एमेजॉन और फ्लिपकार्ट कंपनिया भारी डिस्कॉउट देकर गैरकानूनी काम कर रह रही हैं - कैट

नई दिल्ली,17 सिंतबर। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने त्यौहारों के सीजन में अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट द्वारा अपने ई-कॉमर्स पोर्टल पर आने वाले दिनों में ग्राहकों को सीधे 80 फीसदी तक छुट देने पर सवाल उठाया हैं । दिल्ली में एक पत्रकार सम्मेलन में कैट के राष्टीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि फेस्टिवल बिक्री और उस पर गहरी छूट देना सरकार की एफडीआई नीति 2018 के प्रेस नोट नंबर 2 का स्पष्ट उल्लंघन है। कैट ने इस सन्दर्भ में पहले ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को इन ई-कॉमर्स पोर्टलों द्वारा आयोजित की जाने वाली फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने के लिए लिखा है। कैट देश में 40 हजार व्यापारिक संगठनों के माध्यम से 7 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करता है ।
प्रवीन खंडेलवाल ने कुछ दिनों पहले मीडिया में अमेज़न और फ्लिपकार्ट के उन बयानों का कड़ा विरोध किया जिसमें उन्होंने कहा कि वे विक्रेताओं को उनके संबंधित प्लेटफॉर्म पर कीमतें तय करने और अपनी पसंद की पेशकश करने का अधिकार देते हैं जिसके अनुसार उनके पोर्टल पर पंजीकृत व्यापारी अपने ग्राहकों को अपने अनुसार कीमतों में छूट प्रदान करते हैं जिसमें उनकी कोई भूमिका नहीं होती। कैट ने कहा है की दोनों कंपनियों का उक्त बयान बिलकुल तर्कहीन है और अपने प्लेटफॉर्म पर चल रही गलत प्रथाओं को सही ठहराने की एक कोशिश है जबकि वास्तव में स्थिति कुछ और ही है !
श्री खंडेलवाल ने कहा कि ये कंपनियां सरकार की एफडीआई नीति का घोर उल्लंघन कर रही हैं जिसमें ई-कॉमर्स कंपनियों की भूमिका को अच्छी तरह से परिभाषित किया है और इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है। एफडीआई नीति के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस मॉडल में 100% एफडीआई की अनुमति है और जिसके तहत ई-कॉमर्स कंपनियां तकनीकी प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य कर सकती हैं। इसमें आगे कहा गया है कि इस तरह की ई-कॉमर्स कंपनियां केवल बिजनेस टू बिजनेस (बी 2 बी) में संलग्न होंगी और बिजनेस टू कंज्यूमर्स (बी 2 सी) की गतिविधियों के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर बिलकुल नहीं कर सकेंगी । इसके अलावा, बाज़ार में प्रतिस्पर्धा के स्तर को बनाए रखेंगी।नीति स्पष्ट रूप से कहती है कि ई-कॉमर्स इकाइयाँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कीमतों को प्रभावित नहीं करेंगी ।
श्री खंडेलवाल ने अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट दोनों के बयान का दृढ़ता से खंडन करते हुए कहा कि जब उन्हें केवल बी 2 बी व्यापार के लिए अनुमति दी गई है, तो फेस्टिवल सेल के आयोजन की आवश्यकता क्या है, उपभोक्ताओं को आकर्षित करने वाले बड़े विज्ञापन देना क्यों जरूरी है । बी 2 बी बिक्री का मतलब है कि उनके प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकृत विक्रेता अपना माल केवल व्यापारिक संस्थाओं को बेचेंगे और किसी भी उपभोक्ता को नहीं, जबकि उनके प्लेटफार्म पर पूरी बिक्री केवल उपभोक्ताओं को ही होती है जो कि नीति का उल्लंघन है। चूंकि ये ई कॉमर्स कंपनियां बिकने वाले सामान की मालिक नहीं हैं तो वे अपने प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत विक्रेताओं के सामान पर गहरी छूट कैसे दे सकते हैं। नीति के अनुसार केवल विक्रेता ही कोई छूट दे सकता है लेकिन इस मामले में ई वाणिज्य कंपनियों द्वारा छूट की पेशकश की जाती है जो सीधे रूप से एफडीआई नीति का उल्लंघन है। गहरी छूट की पेशकश करने वाली इस तरह की फेस्टिवल सेल सीधे या परोक्ष रूप से कीमतों को प्रभावित करने के अलावा कुछ भी नहीं है जो नीति का स्पष्ट उल्लंघन है।
