पंजाब में नई स्मार्ट स्कूल नीति 2019-20 लागू हुई ।

5 September, 2019, 8:35 pm

चंडीगढ़, 5 सितम्बर:

राज्य भर में मानक और नैतिक-मूल्यों पर आधारित शिक्षा को यकीनी बनाने के लिए अपने उद्देश्यों को आगे ले जाते हुए पंजाब के शिक्षा मंत्री श्री विजय इंदर सिंगला ने आज स्मार्ट स्कूल नीति 2019-20 जारी की जिसका मुख्य उद्देश्य स्कूलों के मौजूदा बुनियादी ढांचे का स्तर ऊँचा उठाना और शिक्षा के क्षेत्र में क्रंतिकारी बदलाव लाना है। 

इस मौके पर बोलते हुए मंत्री ने राज्य के स्कूलों में मौजूदा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार के यत्नों का खुलासा किया और राज्य सरकार की कोशिशों में हाथ बटाने के लिए विभिन्न नेताओं और समुदायों के नुमायंदों को आगे आने का न्योता दिया। 

श्री सिंगला ने बताया कि उन्होंने सभी विधायकों को स्कूलों के बुनियादी ढांचों में सुधार लाने के इच्छुक लोगों को आकर्षित करने के नेक कार्य में हिस्सा डालने और सहयोग देने के लिए पत्र लिखा है। 

इस नीति के क्लॉज 7 का जिक़्र करते हुए श्री सिंगला ने कहा कि स्कूल की प्रबंधक समिति की मंजूरी के साथ ज़रूरत के अनुसार लोग स्कूलों के बुनियादी ढांचों के सुधार में योगदान डाल सकेंगे। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति स्कूल में ब्लॉक या इमारत को बनाने में पैसे लगाएगा उसकी इच्छा के अनुसार उसका नाम रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्धी प्रस्ताव एैप ‘‘योगदान’’ पर डाले जा सकते हैं जिस सम्बन्ध में स्कूलों में पूँजी लगाने वाले इच्छुक व्यक्तियों तक डी.ई.ओ. ख़ुद पहुँच करेंगे। उन्होंने कहा कि इसकी मंजूरी समर्थ अथॉरिटी द्वारा ऑनलाइन भेजी जायेगी। 

श्री सिंगला ने आगे बताया कि स्कूलों में कमरों, खेल मैदान, शिक्षा पार्क, विज्ञान लैबोरेट्रियों और शौचालयों की मौजुदगी शिक्षा के मानक पर प्रभाव डालती है। उन्होंने कहा कि अध्ययन के दौरान यह बात सामने आई है कि योग्य बुनियादी ढांचों की अनुपस्थिति वाले स्कूलों की बजाय ऐसे स्मार्ट स्कूलों के विद्यार्थियों की कारगुज़ारी बढिय़ा होती है। अब तक विभाग द्वारा 261 सरकारी हाई और सीनियर सेकेंड्री स्कूलों को स्मार्ट स्कूलों में बदल दिया गया है इसके अलावा तकरीबन 2600 सरकारी स्कूलों को सी.एस.आर/एन.जी.ओ. /एन.आर.आईज़ और समूदायों आदि की मदद से स्मार्ट स्कूलों में बदला गया है। 

उन्होंने कहा कि नीति के अनुसार यह स्मार्ट स्कूल आम स्कूलों की अपेक्षा पूरी तरह अलग हैं। स्मार्ट स्कूल प्रौद्यौगिकी आधारित सीखाने वाले संस्थान हैं जो कि विद्यार्थियों के समूचे विकास के अलावा समाज आधारित सूचना और ज्ञान के लिए बच्चों को तैयार करते हैं। हरेक स्मार्ट स्कूल के विद्यार्थी-अध्यापक अनुपात के अनुसार हरेक सैक्शन के लिए अलग क्लास रूम होता है। यह काफ़ी खुले, हवादार और हरे/सफ़ेद बोर्डों वाले होते हैं। 

इन स्कूलों में लडक़े और लड़कियों के लिए अलग शोचालय, लड़कियों के लिए मुफ़्त सैनेटरी नैपकिन के अलावा पूरे फर्नीचर की व्यवस्था होती है। प्रिंसिपल/हैड्डमास्टरों और स्टाफ रूम के लिए स्मार्ट स्कूलों में अलग कमरे मुहैया करवाए जाएंगे। इसके अलावा साइंस लैबोरेट्रियाँ, वोकेशनल लैबोरेट्रियाँ, आई.सी.टी. लैबोरेट्रियाँ आदि की भी सुविधा होगी। 

इससे पहले सचिव स्कूल शिक्षा श्री कृष्ण कुमार ने राज्य सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा के लिए की अलग -अलग पहलकदमियों का जि़क्र किया। उन्होंने बच्चों के चौतरफे विकास को यकीनी बनाने के लिए उचित सुविधाओं पर ज़ोर दिया।

गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा को मज़बूत बनाने और आई.सी.टी. आधारित शिक्षा के द्वारा विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में सुधार लाने के लिए सरकारी स्कूलों को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्मार्ट स्कूलों में बदला जा रहा है।

इस मौके पर स्कूल शिक्षा विभाग के अन्य सीनियर अधिकारी भी मौजूद थे।