पंजाब मंत्रिमंडल ने बीमारू चावल इकाईयों के पुर्नोद्धार करने के लिए डिफालटर मिल्लर्ज़ के लिए बकाया वसूली और निपटारा स्कीम को हरी झंडी

16 September, 2019, 7:27 pm

चंडीगढ़, 16 सितम्बर:

पंजाब में बीमार पड़ी चावल इकाइयों को पुर्नोद्धार करने के लिए मंत्रीमंडल ने सोमवार को राज्य के डिफालटर चावल मिल्लर्ज़ के लिए बकाया वसूली और निपटारा स्कीम 2019 -20 को मंजूरी दे दी। इस स्कीम से इन मिल्लर्ज़ द्वारा विभिन्न खातों में बकाया पड़ी 2041.51 करोड़ रुपए के महत्वपूर्ण हिस्से की अदायगी की वसूली के लिए रास्ता साफ होगा।

मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने आज यहां जारी प्रैस बयान में बताया कि 2014 -15 के फ़सलीय वर्ष समेत तक के डिफालटर मिल्लर इस स्कीम का फ़ायदा उठाने के लिए योग्य होंगे जबकि जिन डिफालटरों ने सितम्बर 2017 में एकमुश्त स्कीम का फ़ायदा लिया था, वह नयी स्कीम का फ़ायदा लेने के लिए योग्य नहीं होंगे।

डिफालटरों के पास ‘परिमान निर्धारण के लिए निपटारा पत्र’ (कुआंटीफिकेशन फॉर सेटलमेंट लेटर) जारी होने के 30 दिनों के अंदर कुल वसूलने योग्य रकम अदा करने का मौका होगा भाव मूल वसूलने योग्य रकम के अलावा 10 प्रतिशत साधारण ब्याज प्रति साल समेत। मिल्लर्ज़ के पास से रकम अदा करने के अन्य तरीके के अनुसार 30 दिनों के अंदर कुल वसूलने योग्य रकम का 50 प्रतिशत हिस्सा अदा करना और बाकी अदायगी ‘परिमान निर्धारण के लिए निपटारा पत्र ’ जारी करने के 60 दिनों के अंदर समेत 6 प्रतिशत ब्याज अदा करना होगा।

उन्होंने आगे बताया कि एक अन्य मौके के अंतर्गत मिल्लर्ज़ को विकल्प दिया गया है कि पत्र जारी करने के 7 दिनों के अंदर कुल वसूलने योग्य रकम का 25 प्रतिशत अदा करना, 25 प्रतिशत की दूसरी किश्त 60 दिनों के अंदर 10 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करनी, तीसरी 25 प्रतिशत की किश्त 90 दिनों के अंदर 12 प्रतिशत ब्याज और बाकी बची 25 प्रतिशत अदायगी 120 दिनों के अंदर 15 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करनी होगी।

1994 -95, 2001 -02 और 2009 -10 फ़सली सालों से सम्बन्धी डिलीवर न किये चावलों के मामलों सम्बन्धी मिल्लर्ज़ को स्कीम में दिखाऐ शिड्युूल 1 के अनुसार बकाए चावलों का भुगतान करना पड़ेगा। हालांकि जि़ला कमेटी द्वारा दी गई सिफारशों के अनुसार साल 2014 -15 तक फ़सली सालों के लिए, भाव पर बताए गये सालों के अलावा, डिफालटर मिल्लर्ज़ उसी शर्तों के अनुसार रकम की मात्रा के लाभ का दावा करने का हकदार होगा। यह उसी सूरत में संभव होगा कि यदि मिल्लर द्वारा की गई गलती के लिए सिफऱ् उसी को जि़म्मेदार ठहराया न जा सके या इसी कारण डिफालटर मिल्लर के बस से बाहर के हों।

इस स्कीम के अंतर्गत दावों के हल के लिए विस्तृत निर्धारित प्रक्रिया (एस.ओ.पी.) डायरैक्टर खाद्य और सप्लाई द्वारा बाद में जारी की जायेगी। मिल्लर द्वारा 100 प्रतिशत भुगतान की रसीद हासिल करने और एस.ओ.पी. के अंतर्गत सभी औपचारिक पूरी करने के उपरांत कंट्रोलर खाद्य लेखा खातो के अंतिम बंदोबस्त का पत्र जारी करेगा।

एक मिल्लर, जिसके खि़लाफ़ फऱमान या आर्बीटल अवार्ड पास हो गया है और इसके अमल की करवाई चल रही है, को भी इस स्कीम के अधीन कवर किया जायेगा परन्तु सिफऱ् सम्बन्धित जि़ला कमेटी की इस सिफ़ारिश पर कि रकम की वसूली अमली कार्यवाही या पदों की बिक्री या ज़मीन के राजस्व के बकाए के द्वारा संभव नहीं है।

यह बात याद रखने योग्य है कि सरकार द्वारा सितम्बर, 2017 में जारी की एकमुश्त निपटारा स्कीम (ओ.टी.एस.) के अंतर्गत मिल्लजऱ् के पास से बाकाया पड़ी मूल रकम में से 32.40 करोड़ रुपए की वसूली कर लिए गई थी। यह स्कीम छह महीनों के लिए लागू की गई थी।  

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