उबर ,ओला की तर्ज पर किसानों को मिलेंगे कृषि यंत्र- केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री
नईं दिल्ली, 9 सितम्बर:
पंजाब सरकार के किसानों को फ़सली अवशेष की विधियां अपनाने के लिए प्रोत्साहन करने के प्रयासों को सोमवार को राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली, जब भारत सरकार द्वारा राज्य के 10 प्रगतिशील किसानों का विशेष सम्मान किया गया। इन किसानों द्वारा फ़सली अवशेष को आग न लगा कर इसको ज़मीन में ही निपटाने की विधियों को अपनाया गया है।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री परषोतम रुपाला द्वारा इन प्रगतिशील किसानों को आज यहाँ फ़सली अवशेष के निपटारे संबंधी किसानों की हुई राष्ट्रीय कान्फ्ऱेंस के दौरान विशेष तौर पर सम्मानित किया गया।
केंद्रीय मंत्री द्वारा सम्मानित किये गए इन किसानों में डा. हरमिन्दर सिंह सिद्धू गाँव जलालदीवाल जि़ला लुधियाना, गुरिन्दर सिंह गिल गाँव कनोयी जि़ला संगरूर, जगतार सिंह बराड़ गाँव महिमा सरजा जि़ला बठिंडा, नरिन्दर सिंह गाँव बुह हवेलियाँ जि़ला तरनतारन, सुखजीत सिंह गाँव दिवाला जि़ला लुधियाना, भुपिन्दर सिंह गाँव बदनपुर जि़ला मोहाली, बीर दलविन्दर सिंह गाँव कला माजरी जि़ला पटियाला, बलविन्दर सिंह गाँव घरांगना जि़ला मानसा, गुरदयाल सिंह गाँव सलोपुर जि़ला गुरदासपुर और हरविन्दर सिंह बडि़ंग गाँव कोठे गोबिन्दपुरा जि़ला बरनाला शामिल हैं।
केंद्र सरकार द्वारा यहाँ एन.ए.एस.सी. कंपलैक्स में करवाई गई इस राष्ट्रीय कान्फ्ऱेंस में पंजाब के 500 से अधिक किसानों द्वारा भाग लिया गया । इस कान्फ्ऱेंस का मंतव्य देश भर के किसानों को फ़सली अवशेष के प्रबंधन के लिए माहिरों द्वारा दर्शायी विधियां अपनाने के लिए उत्साहित करना था। इस मौके पर कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना, कृषि विभाग पंजाब के अलावा अन्य विभागों और अदारों के माहिरों और विशेष तौर पर किसानों द्वारा इस विषय पर अपने विचार सांझे किये गए। इस कान्फ्ऱेंस में अन्य राज्यों के किसानों द्वारा भी बड़ी संख्या में शिरकत की गई।
कृषि विभाग पंजाब के डायरैक्टर डा. एस.के.ऐरी ने बताया कि फ़सली अवशेष के वातावरण विरोधी रुझान को रोकने के लिए राज्य के किसानों द्वारा प्रगतिशील सोच रखते हुये अवशेष के प्रबंधन की तकनीकों को बड़े पैमाने पर अपनाना अपने आप में हाँ-समर्थकी संकेत है। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा पहले ही परली को आग लगाने के रुझान को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर मुहिम शुरु की गई है। राज्य सरकार द्वारा किसानों के सहयोग के साथ किये गए इन यत्नों के कारण इस रुझान में पिछले सालों के मुकाबले जि़क्रयोग्य कमी आई है। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में महत्वपूर्ण है कि अब नयी तकनीकें अपनाने वाले किसान अन्य किसानों को फ़सली अवशेष को आग न लगाने के लिए उत्साहित करने हेतु रोल-मॉडल की भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने आगे बताया कि फ़सली अवशेष को आग लगाने के रुझान को मुकम्मल रूप में खत्म करने के मकसद से कृषि विभाग पंजाब द्वारा बीते वर्ष 28000 एग्रो मशीनें /यंत्र किसानों को मुहैया करवाए जा चुके हैं जिनकी सब्सिडी 269 करोड़ रुपए बनती है जिससे किसान इन तकनीकी उपकरणों की सहायता के साथ पराली और अन्य अवशेषों के प्रबंधन को प्रभावी ढंग के साथ अपना सकें। इसी तरह चालू साल के दौरान किसानों को 22000 और मशीनें मुहैया करवाई जा रही हैं। इस स्कीम के अंतर्गत किसानों को उपकरणों पर 50 से 80 फीसदी तक सब्सिडी मुहैया करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 5000 नये कस्टम हायरिंग केंद्र खोले जा रहे हैं जिससे इन केन्द्रों की संख्या 9000 से अधिक हो जायेगी।
फ़सली अवशेष के प्रबंधन सम्बन्धी पंजाब के नोडल अफ़सर और कृषि विभाग के संयुक्त डायरैक्टर श्री मनमोहन कालिया ने बताया कि विभाग की तरफ से सूचना शिक्षा संचार (आई.ई.सी) गतिविधियां शुरू की गई हैं जिससे किसानों को पराली को आग लगाए जाने के बुरे प्रभावों से सचेत किया जा सके।
इस मौके पर सम्मानित किसानों में से एक गाँव दिवाला जि़ला लुधियाना के किसान सुखजीत सिंह ने कहा कि वह और उनके अन्य साथी किसान अन्य किसानों को फ़सली अवशेष के प्रबंधन को अपनाने के लिए उत्साहित कर रहे हैं जिससे वातावरण को बचाने के साथ-साथ कृषि लागत भी घटाई जा सके।