देश में जच्चा बच्चा को सुरक्षित वातावरण एवं पौष्टिक आहार प्रदान किया जाना बहुत ही महत्वपूर्ण है -दीप्ति उमाशंकर

चंडीगढ़ 13 सितंबर- हरियाणा महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती दीप्ति उमाशंकर ने कहा है कि देश में जच्चा बच्चा को सुरक्षित वातावरण एवं पौष्टिक आहार प्रदान किया जाना बहुत ही महत्वपूर्ण है ताकि कुपोषण के कारण माताओं एवं बच्चों के जीवन पर होने के कुप्रभावों को कम किया जा सके।
श्रीमती दीप्ति उमाशंकर आज यहां महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को सही ढंग से क्रियान्वयन एवं समीक्षा के लिए 6 राज्यों की क्षेत्रीय स्तर की कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक कैप्टन मनोज कुमार, सामाजिक कल्याण विभाग, जम्मू एवं कश्मीर की मिशन डायरेक्टर, शबनम शाह कामली, सामाजिक सुरक्षा एवं महिला एवं बाल विकास विभाग,पंजाब की निदेशक श्रीमती गुरप्रीत कौर सपरा के अलावा केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पदाधिकारियों सहित पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर, दिल्ली तथा हरियाणा के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
श्रीमती उमाशंकर ने कहा कि विश्व में कुपोषण के कारण महिलाओं की प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु दर लगभग 17 प्रतिशत है। भारतवर्ष में यह दर एक लाख पर 130 के लगभग है। इसे कम करने में सरकार द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतू अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का लाभ गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को समय पर मिले तो मृत्युदर में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना महिलाओं एवं बच्चों के लिए कारगर सिद्ध होगी।
उन्होने कहा कि पूरे भारतवर्ष में सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है इस दौरान महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण को दूर करने एवं कारणों का पता लगाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुपोषण के कारण बच्चों एवं महिलाओं में विभिन्न बीमारियां हो जाती हैं जिससे उनका पूर्ण विकास संभव नही हो पाता। उन्होंने कहा कि महिला एवं बच्चों का स्वास्थ्य एवं सर्वांगीण विकास, केंद्र सरकार के सतत् विकास गोल-2022 का हिस्सा है। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को प्रसवपूर्व एवं प्रसव के बाद किसी भी तरह का कठोर कार्य न करना पड़े इसके लिए 5000 रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। उन्होने आशा व्यक्त की कि कार्यशाला से जानकारी प्राप्तकर सभी हितधारक सफल क्रियान्वयन में अपना सहयोग देंगे।
कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव श्री वीसी चौधरी ने योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक पात्र महिला को लाभ पहुंचाना है ताकि वह प्रसव के दौरान स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी जरूरतों की पूर्ति हेतु नकद प्रोत्साहन लेकर कुपोषण के प्रभाव को कम कर सके। इस योजना में सभी पात्र गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को परिवार में पहले बच्चे के लिए लाभ दिया जाना है। लाभार्थी के लिए गर्भधारण करनेके बाद तथा प्रथम चरण की गणना कार्ड में पंजीकरण करने के बाद तीन किस्तों में 5000 रुपये की राशि का प्रधानमंत्री मात्री वंदना योजना के तहत लाभ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था का तत्काल पंजीकरण करवाने के बाद महिला को पहली किस्त 1000 रुपये की प्रदान की जाती है। इसके बाद 2000 रुपये की दूसरी किस्त गर्भधारण के छ: माह के दौरान जांच के बाद प्रदान की जाती है। पात्र महिला को बच्चे के जन्म का पंजीकरण करवाने के बाद तीसरी 2000 रुपये किस्त प्रदान की जाती है, इस दौरान उसे अपने बच्चे के बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी तथा हेपेटाइटिस बी या इसके समतुल्य का पहले चक्कर का टीकाकरण करवाना अनिवार्य है। पात्र लाभार्थी को संस्था में प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत मातृत्व लाभ के संबंध में 6000 रुपये की राशि दिए जाने का प्रावधान है।
कार्यशाला में सभी प्रदेशों के अधिकारियों ने उनके विभागों द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रेजेंटेशन के माध्यम से दी।