सीमा पार से होती घुसपैठ और नशों की तस्करी के विरुद्ध साईबर ख़ुफिय़ा जानकारी एकत्रित करने की जरूरत

9 September, 2019, 11:37 pm

एस.ए.एस. नगर (मोहाली), 9 सितम्बर: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज यहाँ आला दर्जे के डिजिटल जांच प्रशिक्षण और अध्ययन केंद्र (डी.आई.टी.ए.सी.) का उद्घाटन किया जिससे साईबर आतंकवाद के बढ़ रहे खतरे ख़ास तौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ और नशों की तस्करी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य की आतंकवाद विरोधी क्षमता मज़बूत होगी। 

देश के इस चौथे यूनिट की महत्ता का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नये उभर रहे साईबर खतरों के लिए ऑनलाइन तकनीकी ख़ुफिय़ा ढांचे का विस्तार करने की ज़रूरत थी और ऐसे तीन और यूनिट गुरूग्राम, गोहाटी और उत्तराखंड में स्थापित हैं। 

पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य जिसकी 555 किलोमीटर सीमा दुश्मन देश के साथ लगती है, के मज़बूत ख़ुफिय़ा साजो-सामान के साथ लैस होने की अहमीयत पर ज़ोर देते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब की भौगोलिक स्थिति के कारण राज्य घुसपैठ और नशों की तस्करी जैसी गतिविधियों के पक्ष से संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि साईबर क्राइम के उभरने से ग़ैर-रिवायती चुनौती खड़ी हुई है जिस कारण लोगों की सुरक्षा को ऑनलाइन यकीनी बनाने के लिए सभी तकनीकों को फिर से समीक्षा करना और अपनाना बहुत ज़रूरी है। 

मुख्यमंत्री ने कहा यह सैंटर पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय तकनीकी खोज संस्था (एन.टी.आर.ओ) के दरमियान साझे उद्यम के तौर पर राज्य के साईबर क्राइम सैल में स्थापित किया गया है। इस केंद्र के साथ साईबर फोरेंसिक, सोशल मीडिया का अध्ययन और कथन एवं कहने के क्षेत्र में राज्य की चल रही तैयारियों को और बल मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि कारगिल में हुई घुसपैठ के दौरान राष्ट्रीय संस्था की स्थापना साल 2004 में की गई थी। 

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इस यूनिट के साथ अमन कानून की रक्षा करने वाली एजेंसियाँ साईबर स्पेस में समाज विरोधी तत्वों को प्रभावशाली ढंग से टक्कर देने में महारत का विकास करने के अलावा साईबर क्राइम की निगरानी के क्षेत्र में पुलिस मुलाजिमों को मानक प्रशिक्षण भी दिया जा सके। 

अपराधिक गतिविधियों में प्रौद्यौगिकी बढ़ रहे प्रयोग पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने तकनीकों के विकास में लगातार आगे बढऩे की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जिससे कानूनी मंतव्यों के लिए डिजिटल सबूतों को प्रयोग में लाया जा सके जिससे ऑनलाइन क्राइम और धोखाधडिय़ों के साथ जुड़े मामलों की जांच करके कानूनी निष्कर्ष पर ले जाया जा सके। 

उन्होंने कहा कि डिजिटल फोरेंसिक जांच को समयबद्ध ढंग से पूरा करने से दोषियों के खि़लाफ़ कार्यवाही की जा सकेगी और ऑनलाइन धोखाधडिय़ों पर रोक लगेगी। 

मुख्यमंत्री ने इस सैंटर का भी दौरा किया और राज्य के मुख्य सूचना कमिश्नर सुरेश अरोड़ा और उनके बाद बने राज्य के पुलिस प्रमुख दिनकर गुप्ता द्वारा एन.टी.आर.ओ. की हिस्सेदारी के साथ इस इमारत को रिकार्ड समय में पूरा करने के लिए किये यत्नों की प्रशंसा की। श्री अरोड़ा के पुलिस प्रमुख होते हुए इस सैंटर की स्थापना का आधार बंधा था। 

मुख्यमंत्री ने एडवांस फोरेंसिक लैब में तैनात पुलिस मुलाजिमों के साथ भी बातचीत की और ऑनलाइन डाटा का अध्ययन करके दोषियों को पकडऩे में उनकी महारत की प्रशंसा की। उन्होंने डी.जी.पी. को कहा कि साईबर क्राइम में होती नयी तबदीलियों संबंधी इन अधिकारियों को जानकारी मुहैया करवाना यकीनी बनाया जाये। 

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने इस केंद्र के उद्देश्य और कामकाज संबंधी सीध देते हुए पुस्तिकों को भी जारी किया जो पंजाब पुलिस द्वारा तैयार किया गई हैं। 

अपने शुरुआती शब्दों में डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने इस जांच प्रशिक्षण और अध्ययन केंद्र की स्थापना के लिए राज्य सरकार के सहयोग के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को भरोसा दिया कि इस केंद्र में जटिल उपकरणों और सॉफ्टवेयर के साथ ऑनलाइन अपराध की जांच-पड़ताल की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी। श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री को यादगारी चिह्न भी भेंट किया। 

इस मौके पर एन.टी.आर.ओ के चेयरमैन सतीश चंद्र झा ने इस सैंटर को जल्द से जल्द चालू करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा निभाई सक्रिय भूमिका के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि किसी भी आतंकवादी हमले और इसको रोकने के दरमियान ख़ुफिय़ा पहुँच अलग होती है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और ऑनलाइन अपराध से निपटने के लिए राज्य सरकार के यत्नों को और मज़बूत बनाने के लिए इसके साथ जुड़े मुलाजिमों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। 

जांच ब्यूरो के डायरैक्टर प्रबोध कुमार ने इस यूनिट को साईबर फोरेंसिक और साईबर विरोधी अपराध के बुनियादी ढांचे के विकास में राज्य सरकार के यत्नों का विलय बताया। 

इस मौके पर डी.जी.पी. इंटेलिजेंस वी.के. भावरा, पंजाब पुलिस हाउसिंग निगम के चेयरमैन हरदीप सिंह ढिल्लों और मैनेजिंग डायरैक्टर एम. के. तिवाड़ी, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रमुख सचिव अमृत कौर गिल, एन.टी.आर.ओ के प्रमुख प्रदीप कपूर, ए.डी.जी.पी. अपराध गुरप्रीत दिओ, आई.जी. स्टेट साईबर क्राइम सैल नौनिहाल सिंह, आई.जी. अपराध जी. नगेशवर राव, मोहाली के डिप्टी कमिश्नर गिरिश दियालन, मोहाली के एस.एस.पी. कुलदीप सिंह चाहल और मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी. जगदीप सिंह सिद्धू उपस्थित थे।