श्री खंडेलवाल ने आगे कहा कि अगर ये कंपनियां इतनी पारदर्शी और कानून का पालन करने वाली हैं, तो फ्लिपकार्ट पर पंजीकृत 100,000 विक्रेताओं और अमेज़न पर पंजीकृत 500,000 विक्रेताओं में से गत 5 वर्षों में वो पहले कौन से 10 विक्रेता हैं जिन्होंने सबसे अधिक सामान बेचा है इसकी सूची जारी करनी चाहिए ! उन्होंने दावा करते हुए कहा की इसमें यह पाया जाएगा कि हर वर्ष समान रूप से 10 कंपनियों का एक ही समूह लगभग 80% माल बेच रहा है और वह भी केवल सीधे उपभोक्ताओं को जो नियमानुसार गलत है । बाकी विक्रेता इनके प्लेटफार्म पर केवल मूकदर्शक होते हैं और इन प्लेटफार्मों पर व्यापार करने का कोई अवसर नहीं पाते हैं जिससे पता चलता है कि इन कंपनियों का आपूर्ति, कीमतों और पर सीधा नियंत्रण है जो कि नीति का एक खुला उल्लंघन है। यह ई-कॉमर्स कंपनियां वास्तव में व्यापार नहीं करती बल्कि अपनई कम्पनी की वैल्युएशन बढ़ाती है और उसी के लिए अपने पोर्टल पर अधिकतम डिस्काउंट देती हैं जिससे इन कंपनियों के पोर्टल पर आने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो और कंपनियों का मूल्यांकन को बढ़े और डिस्काउंट देने से हुए नुक्सान की भरपाई इन कंपनियों के इन्वेस्टर करते हैं क्योंकि वैल्यूएशन बढ़ने में उनका बहुत फायदा होता है ! इसलिए अंततः यह ई-कॉमर्स में वैल्यूएशन गेम है न कि सामान बेचने के लिए प्लेटफॉर्म।
श्री खंडेलवाल ने यह भी कहा कि देश के व्यापारी किसी भी प्रतिस्पर्धा से डरते नहीं हैं और ई कॉमर्स का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन इसके लिए समान स्तर की प्रतिस्पर्धा का होना जरूरी है जिसमें कोई अस्वस्थ पद्दति न हो। उन्होंने कहा कि एफडीआई को निजी इक्विटी या वेंचर कैपिटलिस्ट द्वारा बिना किसी ब्याज के उपलब्ध कराया जाता है क्योंकि पीई या वीसी को उस समय में कम्पनी से बाहर निकलना है जब कंपनी का मूल्यांकन उनके निवेश से कहीं अधिक होता है । दूसरी ओर अमरीका, इंग्लॅण्ड एवं यूरोप आदि अन्य देशों में धनराशि ब्याज दर पर 1.5% से लेकर 3% प्रति वर्ष तक पर ही उपलब्ध है जबकि हमारे देश में यह 9% से 14% है। ब्याज दर का यह अंतर बाजार को नियंत्रित करने के लिए अकेला पर्याप्त है लेकिन उसके ऊपर भी यह ई-कॉमर्स कंपनियां बढ़े डिस्काउंट देती हैं जिससे बाज़ार में असमान प्रतिस्पर्धा रहती है !
कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री से इन ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा सरकार की एफडीआई नीति के घोर उल्लंघन पर तुरंत गौर करने और घोषित फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है।कैट ने सरकार से इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल की जांच करने का भी आग्रह किया है। इस बात का गहरा अफसोस है कि अगर देश में कोई भी व्यापारी किसी कानून या नीति का उल्लंघन करता पाया जाता है तो सरकारी विभाग उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करते हैं किन्तु यह ई कॉमर्स कंपनियां खुले रूप से सरकारी नीतियों का उल्लंघन कर रही है और इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है ! सरकार की नीतियों का अक्षरश : पालन कराना सरकार की जिम्मेदारी है और उम्मीद है की सरकार तुरंत इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी