नशे को रोकने के लिए नेशनल पॉलिसी की जरूरत-कैप्टन

20 September, 2019, 9:38 pm

29 वी. नार्दन जोनल कॉउसिंल (NZS) की बैठक की खास बाते

1. 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के खिलाफ यौन अपराधों / बलात्कार की जांच और सुनवाई 2 महीने के भीतर में पूरी करने के लिए विस्तृत निगरानी तंत्र स्थापित करना।

2. उन गांवों का कवरेज, जो पांच किलोमीटर के रेडियल दूरी के भीतर बिना किसी बैंकिंग सुविधा के रहते हैं, तक भी सभी सुविधाएँ पहुँचाना ।

3. हरियाणा और हिमाचल के मध्य सीमा विवाद से संबन्धित सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिससे दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को हल करने में सहायता मिलेगी |

4. काउंसिल द्वारा पर्यावरण मंत्रालय के कैम्पा फंड की 47436 करोड़ रुपये की कई वर्षों से लंबित राशि के भुगतान पर संतुष्टि जताई |  

5. भारतीय दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता में सुधार के लिए  सुझाव देंगी राज्य सरकारे ।

6. नारकोटिक्स, POCSO अधिनियम, हत्याओं आदि जैसे जघन्य अपराधों के मामलों में मुख्य सचिव के स्तर पर जांच और अभियोजन के मामलों में नियमित निगरानी की जाएगी।

7. सटीक जांच और उच्च विश्वास सुनिश्चित करने के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब्स को भी मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की आवश्यकता पर भी जोर दिया। गृह सचिव और विशेष सचिव (अंतर-राज्यीय काउंसिल) द्वारा वीडियो सम्मेलन के माध्यम से ऊपर वर्णित विभिन्न क्षेत्रों में सभी निर्णयों की नियमित निगरानी भी होनी चाहिए।

कॉउसिंल का स्वरूप

पांच जोनल काउंसिल (पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी और मध्य जोनल काउंसिल) की स्थापना राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत की गई थी ताकि राज्यों के बीच अंतर-राज्य सहयोग और समन्वय स्थापित किया जा सके। आंचलिक परिषदों को आर्थिक और सामाजिक नियोजन, सीमा विवाद, भाषाई अल्पसंख्यक या अंतर-राज्यीय परिवहन आदि के क्षेत्र में आम हित के किसी भी मामले पर चर्चा करने और सिफारिश करने के लिए अनिवार्य किया जाता है। आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से एक दूसरे से जुड़े इन राज्यों के सहकारी प्रयासों का यह एक क्षेत्रीय मंच है। उच्च स्तरीय निकाय होने के नाते यह मंच सम्बंधित क्षेत्रो के हितों की देखभाल तथा क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान में सक्षम है।