कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा ‘सिख काली सूची’ रद्द करने के फ़ैसले का किया स्वागत

नई दिल्ली, 13 सितम्बर:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा सिखों की विवादित ‘काली सूची’ रद्द करने के फ़ैसले का स्वागत किया है जो कि सिख भाईचारे के प्रति बिल्कुल पक्षपात पूर्ण बात थी और जिसको रद्द करने का फ़ैसला भारत सरकार ने राज्य सरकार द्वारा की जा रही निरंतर कोशिशों और माँग के निष्कर्ष के तौर पर लिया है।
राज्य सरकार की माँग और दलील को मानते हुए केंद्र सरकार ने लगभग सारी सूची को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है जिसमें विदेशों में बसते 314 सिख शामिल थे। अब सिफऱ् दो व्यक्तियों के नाम रह गए हैं जो पंजाब के साथ सम्बन्धित नहीं हैं। केंद्र सरकार ने विभिन्न देशों में सम्बन्धित भारतीय मिशनों द्वारा स्थानीय प्रतिकूल सूचियों के रख-रखाव के अमल को भी बंद कर दिया है।
यहाँ जारी बयान में मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार का धन्यवाद किया है कि राज्य सरकार द्वारा सूची रद्द करने की की जा रही माँग को कुल मिलाकर मान लिया है जिससे विदेशों में बसते सिख भारत में अपने परिवारों को मिलने के लिए योग्य वीज़ा सेवाएं हासिल करने के लिए योग्य होंगे और अपनी जड़ों के साथ जुड़ सकेंगे।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने इस सूची को रद्द करवाने के लिए केंद्र सरकार के साथ सक्रियता से निरंतर संबंध रखा हुआ था जिसको 2016 में केंद्र सरकार और उनकी एजेंसियों ने तैयार किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेक सिख को पंजाब आने और दरबार साहिब के दर्शन करने का पूरा अधिकार है जो ’80 और ’90 के दशक में ऑपरेशन ब्लू-स्टार और सिख विरोधी दंगों के कारण अपना देश छोड़ कर विदेश चले गए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का फ़ैसला सिख भाईचारे के उन सदस्यों को देश वापस लाने में सहायक सिद्ध होगा जो ’80 और ’90 के दशक में बुरे दौर के कारण देश छोडक़र चले गए थे और अब वह अपने घरों में वापस आकर अपने परिवारों को मिल सकेंगे।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि काली सूची बनाना ही एक दुखदायी कदम था जिसको भाईचारे के बहुमूल्य हितों को ध्यान में रखते हुए ठीक करने की ज़रूरत थी क्योंकि सिख भाईचारे ने देश के विकास और तरक्की में अहम योगदान डाला है। वैसे भी यह सिख विकसित देशों में बसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा भारतीय मूल के 312 सिखों को काली सूची से ख़त्म करने का फ़ैसला राज्य सरकार द्वारा दी उस दलील के साथ सहमति प्रगट करती है जिसमें राज्य सरकार ने कहा था कि अपनी जड़ों से दूर करके इन सिखों को देश से और दूर ले जायेगा जो देश के लिए भले वाली बात नहीं है।
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