं के साथ साथ उसकी हरी पत्तियां भी मानव जाति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य के लिए आयुष औषधियों के महत्व को दर्शाती हैं।